बादल बरसे, तो गया सेब
शिमला— हिमाचल में अप्रैल के पहले सप्ताह में बारिश सेब आर्थिकी को संकट में डाल सकती है। प्रदेश के निचले और मध्यम ऊंचाई वाले क्षेत्रों में इन दिनों सेब के पौधों में कलियां खिला रही हैं। ऐसे में मौसम में बदलाव सेब बागबानी के लिए घातक साबित हो सकता है, जिसे लेकर बागबान चिंतित हैं। प्रदेश की लोअर बेल्ट यानी कम ऊंचाई वाले क्षेत्रों में फ्लावरिंग तीसरी और आखिरी स्टेज में चल रही है, जबकि राज्य के मिडल बेल्ट में सेब के पौधों में फ्लावरिंग की फास्ट स्टेज है। हालांकि मौजूदा समय में भी फ्लावरिंग के लिए तापमान अधिक चल रहा है, मगर ऐसे में बारिश तूफान भी फ्लावरिंग प्रक्रिया को प्रभावित कर सकता है। मार्च के आखिर में भी मिडल बेल्ट में कई जगह तूफान से फ्लावरिंग को नुकसान की सूचना है। अगर आगामी दिनों में मौसम विभाग के पूर्वानुमान के तहत गर्जन तूफान के साथ बारिश होती है, तो बारिश, तूफान से फूल झड़ने का खतरा है। जानकारोंं का मानना है कि फ्लावरिंग के समय सेब के बागीचों में 18 से 22 डिग्री तक तापमान होना जरूरी रहता है, जबकि मौजूदा समय में लोअर मिडल बेल्टों में तापमान 22 डिग्री से अधिक चल रहा है। पिछले सप्ताह के दौरान तो क्षेत्रों में तापमान में 23 डिग्री सेल्सियस से पार हो गया था। अब यदि बारिश से तापमान गिरता है और तेज बारिश होती है, तो यह फसल के लिए ज्यादा नुकसानदायक साबित हो सकती है।
पौधों पर न छिड़कें कीटनाशक
बागबानी विशेषज्ञों की मानें तो पिंक स्टेज व फ्लावरिंग के दौरान सेब के पौधों पर कीटनाशक का छिड़काव न करें। चूंकि यह सेब सेटिंग के लिए खतरनाक साबित हो सकती है। कीटनाशक के छिड़काव से कीट पतंगें या मधुमक्खियां फूलों पर नहीं बैठती। ऐसे में पराग कण पर विपरीत असर पड़ सकता है।
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