नेचुरल करियर की नेचुरोपैथी

By: Apr 4th, 2018 12:15 am

प्राकृतिक चिकित्सा एक चिकित्सा दर्शन है। इसके अंतर्गत रोगों का उपचार व स्वास्थ्य लाभ का आधार है, रोगाणुओं से लड़ने की शरीर की स्वाभाविक शक्ति। प्राकृतिक चिकित्सा प्रणाली चिकित्सा की एक रचनात्मक विधि है, जिसका लक्ष्य प्रकृति में प्रचुर मात्रा में उपलब्ध तत्त्वों के उचित इस्तेमाल द्वारा रोग का मूल कारण समाप्त करना है…

नेचुरोपैथी उपचार का न केवल सरल और व्यवहारिक तरीका प्रदान करता है, बल्कि यह तरीका स्वास्थ्य की नींव पर ध्यान देने का किफायती ढांचा भी प्रदान करता है। स्वास्थ्य और खुशहाली वापस लाने के कुदरती तरीकों के कारण यह काफी पॉपुलर हो रहा है। नेचुरोपैथी शरीर को ठीकठाक रखने के विज्ञान की प्रणाली है, जो शरीर में मौजूद शक्ति को प्रकृति के पांच महान तत्त्वों की सहायता से फिर से स्वास्थ्य की प्राप्ति के लिए उत्तेजित करती है।

अन्य शब्दों में कहा जाए तो नेचुरोपैथी स्वयं, समाज और पर्यावरण के साथ सामंजस्य करके जीने का सरल तरीका अपनाना है। प्राकृतिक चिकित्सा एक चिकित्सा दर्शन है। इसके अंतर्गत रोगों का उपचार व स्वास्थ्य लाभ का आधार है, रोगाणुओं से लड़ने की शरीर की स्वाभाविक शक्ति। प्राकृतिक चिकित्सा प्रणाली चिकित्सा की एक रचनात्मक विधि है, जिसका लक्ष्य प्रकृति में प्रचुर मात्रा में उपलब्ध तत्त्वों के उचित इस्तेमाल द्वारा रोग का मूल कारण समाप्त करना है।

यह न केवल एक चिकित्सा पद्धति है, बल्कि मानव शरीर में उपस्थित आंतरिक महत्त्वपूर्ण शक्तियों या प्राकृतिक तत्त्वों के अनुरूप एक जीवनशैली भी है। यह जीवन कला तथा विज्ञान में एक संपूर्ण क्रांति है। प्राकृतिक चिकित्सा के प्रचलन में विश्व की कई चिकित्सा पद्धतियों का योगदान है।

जैसे भारत का आयुर्वेद और यूनान का नेचर क्योर। इस प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति में प्राकृतिक भोजन, विशेषकर ताजे फल तथा कच्ची व हल्की पकी सब्जियां विभिन्न बीमारियों के इलाज में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। प्राकृतिक चिकित्सा निर्धन व्यक्तियों एवं गरीब देशों के लिए विशेष रूप से लाभकारी है।

क्या है नेचुरोपैथी

यह कुदरती तरीके से स्वस्थ जिंदगी जीने की कला है। मोटे तौर पर कहा जा सकता है कि इस पद्धति के जरिये व्यक्ति का उपचार बिना दवाइयों के किया जाता है। इसमें स्वास्थ्य और रोग के अपने अलग सिद्धांत हैं और उपचार की अवधारणाएं भी अलग प्रकार की हैं। आधुनिक जमाने में भले इस पद्धति की यूरोप में शुरुआत हुई हो, लेकिन अपने वेदों और प्राचीन शास्त्रों में अनेकों स्थानों पर इसका उल्लेख मिलता है। अपने देश में नेचुरोपैथी की एक तरह से फिर से शुरुआत जर्मनी के लुई कुहने की पुस्तक न्यू साइंस ऑफ हीलिंग के अनुवाद के बाद मानी जाती है। डी वेंकट चेलापति ने 1894 में इस पुस्तक का अनुवाद तेलुगु में किया था। 20वीं सदी में इस पुस्तक का अनुवाद हिंदी और उर्दू वगैरह में भी हुआ। इस पद्धति से गांधी जी भी प्रभावित थे। उन पर एडोल्फ जस्ट की पुस्तक रिटर्न टू नेचर का काफी प्रभाव था।

प्राकृतिक चिकित्सा के अंतर्गत पद्धतियां

प्राकृतिक चिकित्सा के अंतर्गत अनेक पद्धतियां आती हैं। जैसे- जल चिकित्सा, सूर्य चिकित्सा, एक्युपंक्चर, एक्युप्रेशर, मृदा चिकित्सा, वायु चिकित्सा, चुंबकीय चिकित्सा पद्धति, व्यायाम और उपवास आदि।

