नई कामयाबी का कॉमनवैल्थ

By: Apr 22nd, 2018 12:20 am

साल 2010 में दिल्ली में हुए खेलों में भारत ने 101 पदक जीते थे, जबकि 2002 में मैनचेस्टर खेलों में भारत ने 69 पदक जीते थे। साल 2014 में ग्लासगो में हुए खेलों में भी भारत ने 64 पदक अपने नाम किए थे…

अंतरराष्ट्रीय खेल प्रतिस्पधाओं की मेडल टैली में भारत का स्थान कभी भी बहुत उत्साहवर्द्धक नहीं रहा। अभी तक की कहानी यही रही है कि अपने व्यक्तिगत दम पर खिलाड़ी बेहतर कर लें तो पूरा देश उसकी सफलता को हाथोंहाथ ले लेता है, लेकिन खिलाडियों को बेहतर सुविधा उपलब्ध्य कराने में व्यवस्था विफल ही साबित होती रही है।

हाल ही में संपन्न हुए कॉमनवैल्थ खेलों में जिस तरह का बेहतर प्रदर्शन अभी तक अनाम-गुमनाम खिलाडि़यों ने किया, उस से साबित होता है कि भारत में एक स्वस्थ खेल संस्कृति अब आकार लेने लगी है। शानदार प्रदर्शन ने हमेशा की जाने वाली इस मांग को भी सच साबित किया है कि खेल प्रशासक यदि खिलाड़ी हो तो खेल का अधिक भला हो सकता है।

इन खेलों में भारत ने 66 पदक हासिल किए। यह  भारत के सबसे अच्छे प्रदर्शनों में से एक है। यह प्रदर्शन भारतीय खेलों के लिए निर्णायक साबित हो सकता है। साल 2010 में दिल्ली में हुए खेलों में भारत ने 101 पदक जीते थे, जबकि 2002 में मैनचेस्टर खेलों में भारत ने 69 पदक जीते थे। साल 2014 में ग्लासगो में हुए खेलों में भी भारत ने 64 पदक अपने नाम किए थे। 66 का आंकडा इसलिए खास बन जाता है क्योंकि इस बार स्वर्ण पदकों की संख्या रजत और कांस्य पदकों से अधिक है। भारत ने इस बार 26 स्वर्ण, 20 रजत और 20 कांस्य पदक जीते।

यही नहीं, जिन 16 खेलों में भारत ने हिस्सा लिया उनमें से 9 में भारत ने पदक जीते और सात में स्वर्ण पदक जीते। सबसे बड़ी बात यह कि भारत के खिलाडि़यों का यह प्रदर्शन बिना घरेलू दर्शकों के उत्साहवर्द्धन के रहा है। साल 2010 के कॉमनवैल्थ खेलों में भारत की टैली इसलिए भी बेहतर रही थी, क्योंकि उसे घेरलू माहौल का सहयोग मिला था।

भारत का प्रदर्शन इसलिए भी खास कहा जा सकता है क्योंकि सफलता उन खेलों में मिली जहां से आशा न के बराबर थी। निशानेबाजी और कुश्ती में तो भारत की आशाएं बेहतर रहती ही हैं, लेकिन अन्य खेलों में सफलता इस तथ्य की ओर संकेत कर रही है कि थोड़ा सा भी सहयोग मिले तो भारतीय खिलाड़ी किसी भी क्षेत्र में सफलता का झंडा गाड़ सकते हैं। इन खेलों में महिला खिलाडि़यों के शानदार प्रदर्शन ने भी भारतीय खेल-जगत की आशाआें को नए पंख दे दिए हैं।

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