प्रदेश का भविष्य संवारने वालों का न हो अपमान

 पांवटा साहिब —प्राइवेट स्कूलों के खिलाफ प्रदेश सरकार की कथित भेदभावपूर्ण एवं असंगत नीतियों के खिलाफ पांवटा साहिब के निजी स्कूलों ने अपना मोर्चा खोल दिया है। रोष स्वरूप करीब दो दर्जन निजी विद्यालयों के संघ ने एसडीएम पांवटा के मार्फत मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को एक ज्ञापन भेजा है। इस ज्ञापन में निजी स्कूलों को प्रताडि़त करने की सरकार की नीतियों में बदलाव की मांग समेत स्कूलों की अन्य मांगें शामिल हैं। मुख्यमंत्री के दिए गए ज्ञापन में निजी स्कूल संचालक एनपीएस नारंग, बीएस सैणी, एनएम वर्मा, महेंद्र सिंह राठौर, भूपेंद्र सिंह, देवेंद्र सहानी, मलकियत कौर, मदन लाल, कृष्णा रॉय, गंगा सिंह तोमर, अक्षय शर्मा, रविंद्र सिंह आदि ने कहा है कि निजी व सरकारी स्कूलों के लिए समान कानून व नियम बनाए जाने चाहिए। निजी स्कूलों के खिलाफ एक तरफा कानून बनाकर सरकार उनके साथ अन्याय कर रही है। यदि सीसीटीवी कैमरे को लगाने के आदेश निजी स्कूलों के लिए हैं तो सरकारी स्कूलों के लिए भी होने चाहिए। इसके अलावा निजी स्कूलों की बसों के लिए जो नियम बनाए जा रहे हैं उससे भी निजी स्कूलों के प्रतिनिधि खफा हैं। निजी स्कूल प्रबंधन को बसों के लिए कई तरह के टैक्स चुकाने के आदेश दिए गए हैं, जबकि उनकी बसें तो केवल बच्चों की सुविधा के लिए है। इसके अलावा निजी स्कूलों को बुक, वर्दी व स्कूल माफिया आदि कहा जाता है, जो कि उनके मान-सम्मान को ठेस पहुंचाता है। प्रदेश के बच्चों के भविष्य को संवारने वालों को इस तरह के अपमानजनक शब्द इस्तेमाल नहीं किए जाने चाहिए। यदि कोई करता है तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए। निजी स्कूल बच्चों को अच्छी व गुणवत्तायुक्त शिक्षा प्रदान कर रहा है। यदि निजी स्कूलों में शिक्षा व्यवस्था ठीक नहीं है तो फिर सरकारी स्कूलों में सुधार करें। संघ का कहना है कि एक सर्वे के मुताबिक करीब 97 फीसदी अभिभावकों का कहना है कि विद्यालय के अधिकारी वर्दी, किताबें आदि सुविधाएं स्कूल में उपलब्ध करवाकर अभिभावकों को अनावश्यक असुविधाओं से बचाते हैं। संघ ने प्रदेश सरकार से मांग की है कि उन्हें इस प्रकार के सौतेले व्यवहार से छुटकारा दिया जाए।

सरकार मुहैया करवाए सुविधाएं

निजी स्कूली संघ ने प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से मांग की है कि निजी स्कूलों को माफिया आदि कहने के वजाय हिमाचल सरकार प्रत्येक निजी विद्यालय के विद्यार्थियों के लिए ट्रांसपोर्ट, पाठ्य पुस्तकें एवं अन्य पाठन सामग्री के साथ-साथ वर्दी मुहैया करवाने का जिम्मा लें, ताकि निजी विद्यालय भारी कर, चालान, भारी बीमा प्रीमियम के बढ़ते दबाव और सरकार की अनुचित मांगों द्वारा पीडि़त किए बिना विद्यार्थियों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने का कठिनतम कार्य कर पाएं। इस दौरान करीब पांवटा के 21 निजी स्कूलों के संचालक व प्रधानाचार्य मौजूद रहे।

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