रिटायर गोयल ने समाज को दिखाया रास्ता

By: Apr 4th, 2018 12:10 am

मां की प्रेरणा ने उन्हें समाजसेवा सिखाई है। जब उनकी मां सुबह-शाम के खाने के दौरान एक मुट्ठी आटा और एक मुट्ठी चावल बचाकर गरीब लोगों को खिलाती थीं। उनकी मां ने ही उन्हें इसी मार्ग पर चलने की प्रेरणा दी और वह आज दूसरों की सहायता करने में अपनी भूमिका निभा रहे हैं…

मां के नक्शे कदमोें पर चलेंगे तो जिंदगी में ठेस नहीं पहुंचेगी। मां के नक्शे कदम गरीबी को दूर करते हैं और परिवार मुकाम हासिल करता है। गरीबी रेखा से उठे इनसान में ‘मैं’ की भावना नहीं आनी चाहिए। मां के नक्शे कदम गरीबी को दूर करेंगे, नौकरी हासिल करवाएंगे। वहीं, समाज सेवा में हाथ बंटाना भी मां ही सिखाती है। मां द्वारा दिए गए उपदेश पर चलकर देवभूमि कुल्लू के भुंतर से तालुक्क रखने वाले सुरेश कुमार गोयल ने जहां मुकाम हासिल किया है, वहीं समाजसेवा करने की प्रेरणा भी मां से ली है। आज श्री गोयल हिमाचल प्रदेश की एक मशहूर शख्सियत बन गए हैं।

समाजसेवा की प्रेरणा का जिक्र करने पर उत्तर दर्द भरा मिलता है और सुरेश गोयल कहते हैं कि मां के नक्शे कदमों ने उन्हें आज समाज सेवा के पथ पर चलना सिखाया है तथा पूरी तरह से समाजसेवा में डटे हुए हैं। यह शख्सियत कुल्लू नहीं हिमाचल के लिए प्ररेणा स्रोत हैं और युवाओं को समाजसेवा को आगे आने का संदेश दे रहे हैं।  उनका जन्म 1953 में हुआ है और वह बिजली बोर्ड से सेवानिवृत्त हुए हैं। वर्ष 2008 में उन्होंने प्रयास फाउंडेशन संस्था बनाकर समाज सेवा का कार्य भी आरंभ किया था और इनकी संस्था में विभिन्न विभागों से अधिकारी सेवानिवृत्त हुए हीरा लाल बौद्ध, अश्वनी , खुशहाल ठाकुर, तारा घई और जीवन प्रकाश की भी समाज सेवा में बहुत योगदान है। 1965 में उनके पिता का देहांत गया और 1977 में माता का भी देहांत हो गया। पिता की मृत्य के बाद आर्थिक तंगी आई, लेकिन उनकी माता ने हिम्मत न हारते हुए परिवार को मुकाम हासिल करवाया है।

मां से मिली है समाज सेवी की प्रेरणा

मां की प्रेरणा ने उन्हें समाजसेवा सिखाई है। जब उनकी मां सुबह-शाम के खाने के दौरान एक मुट्ठी आटा और एक मुट्ठी चावल बचाकर गरीब लोगों को खिलाती थीं। उनकी मां ने ही उन्हें इसी मार्ग पर चलने की प्रेरणा दी और वह आज दूसरों की सहायता करने में अपनी भूमिका निभा रहे हैं। श्री गोयल जब वह बिजली बोर्ड में तैनात थे, तो उसी दौरान वहां तैनात एसडीओ अमरनाथ शर्मा ने भी समाज सेवा करने का रास्ता दिखाया , वह भी इनकी प्रेरणा का स्रोत हैं।

बाल आश्रम से की बच्चों को फ्री एजुकेशन देनी शुरू

उनकी संस्था ने वर्ष 2010 से बच्चों को निशुल्क शिक्षा देना आरंभ किया है। संस्था ने बाल आश्रम कलैहली में दो कम्प्यूटर भेंट किए और बच्चों को शिक्षा देनी आरंभ की। इसके बाद भुंतर की तीन गरीब बेटियों को निशुल्क पढ़ाया और आज तक बेटियों को पाठ्य सामग्री देने की सहायता की जा रही है। यही नहीं, उनकी संस्था हिमाचल प्रदेश की गरीब और असहाय परिवार की बेटियों को पाठ्य सामग्री ही नहीं, बल्कि पैसा भी दे रही है। वहीं, अग्निपीडि़तों को राहत सामग्री देने में उनकी संस्था आगे है। गोसदन में पशुओं को चारा दिया जा रहा है। विधवाओं को राशन दिया जा रहा है। अब क्षेत्रीय अस्पताल कुल्लू में हर रविवार को निशुल्क लंगर लगाने का फैसला लिया है।

– मोहर सिंह पुजारी, कुल्लू

जब रू-ब-रू हुए…

समाज के प्रति सही सोच के लिए जोश और जज्बा जरूरी…

समाज सेवा से आपका तात्पर्य?

