इराक के मोसुल में आईएसआईएस का शिकार बने चार साल से मिट्टी में दफन कांगड़ा के लाल आखिर मंगलवार को पंचतत्व में विलीन हो गए। जिला के तीनांे लाड़लों के अंतिम संस्कार पर हर आंख नम थी। पास्सू, लंज और फतेहपुर क्षेत्रों में तीनों युवाओं को विधिवत अंतिम विदाई दी गई
देहरा में भतीजे ने दी चिता को मुखाग्नि
देहरा गोपीपुर — देहरा उपमंडल के इंद्र जीत का शव घर से श्मशानघाट तक पहुंचता, इससे पहले मृतक के भतीजे छह साल के आयुष को अग्नि देने के लिए रीति- रिवाज के अनुसार शुद्ध कपड़ों को पहना कर तैयार किया गया। यह दीगर बात थी कि नन्हे आयुष को यह भी नहीं मालूम था कि उसे यह कपड़े क्यों पहनाए जा रहे हैं, जब आयुष को पूछा गया कि आप ने ये कपड़े क्यों पहने हैं, तो उसने भोले पन में कहा कि नहीं पता। भतीजे आयुष ने चाचा की चिता को मुखाग्नि दी।
यहीं रोजगार दे सरकार…तो युवा क्यों जाएं देश से बाहर
धर्मशाला —प्रदेश में रोजगार की व्यवस्था सरकार को करनी चाहिए। रोजगार की व्यवस्था यहीं हो तो युवाआंे को कहीं बाहरी मुल्खांे को जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। इराक मंे आईएसआई आतंकियांे द्वारा मारे गए धर्मशाला के समीपवर्ती पास्सू गांव के अमन के बड़े भाई रमन ने कहा कि रोजगार की व्यवस्था यहीं होती तो अमन जिंदा होता। उन्हांेने कहा कि युवाआंे को बाहरी मुल्खांे को जाने की इच्छा नहीं रखनी चाहिए। युवा विदेश जाने की इच्छा रखते हुए फर्जी एजंेटांे के जाल में फंस जाते हैं और उसका नतीजा बहुत ही दर्दनाक होता है। उन्हांेेने कहा कि बिना लाइसंेस के कार्य कर रहे एजंेटांे पर कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए। उन्हांेने कहा कि जिस प्रकार मैंने अपना भाई खोया है, उस प्रकार कोई अन्य परिवार अपने भाई-बेटे को न खोए, इस पर युवाआंे को भी बाहरी देशांे में जाने की इच्छा नहीं रखनी चाहिए। बढ़ रही बेरोजगारी ने एक हंसते-खेलते परिवार को तोड़कर रख दिया है। धर्मशाला के समीप पास्सू का अमन जो कि चंडीगढ़ में निजी कंपनी में कार्यरत था, वेतन कम होने की वजह से घर लौटने को मजबूर हुआ था। घर आने पर उसने जेसीबी आपरेटर का काम शुरू किया, लेकिन ललक पैसा कमाने की थी। इसी बीच उसने विदेश जाने का मन बनाया और घर वालों की बात न मानकर विदेश चला गया। शायद अमन ने सपने में भी नहीं सोचा होगा कि जिस लालसा के साथ वह विदेश जा रहा है, उसकी यह लालसा उसकी जिंदगी छीन लेगी।