दर्जा मॉडल स्कूल का, और आर्ट्स में सारे बच्चे फेल

ऊना जिला की राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला सलोह ने बदल दिया आदर्श होने का मतलब

हरोली— मॉडल स्कूल, जो कि दूसरे स्कूलों के लिए एक आदर्श होते हैं, पर ऊना जिला में ऐसे आदर्श का शायद ही कोई अनुसरण करना चाहे। हम बात कर रहे हैं राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला सलोह की, जो कि एक मॉडल स्कूल है। इस स्कूल ने आदर्श का मतलब ही बदल दिया है। स्कूल शिक्षा बोर्ड द्वारा घोषित जमा दो के परीक्षा परिणाम में स्कूल के आर्ट्स स्ट्रीम में एक भी बच्चा पास नहीं हो पाया है। यहां कला संकाय का परीक्षा परिणाम जीरो फीसदी रहा है, जबकि जमा दो का ऑलओवर रिजल्ट महज 33 प्रतिशत पर ही सिमट गया है। निराशाजनक परीक्षा परिणाम आने से जहां विद्यार्थियों में मायूसी है, वहीं अभिभावकों व स्कूल प्रबंधन समिति में स्कूल प्रबंधन के प्रति गहरा रोष है। स्कूल के आर्ट्स, कॉमर्स व साइंस संकाय से कुल 126 विद्यार्थियों ने जमा दो की परीक्षा दी थी, जिसमें से केवल 41 बच्चे ही क्लीयर पास हो पाए हैं। आर्ट्स स्ट्रीम ने तो घटिया परीक्षा परिणाम के सारे रिकार्ड ही तोड़ दिए हैं। इस संकाय से 37 बच्चों ने परीक्षा दी थी, लेकिन कोई भी बच्चा क्लीयर पासआउट नहीं हो पाया है। इनमें से पांच बच्चों को कंपार्टमेंट है, जिनका रिजल्ट विभाग द्वारा काउंट नही किया जाता है। अब स्कूल प्रबंधन भी इस मामले पर कोई भी टिप्पणी करने से पीछे हट रहा है। शिक्षा विभाग ने विगत वर्ष सलोह पाठशाला को आदर्श स्कूल घोषित किया था, जिसके तहत करोड़ों का बजट स्कूल की शैक्षणिक गतिविधियों को सुधारने के लिए दिया था, जिसमें स्कूल में स्मार्ट कक्षाएं भी बनाइ गई थी, लेकिन जमा दो के परीक्षा परिणाम ने स्कूल में लचर शिक्षा व्यवस्था की पोल खोल कर रख दी है।

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