पाकिस्तानी खिलाड़ी को चाहिए ‘हिंदोस्तानी दिल’

मंसूर अहमद का हृदय-प्रत्यारोपण होना है। वह भारत की ओर बड़ी उम्मीदों से देख रहे हैं। आप एकदम से शायद उन्हें न पहचान पाएं, लेकिन मंसूर 1990 के दशक की पाकिस्तान की मजबूत हाकी टीम के कप्तान थे। आज वह दिल की बीमारी से जूझ रहे हैं। वह अपने बीते दिनों के आसपास भी नहीं। पेसमेकर और स्टेंट से जुड़ी समस्या बढ़ने के बाद उनके पास हृदय प्रत्यारोपण के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा। वह बड़ी उम्मीदों से भारत की ओर से देख रहे हैं। उन्हें उम्मीद है कि दोनों देशों में मौजूदा सामाजिक और राजनीतिक परिस्थितियों के बावजूद भारत उनके जख्म पर मरहम लगाएगा। 49 वर्षीय अहमद ने कहा, करीब चार-पांच साल पहले मेरे दिल की सर्जरी हुई थी, लेकिन समस्या बनी रही। पिछले महीने मेरी हालत और खराब हो गई। अब डाक्टरों का कहना है कि हार्ट ट्रांसप्लांट ही एकमात्र रास्ता है। कराची के जिन्ना पोस्टग्रेजुएट मेडिकल सेंटर में डाक्टर चौधरी परवेज उनका इलाज कर रहे हैं। अहमद का केस अमरीका के कैलिफोर्निया और भारतीय अस्पतालों को रेफर किया गया है। अहमद ने कहा, हमने उन्हें रिपोर्ट भेजी है। हमें लगता है कि किफायती इलाज और कामयाबी की ऊंची दर के हिसाब से भारत बेहतर विकल्प है। अहमद ने फोन पर कहा कि उन्हें भारत से मदद की उम्मीद है, लेकिन मुझे आर्थिक मदद नहीं चाहिए। भारत का मेडिकल सिस्टम काफी अच्छा है। मैं सिर्फ इस बात की उम्मीद कर रहा हूं कि जब जरूरत पड़े तो मुझे वीजा दे दिया जाए। दोनों देशों के बीच तनाव के बावजूद पाकिस्तानी नागरिकों को मेडिकल वीजा देने में भारत ने हमेशा खुला दिल दिखाया है। अहमद ने कहा कि पंजाब (पाकिस्तान) के मुख्यमंत्री शाहबाज शरीफ ने उनके इलाज के लिए एक लाख अमरीकी डालर की रकम मंजूर की है और खर्च शाहिद अफरीदी फाउंडेशन द्वारा उठाया जा रहा है। अहमद ने तीन ओलंपिक, कई चैंपियन ट्रॉफी और वर्ल्ड कप में पाकिस्तान की नुमाइंदी की है। 1994 में वर्ल्ड कप फाइनल में नीदरलैंड्स के खिलाफ दो पेनल्टी स्ट्रोक्स रोककर यह गोलकीपर काफी सुर्खियों में आया था।

साथ खेलने की हैं कई यादें

यह वह दौर था, जब पाकिस्तानी हाकी टीम काफी अच्छा प्रदर्शन कर रही थी। इस दौर में जब पाकिस्तानी टीम भारत के अलावा किसी अन्य देश के खिलाफ खेलती तो भारतीय फैंस पाकिस्तान का समर्थन करते। अहमद अब भी ऐसी ही उम्मीद कर रहे हैं। उन्होंने कहा, हम मैदान पर प्रतिद्वंद्वी थे। मेरी आपके देश के खिलाफ खेलने को लेकर कई यादें हैं। हमारे मुकाबले काफी कड़े होते थे, लेकिन रात को हम साथ बैठते और खाते थे। साथ शॉपिंग करने जाते थे। अहमद ने आगे कहा, मुझे दिल से कहीं न कहीं लगता है कि हमारी भावनाएं अब भी वही हैं। इंशाल्लाह, जब मुझे आपके देश की जरूरत पड़ेगी तो आप मुझे निराश नहीं करेंगे।

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