नेचुरोपैथी का स्वरूप

मनुष्य की जीवन शैली और उसके स्वास्थ्य का अहम जुड़ाव है। चिकित्सा के इस तरीके में प्रकृति के साथ जीवनशैली का सामंजस्य स्थापित करना मुख्य रूप से सिखाया जाता है। इस पद्धति में खानपान की शैली और हाव-भाव के आधार पर इलाज किया जाता है। रोगी को जड़ी-बूटी आधारित दवाइयां दी जाती हैं। कहने का अर्थ यह है कि दवाइयों में किसी भी प्रकार के रसायन के इस्तेमाल से बचा जाता है। ज्यादातर दवाइयां भी नेचुरोपैथी प्रैक्टिशनर खुद ही तैयार करते हैं।

शैक्षणिक योग्यता

प्राकृतिक चिकित्सा में अपना करियर बनाने वाले युवाओं को साइंस संकाय भौतिक विज्ञान, रसायन विज्ञान और जीव विज्ञान में दस जमा दो 45 प्रतिशत अंकों के साथ उत्तीर्ण करना अनिवार्य है। इसके अलावा प्राकृतिक और यौगिक पद्धति में उनका दृढ़ विश्वास भी होना चाहिए।

अवसर

संबंधित कोर्स करने के बाद स्टूडेंट्स के पास नौकरी या अपना प्रैक्टिस शुरू करने जैसे मौके होते हैं। सरकारी और निजी अस्पतालों में भी इस पद्धति को पॉपुलर किया जा रहा है। खासकर सरकारी अस्पतालों में भारत सरकार का आयुष विभाग इसे लोकप्रिय बनाने में लगा है। ऐसे अस्पतालों में नेचुरौपैथी के अलग से डाक्टर भी रखे जा रहे हैं। अगर आप निजी व्यवसाय करना चाहते हैं, तो क्लीनिक भी खोल सकते हैं। अच्छे जानकारों के पास नेचुरौपैथी शिक्षण केंद्रों में शिक्षक के रूप में भी काम करने के अवसर उपलब्ध हैं। आप चाहें तो दूसरे देशों में जाकर काम करने के अवसर भी पा सकते हैं।

कौन-कौन से कोर्स

इस समय देश में एक दर्जन से ज्यादा कालेजों में नेचुरोपैथी की पढ़ाई स्नातक स्तर पर मुहैया कराई जा रही है। इसके तहत बीएनवाईएस (बैचलर ऑफ  नेचुरोपैथी एंड योगा साइंस) की डिग्री दी जाती है। कोर्स की अवधि साढ़े पांच साल की रखी गई है।

असीमित आय

प्राकृतिक चिकित्सक बनकर अपना  क्लीनिक खोलना चाहते हैं, तो उसमें आय की कोई सीमा नहीं है। आपकी आय आपके ऊपर है कि आपने अपने आप को किस तरह स्थापित किया है।  अध्यापन के क्षेत्र में भी आप अच्छी आय अर्जित कर सकते हैं।

बाकी पद्धतियों से जुदा क्यों

इस चिकित्सा पद्धति में दवाइयों का प्रयोग नहीं होता। यह औषधिविहीन चिकित्सा पद्धति है।  प्रकृति प्रदत्त पदार्थों द्वारा ही रोगोपचार किया जाता है।  यह चिकित्सा पद्धति सरल और ज्यादा महंगी न होने के कारण आम लोगों की पहुंच में है।  यह एक दुष्प्रभाव रहित चिकित्सा पद्धति है।  प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति रोजमर्रा के जीवन में होने वाली बीमारियों जैसे-उच्च रक्तचाप, दमा, अनिद्रा, हृदय रोग और मधुमेह को ठीक करने में कारगर साबित होती है।  प्राकृतिक चिकित्सा की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसमें रोग को जड़ से समाप्त करने की क्षमता होती है। इसमें रोग दोबारा पनपने की संभावनाएं नगण्य होती हैं।

अनुभवी होना जरूरी

बाकी चिकित्सा पद्धतियों की तरह प्राकृतिक चिकित्सा के क्षेत्र में चिकित्सक का अनुभव महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसलिए अपना प्राकृतिक चिकित्सा केंद्र खोलने से पहले किसी अनुभवी प्राकृतिक चिकित्सक के साथ काम कर के अनुभव प्राप्त करने से आप इस व्यवसाय में अच्छे से स्थापित हो सकते हैं।

