बिजली क्षेत्र ने बढ़ाई राज्य सरकार की चिंता

परियोजनाओं के लिए निवेशक न मिलने से बढ़ी परेशानी, 28 प्रोजेक्टों के लिए हो रही बिडिंग

शिमला— बिजली क्षेत्र में निवेश की चिंता जयराम सरकार को भी सतानी शुरू हो गई है। पूर्व सरकार में पांच साल तक निवेशक न मिलने के बाद वर्तमान सरकार ने भी निवेशक लाने के लिए प्रयास शुरू किए हैं। फिलहाल इसमें सफलता नहीं मिल पाई है। सूत्रों के अनुसार जिन परियोजनाओं के लिए करीब एक महीने पहले सरकार ने आवेदन मांगे थे, उनको अभी तक कोई आवेदन नहीं आए हैं। वैसे कंपनियों ने इन प्रोजेक्टों को लेकर रुझान दिखाते हुए इनकी शर्तों पर ऊर्जा अधिकारियों के साथ चर्चा जरूर की है, लेकिन अभी तक बिडिंग नहीं हो पाई है। बताया जाता है कि बिडिंग के लिए कोई कंपनी आगे नहीं आई है, वैसे संबंधित प्रपत्र कुछ कंपनियों ने ले लिए हैं। निवेशकों का रुझान न के बराबर देखते हुए सरकार भी चिंता में पड़ चुकी है। बताया जाता है कि इस संबंध में ऊर्जा मंत्री ने अधिकारियों के साथ चर्चा की है। अधिकारियों द्वारा वस्तुस्थिति से अवगत कराने के बाद ही सरकार की चिंता बढ़ी है। हिमाचल सरकार चाहती है कि केंद्र हाइड्रो पावर को ग्रीन एनर्जी में शामिल करे, ताकि यहां पर निवेश बढ़ सके, जिसके लिए केंद्र सरकार की नेशनल पावर पालिसी का इंतजार किया जा रहा है, परंतु अभी तक केंद्र सरकार की ओर से यह साफ नहीं हो पा रहा है कि नेशनल पावर पालिसी कब तक सामने आएगी। प्रदेश सरकार भी अपनी पावर पालिसी में बदलाव करने जा रही है, जिसका खाका तैयार है, लेकिन यदि नेशनल पालिसी सामने होती है तो कई तरह से प्रदेश को फायदा होता। उसके प्रावधानों को यहां पर अपनी पालिसी में इंगित किया जा सकता था। फिलहाल तो यहां सरकार इस क्षेत्र में निवेश को लेकर चिंतित है, क्योंकि कोई आवेदन नहीं आ रहे हैं।  यहां निवेशक कुछ राहतें चाहते हैं, जिनको देने का प्रावधान पॉलिसी के संशोधित प्रारूप में सामने आएगा। सरकार ने जो 28 परियोजनाएं आबंटन के लिए रखी हैं, उनके लिए मई महीने का टारगेट है। राज्य सरकार उत्तराखंड की तर्ज पर बिजली उत्पादकों को रियायत देने की सोच रही है, लेकिन मौजूदा समय में जो परियोजनाएं बिडिंग के लिए रखी गई हैं, उनमें इस तरह का प्रावधान नहीं है। इसलिए भी निवेशक अभी रुझान नहीं दिखा रहे हैं।

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