पहाड़ी गाने बढ़ाते हैं ठिरशु त्योहार की गरिमा

 आनी —दो दिवसीय आनी के कुंईर मेले में स्थानीय लोग ने भगवान वेद व्यास ऋषि  के साथ ढोल नगाड़ों की धुन में नाटी डालकर मेले का शुभारंभ करते हैं । बैशाख मास के नौ-दस प्रविष्टे 23-24 अप्रैल को भगवान वेद व्यास ऋषि  चार मास के बाद अपने रथ में विराजमान होकर अपनी दिव्य पवित्र पावन स्थली कुंईर में ठिर्शु के त्योहार पर सभी भक्तों को सुख और समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं । यह पर्व भगवान वेद व्यास ऋषि जी काए साल का पहला त्योहार होता है इसी पर्व के बाद और पर्वों का आगाज होता है, परंतु ठिर्शु का यह प्रथम त्योहार कुंईर गांव में धूमधाम से मनाया जाता है। बुजुर्गों की मानें तो यह प्रथा सदियों से चली आ रही है  भगवान वेदव्यास ऋषि जी के मंदिर में साल का पहला पर्व धूमधाम से हो, इसके लिए सारे गांववासी पूरी मेहनत और लग्न के साथ इस त्योहार में चार चांद लगा देते हैं । कुंईर गांव के इस ठिर्शु त्योहार में भगवान वेद व्यास ऋषि जी का नाच मुख्य आकर्षण का केंद्र रहता है, जिसे देखने भारी भीड़ उमड़ी रहती है। उसके बाद नाटी की शुरुआत देवताओं के कारदार एवं गूर करते हैं। उपरांत बहुत से लोग एक बड़े घेरे में नाटी लगाते हैं और ढोल नगाडों के साथ पहाड़ी संगीत गाते हुए इस ठिर्शु के त्योहार की गरिमा को बढ़ाते हैं । कारदार इंद्र सिंह, नव प्रभात युवा संघ कुंईर के अध्यक्ष हरीश शर्मा, ठाकुर दास वर्मा, आशीष शर्मा, सीता राम, विनोद शर्मा, इंद्र पाल, जिया लाल शर्मा आदि मौजूद थे ।

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