प्रमुख शिक्षण संस्थान

* इंस्टीच्यूट ऑफ  नेचुरोपैथी एंड यौगिक साइंसेज,बंगलूर

* प्राकृतिक चिकित्सालय अमीर पेठ, बेगमपेट, हैदराबाद

* निसर्गोपचार आश्रम उरूलीकांचन, पुणे, महाराष्ट्र

* इंडियन इंस्टीच्यूट ऑफ  योग नेचुरोपैथी, चंदन नगर, नागपुर

* प्राकृतिक चिकित्सालय, डायमंड हार्बर रोड, 24 परगना कोलकाता,पश्चिम बंगाल

* नेचर क्योर अस्पताल, (मारग्रेट स्कूल के पास) दार्जिलिंग, पश्चिम बंगाल

अपने प्रोफेशन के प्रति गंभीरता जरूरी

डा. विनोद कुमार

एचओडी सीनियर प्रोफेसर,  योगा एंड नेचुरोपैथी विभाग, शूलिनी  यूनिवर्सिटी सोलन

नेचुरोपैथी में करियर से संबंधित विस्तृत जानकारी प्राप्त करने के लिए हमने विनोद कुमार से बातचीत की। प्रस्तुत हैं बातचीत के प्रमुख अंश…

नेचुरोपैथी का करियर के लिहाज से क्या स्कोप है?

सही पढ़ाई यानी पोस्ट ग्रेजुएशन के बाद यह एक बहुत अच्छा करियर है। इसमें विभिन्न रोगों का इलाज प्रकृति की गोद में प्राकृतिक तरीके से होता है। नेचुरोपैथी के विशेषज्ञों की मांग तेजी से बढ़ रही है।

इस फील्ड में आने के लिए शैक्षणिक योग्यता क्या होनी चाहिए?

+2 के बाद आप बीएससी नेचुरोपैथी कर सकते हैं जो 3 साल का कोर्स है या बीएससी ऑनर्स भी  किया जा सकता है, जिसमें 3+1 यानी कुल चार साल का कोर्स।

क्या नेचुरोपैथी में विशेषज्ञ कोर्स किए जा सकते हैं? यदि हैं तो वे कौन से विशेषज्ञ कोर्स हैं?

ग्रेजुएशन के बाद पोस्ट ग्रेजुएशन कोर्स भी उपलब्ध हैं। इस फील्ड में हाइड्रो थैरेपी, मैगनेटिक थैरेपी एक्यूप्रेशर, फिजियोथैरेपैटिक जैसे कई अन्य विशेषज्ञ कोर्स भी हैं। मेरा मानना है कि  एक जिज्ञासु युवा को नेचुरोपैथी के साथ-साथ थैरेपैस्टिक योगा व डाइटरी इंटरवेंशन जैसे विषयों में भी महारत हासिल करना चाहिए।

रोजगार के अवसर किन क्षेत्रों में उपलब्ध होते हैं?

सेल्फ प्रैक्टिस के अलावा इस विषय के विशेषज्ञों की स्पा, फाइव स्टार रिजॉर्ट और अंतरराष्ट्रीय एंजेंसियों में भारी मांग है। विषय पर पूरी पकड़ होने के बाद आप इस विषय पर लेक्चर, भाषण और सम्मेलनों में भाग लेकर भी अच्छी आय प्राप्त कर सकते हैं।

आय इस फील्ड में कितनी होती है?

शुरुआत में 40 हजार से लेकर 1 लाख तक हर महीने की आय हो सकती है। आय आपके अनुभव, रोगों को पहचानने की क्षमता, क्लाइंट के साथ आपके तालमेल और आपके प्रोफेशनल व्यवहार पर निर्भर करती है।

युवाओं को इस करियर में किन चुनौतियों का सामना करना पड़ता है?

यह निर्भर करता है कि आप परिस्थितियों को अपने कितने अनुकूल कर सकते हैं। इस फील्ड में जहां कंपीटिशन भी बहुत है, वहीं कानूनी रूप से भी बहुत सारे नियम कायदे हैं। सही ज्ञान व सही दृष्टिकोण ही आपको सफल बना सकेगा।

जो युवा इस क्षेत्र में आना चाहते हैं, उनमें क्या विश्ेष गुण होने चाहिएं?

मेहनत, अच्छी पढ़ाई, सही नजरिया और अपने कार्य के प्रति ईमानदारी और अपने प्रोफेशन के प्रति गंभीर, बल्कि अपने क्लाइंट्स के प्रति भी गंभीर होना जरूरी है।

इस फील्ड में आने वाले युवाओं के लिए कोई प्रेरणा संदेश और सफलता के टिप्स दें?

आजकल युवा केवल एमबीबीएस और डेंटल आदि कोर्सेज के पीछे भागते रहते हैं, जबकि बेहतरीन भविष्य के लिए नेचुरोपैथी और भौतिक विज्ञान जैसे विषय भी हैं। इस फील्ड में नियमित प्रयास, नियमित अध्ययन और पेशे की गरिमा का सम्मान करना सफलता की कुंजी है।

— पंकज सूद, मटौर


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