डेढ़ सौ साल के जश्न में आज झूमेगा 497 साल पुराना नाहन शहर

By: Apr 12th, 2018 12:25 am

देश की दूसरी सबसे पुरानी नगर परिषद, वर्ष 1868 में हुआ था गठन

नाहन — अपने भीतर इतिहास के 497 वर्ष समेटे नाहन शहर के संस्थागत विकास में अहम योगदान देने वाली नाहन नगर परिषद गुरुवा को डेढ़ सौ साल का जश्न मनाएगी। कोलकाता के बाद नाहन दूसरी सबसे पुरानी नगर पालिका है।इस समारोह के गवाह मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर बन रहे हैं। नाहन हिमाचल प्रदेश का एक ऐसा शहर भी है, जहां म्यूनिसिपल कारपोरेशन आजादी से पहले गठित हुई है। आजादी के बाद भले ही नाहन शहर का स्वरूप भी बदल गया है। आबादी बढ़ने के साथ बुनियादी जरूरतें बढ़ने से समस्याएं भी हजार हैं, लेकिन लगभग 500 साल पहले बसे शहर की यादें फिर ताजा हो रही हैं। इस साल नाहन नगर परिषद अपना 150वां स्थापना दिवस मनाने जा रही है। शहर के इतिहास पर यदि नजर दोड़ाई जाए तो इसकी स्थापना वर्ष 1621 में तत्कालीन सिरमौर रियासत के महाराजा कर्म प्रकाश ने की था। उसके बाद लगातार नाहन शहर सिरमौर रियासत के पन्नों में आगे बढ़ता रहा। 30 अप्रैल, 1685 को श्री गुरु गोबिंद सिंह जी नाहन पधारे तथा आठ माह का समय नाहन में बिताया। वर्ष 1868 में नाहन नगर पालिका परिषद की स्थापना हो गई थी, जो भारत के इतिहास में कोलकाता के बाद दूसरे स्थान पर मानी जाती है। लगभग 500 साल पहले राजा कर्म प्रकाश ने नाहन शहर बसाया था। उस दौरान नाहन सिरमौर रियासत की राजधानी कहलाई जाने लगी। ऐतिहासिक पृष्ठभूमि के अनुसार वर्ष 1862 में कलकत्ता देश की पहली म्यूनिसिपल कारपोरेशन बनी। उस दौरान इसका गठन म्यूनिसिपल बोर्ड के नाम से हुआ। इसके छह साल बाद 1868 में सिरमौर में देश की दूसरी और हिमाचल प्रदेश की पहली म्यूनिसिपल कारपोरेशन गठित हुई। हालांकि शुरूआती दौर में इसे भी म्यूनिसिपल बोर्ड के नाम से ही चलाया गया। पहले इसमें कुल नौ वार्ड थे, जिनकी संख्या बढ़कर वर्तमान में 13 हो गई है।

1671 में भगवान जगन्नाथ मंदिर निर्माण

1685 में नाहन आए थे श्री गुरु गोबिंद सिंह

1730 में माता काली का मंदिर बना

1889 में रानीताल पार्क की स्थापना

1740 में भगवान परशुराम का मंदिर बना

1877 में में लिटन मेमोरियल दिल्ली गेट की तर्ज पर बना

1930 में राज्य स्तरीय महिमा पुस्तकालय

1873 में नाहन फाउंडरी का निर्माण

हिमाचल का एकमात्र जगन्नाथ मंदिर

प्रदेश का एकमात्र भगवान जगन्नाथ मंदिर नाहन में है। इसके अलावा लाल कोठी, शमशेर स्कूल, बीडीओ आफिस, अमर बोर्डिंग, वन अरण्यपाल ऑफिस के भवन रियासत काल के हैं।

पुस्तकों में भी शहर का जिक्र

पूर्व विधायक एवं राज वंशज अजय बहादुर कहते हैं कि यहां की अंडरग्राउंड सीवरेज प्रणाली अंग्रेजों के जमाने की है। रणजोर सिंह की तारीख-ए-रियासत में भी इसका जिक्र है।

समारोह में लगेगी धरोहरों की प्रदर्शनी

चौगान में होने वाले इस समारोह में शहर की धरोहरों की आकर्षक प्रदर्शनी लगाई जाएगी। इसके लिए ड्रोन से फोटोग्राफी हुई है। विधानसभा अध्यक्ष  डा. राजीव बिंदल ने स्वयं कार्यक्रम का खाका तैयार किया है। कुल 18 धरोहर भवनों की इस प्रदर्शनी लगेगी, जिनमें कालीस्थान, लाल कोठी, नाहन फाउंडरी, दिल्ली गेट सहित विभिन्न सरकारी भवन शामिल हैं।

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