दो साल पूरे…स्मार्ट सिटी धर्मशाला के सपने अधूरे

धर्मशाला – नगर निगम धर्मशाला में आगे दौड़, पीछे छोड़ की कहावत पूरी तरह से सटीक बैठती है। नगर निगम धर्मशाला ने अप्रैल माह में अपने दो वर्ष पूरे कर लिए हैं। बावजूद इसके नगर निगम धर्मशाला को एक स्मार्ट सिटी बनाए जाने की कवायद में निगम के प्रतिनिधि और अधिकारी सटीक नहीं बैठ पा रहे हैं। एमसी फाइलों में तैयार किए जा रहे प्रोपोजलों के अपने पुराने कार्यों को पूरी तरह से भूल रही है। हैरत ही है कि निगम द्वारा आम बैठकों में प्रस्तावित कार्यों को जमीनी स्तर पर शुरू ही नहीं किया जा सका है। दो माह पहले बाहरी राज्यों के वाहनों पर स्वच्छता सेस लगाने की योजना मात्र फाइलों में ही सिमट कर रही गई है। पर्यटन सीजन में भी एमसी बाहरी राज्यों पर टैक्स नहीं लगा पाई है। गर्मियों में हजारों की संख्या में बाहरी राज्यों के वाहन पर्यटन नगरी धर्मशाला-मकलोडगंज में पहुंचते हैं, लेकिन अब तक शहर के एंट्री प्वाइंट में कोई भी व्यवस्था नगर निगम नहीं कर पाई है। एमसी की रेवेन्यू बढ़ाने की सभी योजनाएं धड़ाम होती हुई नजर आ रही है।  कारपोरेशन की हालत देखी जाए, तो आगे दौड़ और पीछे छोड़ वाली नजर आ रही हैं। एमसी धर्मशाला की आम बैठक गुरुवार को महापौर रजनी व्यास, उपमहापौर देवेंद्र जग्गी और कार्यवाहक कमीशन राखिल काहलों की अध्यक्षता में आयोजित की गई। नगर निगम ने अपने प्रस्तावित कार्यों के लिए जमीनी स्तर पर कोई कार्य ही शुरू नहीं किया है।  निगम की बैठक में इस बात को लेकर पार्षदों और अधिकारियों में खूब तीखी नोकझोंक भी देखने को मिली है। प्रतिनिधियों ने पुराने रुके  विकास कार्यों को जल्द से जल्द पूरा न किए जाने पर कड़ा आक्रोश जताया है। निगम के विभिन्न 17 वार्डों में लक्ष्य योजना के तहत किए जा रहे कार्य भी धीमी रफ्तार से चल रहे हैं। इसके साथ ही लक्ष्य के तहत रुके हुए बजट को भी हरी झंडी नहीं मिल पाई है।  पिछली बैठक में किए गए अहम फैसले जिसमें बौद्ध-पर्यटन नगरी में छोटे वाहनों पर 60 रुपए, जबकि बड़े वाहनों को 200 रुपए सैस देना तय किया गया था। इसके साथ ही शो टैक्स के तहत प्रति सीट दस रुपए वसूलने और नए मर्ज एरिया में हाउस टैक्स लगाने पर भी कोई विशेष कार्य नहीं हो पाया है। शहर के अति खस्ता हाल टायलट की दशा सुधारने पर भी कोई कार्य अब तक नहीं हो पाया है।  धर्मशाला-मकलोडगंज के कंप्लीशन के लिए पेंडिंग एनओसी को क्लीयर करने भी एमसी लापरवाह बना हुआ है। शहर के होटलों और भवनों की एनओसी अब तक पेंडिंग चल रही है। इसके लिए होटल कारोबारी और लोग बार-बार निगम कार्यालय के चक्कर काटने के लिए मजबूर हो रहे हैं।

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