मंडी का महाभारत…राजेश महेंदू्र बने व्यापारियों के अध्यक्ष, प्रशांत बहल महासचिव
लक्ष्मेंद्र गुलेरिया को बहिष्कार के बाद भी मिले १२ वोट
व्यापार मंडल के चुनाव से एक दिन पहले चुनावों का बहिष्कार करने वाले व्यापारी लक्ष्मेंद्र गुलेरिया को भी 12 वोट मिले। दरअसल लक्ष्मेंद्र पहले अध्यक्ष पद के उम्मीदवार के लिए खड़े थे, लेकिन व्यापार मंडल पर मनमानी का आरोप लगाते हुए उन्होंने चुनाव का ही बहिष्कार कर दिया। हालांकि उनका नाम बैलेट पेपर से हट नहीं पाया। ऐसे में उन्होंने भी 12 वोट हासिल कर लिए।
वोट कैंसिल करने पर गरमाया माहौल
दोपहर करीब 12 बजे के बाद वोट डालने पहुंचे एक शख्स को तकनीकी कारणों से रोक दिया गया। इसके बाद दूसरे पक्ष ने इस पर आपत्ति जताई तो माहौल गरमाने लगा, लेकिन आशंका भी तुरंत ही दूर हो गई।
विपाशा सदन मंडी में वोटरों की खूब सेवा-पानी
चुनाव के दौरान वोट डालने के लिए खूब लाइनें लगीं। ऐसे में इस दौरान बाकायदा पानी पिलाने की भी पूरी व्यवस्था की गई थी। इसके साथ ही चुनाव के साथ-साथ मंडियाली धाम का भी आयोजन किया गया था। वोट डालने के बाद सभी व्यापारियों ने पैंठ में बैठ कर धाम का भी लुत्फ उठाया।
हंगामापूर्ण माहौल
मंडी व्यापार मंडल के चुनाव हंगामापूर्ण माहौल में हुए। रविवार को मतदान से पहले ही इन चुनावों को लेकर स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई थी। एक ओर जहां पुरानी कार्यकारिणी के खिलाफ इंदिरा मार्केट व्यापारी यूनियन ने मोर्चा खोल रखा था, वहीं दूसरी ओर मंडी बचाओ संघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष लक्ष्मेंद्र गुलेरिया बार-बार चुनाव प्रक्रिया को लेकर सवाल उठाते रहे। वह व्यापार मंडल में रेहड़ी-फड़ी यूनियन ही नहीं बल्कि लेबर आफिस में पंजीकृत हर व्यापारी को इसका सदस्य बनाने की जिद पर अड़े थे। अपने इसी विरोध के चलते लक्ष्मेंद्र सिंह ने चुनाव से पहले ही बहिष्कार करने का ऐलान कर दिया। वहीं दूसरी ओर इंदिरा मार्केट के व्यापारी भी लामबंद होकर पुरानी कार्यकारिणी के खिलाफ मोर्चा खोले हुए थे। इंदिरा मार्केट व्यापारी यूनियन ने ही सबसे पहले मंडी व्यापार मंडल को लेकर सवाल उठाए थे। इसके बाद ही पुराने अध्यक्ष अशोक कपूर ने बाइस साल बाद चुनावी प्रक्रिया शुरू की, जिसमें अंततः पुरानी कार्यकारिणी समर्थित धड़े की जीत हुई है।
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