मैं समझता हूं कि दुखों में जो किसी का हाथ बंटाता है, वही सच्ची समाज सेवा है।

इनसान अपने जीवन की प्राथमिकताएं चुनते हुए कहां गलती कर रहा है?

हर इनसान की कुछ गलतियां जरूर रहती हैं। लेकिन इनसान को प्राथमिकता चुनने से पहले किसी बड़े व्यक्ति की राय लेनी चाहिए,ताकि उसकी प्राथमिकताएं चुनने से पहले गलतियां ठीक हो जाएं।

जो सिर्फ  समाज दे सकता है या केवल सामुदायिक भावना से संभव है?

समाज सेवा हो, चाहे अन्य काम-काज। जुनून और जज्बे का होना जरूरी है। इसी से समाज सेवा बढ़ सकती है और सामुदायिक भावना भी उत्पन्न होती है।

हर किसी व्यक्ति की निजी आवश्यकताएं व व्यस्तताएं हैं, तो इनसे कब निवृत्त हो सकते हैं। या यह भी एक सोच है जो इच्छाओं से निर्लिप्त होने के लिए जरूरी है?

निजी आवश्यकताएं हर इनसान की होती हैं। आज का इनसान निजी व्यवस्तताओं पर ही चला हुआ है। समाज में क्या हो रहा है। इसकी इनसान को कोई चिंता नहीं है। लेकिन हर इनसान को धरातल भी देखना चाहिए कि कोई जरूरतमंद है, उसकी सहायता की जा सके।

जो ताउम्र नहीं सीख पाए, वह अचानक समाज सेवा से कैसे संभव हो गया?

मृत्य तक इनसान सीखता ही रहता है। मेरे स्वर्गीय माता-पिता की गरीबी ने मुझे समाज सेवा करने की राह दिखाई है। मेरे माता-पिता भी गरीबी के होते हुए भी समाजसेवा में अपनी अहम भूमिका निभाते थे। उनके नक्शे कदमों पर चला हूं।

प्रयास फाउंडेशन संस्था का सफर कैसे शुरू हुआ और इसके वास्तविक लक्ष्य क्या हैं?

प्रयास फाउंडेशन संस्था का सफर भी गरीबी को देखते हुए शुरू हुआ है। गरीबों की सहायता के लिए भी संस्था बनाई गई है। संस्था से जुड़े सभी लोग समाज सेवा के लिए हर वक्त तैयार रहते हैं।

कैसे पता चलता है कि इनसान का दर्द बांटा जा सकता है या राहत के लिए मरहम की सौगात कैसे तय होती है?

जब किसी के घर में अप्रिय घटना घट जाती है। संस्था सूचना मिलते ही सहायता करने के लिए निकल पड़ती है। तुरंत संस्था के पदाधिकारी आपात बैठक करते हैं और सहायता राशि एकत्रित करते हैं।

जब आप सामाजिक पीड़ा से आहत होते हैं या संसार की बेरुखी में खुद को पहचान लेते हैं?

मैं गरीब परिवार में जन्मा हूं। जिस परिवार के घर में घटना घट जाती है, उस पीड़ा को जान लेता हूं। जब दुख की घड़ी में कोई साथ देता है तो पहचान अपने आप होती है।

बेहतर समाज के चिन्ह या प्रतीक कैसे स्थापित होंगे?

समाज के प्रति अच्छी सोच रखने के लिए जोश और जज्बा होना लाजिमी है। बेहतर समाज के लिए चिन्ह या प्रतीक स्थापित करने के लिए दोनों जरूरी है।

इनसान साबित होने के लिए क्या एक जिंदगी काफी है या जीवन में पाने का मुकाम कहां मिला?

जिस तरह से अपने जीवन से प्यार करते हैं, उसी तरह से मानवता से प्यार करना चाहिए।  अकेली जिंदगी कुछ नहीं कर पाती है।

आप कब संतुष्ट होते हैं या कोई जब आपका मूल्यांकन करता है, तो सुकून को वजह मिलती है?

जब गरीब लोगों को मदद मिलती है,  उस दौरान सहायता कर संतुष्ट होता हूं और शरीर के लिए सुकून प्राप्त होता है। जीवन का आपका सिद्धांत जीवन में ईमानदारी।

अभी जो बाकी है, उसको करने की तमन्ना या पाने के लिए क्या बचा है?

गरीब, असहाय लोगों की सहायता करना। जिंदगी तक समाज सेवा करने के लिए प्रयासरत रहूंगा।

कोई प्रेरणा जो समाज सेवा की तस्वीर को बुलंद करती है या आपको जब और करने की ऊर्जा हासिल हो जाती है?

भीड़ के बीच से निकल कर जब कोई व्यक्ति समाज सेवा के लिए तन-मन-धन से दान करता है। वही तस्वीर जिंदगी में मुकाम हासिल करवा देती है। सच्चाई और निष्ठा का होना जरूरी है। अपने आप सेवा करने की ऊर्जा पैदा होती है।


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