बिलासपुर में सजी सगोष्ठी

बिलासपुर – जिला भाषा एवं संस्कृति विभाग कार्यालय बिलासपुर में शुक्रवार को आयोजित मासिक साहित्यिक संगोष्ठी में कवि व साहित्यकारों ने अपनी एक से बढ़कर एक रचनाओं से सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। काव्य संगोष्ठी का आयोजन संस्कृति भवन बिलासपुर के बैठक कक्ष में किया गया। सर्वप्रथम साहित्यिकारों द्वारा मां सरस्वती के चित्र पर माल्या अर्पण किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता जिला लेखक संघ के अध्यक्ष रोशन लाल शर्मा ने की, जबकि मंच का संचालन सुरेंद्र सिंह मिन्हास द्वारा किया गया। इसके बाद लश्करी राम द्वारा मां की वंदना प्रस्तुत की गई। इसके उपरांत विनोद कुमार ने तेरे होठों की मुस्कराहट तेरे सुनहरे लवों की वो आहट, अवतार सिंह कौंडल ने उफ  तक नहीं की हमनें जब भी संघर्षों, कैप्टन बालक राम शर्मा ने करते हैं अपील हम भारत सरकार से देश की प्रतिभाओं को ना काटो आरक्षण के तलवार से, लश्करी राम ने देखा ओ लोकों आजकला रे मांडू जनानां मर्द क्या लगे कमाने जमीन खेतां उजड़ लगे पाणे, कविता सिसोदिया ने संता बंता थे दो पड़ोसी पर थे एकी दूजे रे दुश्मन, इंद्रेश शर्मा ने किसान और जबान ही असल में देश सेवा कर रहे, मुश्किल हालातों मे भी देश सेवा के लिए तत्पर, जशवंत सिंह चंदेल ने मैं नारी हूं नारी का सम्मान करो मैं श्री भगवद् हूं मैं द्रौपती हूं मैं सीता हूं मैं बलिदानों की गाथा हूं, एसआर आजाद ने हे मेरी महबूब कहा बह आज भटकती गली गली, अमर नाथ धीमान ने घराटा रा से आटा बाई रे पाणियां सयाणा रा साफ अंबां रा, नरैणू राम हितैषी ने किया था देश हमने जिन के हवाले उन्होंने काम कर दिखाए बडे़ निराले, सुरेंद्र सिंह मिन्हास ने बजीऐ रे मंदरा लगूरे मेले कई औन्दें रलीमिली कई कले औंदें, प्रोमिला भारद्वाज ने पहले भी थे कर अब भी है पर आ गया है अंतर आश्चर्य न कर घर तो हैं घर, रोशन लाल शर्मा ने मेरा बिलासपुर सुंदर प्यारा, हर कण इसका न्यारा न्यारा, कंचन कुमारी ने मेरे प्रियतम तुम कब आओगे तुम अपने संग कब ले जाओेगे इत्यादि प्रस्तुत की। इन रचनाओं ने वहां उपस्थित हरेक को प्रभावित किया। संगोष्ठी में आशीष राणा, प्यारी देवी, अमर सिंह, कांता देवी, परम देव शर्मा भी श्रोताओं के रूप में उपस्थित रहें। इस अवसर पर जिला भाषा अधिकारी नीलम चंदेल ने सभी साहित्यकारों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि कवि और लेखक समाज को सकारात्मक का भाव देते है। इससें समाज में संस्कृति, संस्कार व नैतिक मूल्यों का समावेश हो सके।

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