विवाद खत्म, अब चलेंगी स्कूल बसें

सोलन —सोलन में बीते एक सप्ताह से स्कूली बच्चों को टैक्सियों में ढोने पर चल रहा विवाद फिलहाल समाप्त हो गया। निजी स्कूलों में अध्ययन कर रहे विद्यार्थी प्राइवेट वाहनों व टैक्सियों में ही स्कूल पहुंचे तथा अभिभावकों ने कुछ राहत की सांस ली। निजी वाहन चालकों, प्रशासन व स्कूल प्रबंधन के बीच हुई आपसी बातचीत से कुछ समय के लिए यह विवाद भले ही सुलझ गया है, किंतु समझौते के लिए एक सप्ताह की प्रतीक्षा में स्कूल प्रबंधन व प्रशासन की परीक्षा भी बनी हुई है। प्रशासन ने दिशा-निर्देश दिए हैं कि दस दिन के भीतर निजी टैक्सी चालक या अन्य वाहन उन स्कूलों के प्रबंधक वर्ग से समझौता करके उसकी एक कापी प्रशासन को भी उपलब्ध करवाए। समझौते मेें उल्लेख होगा कि अमुक स्कूल के विद्यार्थियों को घरों से लाने व ले जाने के लिए कौन-कौन सा वाहन अधिकृत है। प्रत्येक वाहन को स्कूल के साथ पंजीकृत करवाना अनिवार्य कर दिया गया है। इसके अतिरिक्त स्कूली बच्चों को ढोने के कार्य में लगे वाहनों के लिए कुछ नियम व शर्तें भी निर्धारित की गई है। वाहनों पर आन स्कूल डयूटी लिखवाने के साथ-साथ स्पीड की गति भी निश्चित की गई हे। यदि कोई बस है तो उसमें सी सी कैमरे भी लगाने अनिवार्य होंगे। सोमवार को निर्धारित शर्तों के बाद स्कूलों के विद्यार्थी निजी टैक्सियों का इंतजार करते नजर आए। शहर में यातायात व्यवस्था में थोड़ा सुधार होता नजर आया। सनद रहे कि कांगड़ा जिले में हुए भयानक हादसे में 24 स्कूली बच्चों की हुई दर्दनाक मौत के बाद जिला प्रशासन, आरटीओ व अन्य विभागोें ने सख्ती करते हुए बच्चों को ढो रही टैक्सियों के चालान काटने शुरू कर दिए थे। अंधाधुंध हो रहे चालानों से दुखी होकर टैक्सी चालकों ने हड़ताल करके स्कूली बच्चों को ढोने से अपने हाथ खड़े कर दिए थेदस हजार से भी अधिक स्कूली बच्चों के पैदल चलने, अभिभावकों द्वारा दोपहिया वाहनों का प्रयोग करने व एक बच्चे के लिए एक चौपहिया वाहन का इस्तेमाल करने से शहर में टै्रफिक व्यवस्था बुरी तरह चरमरा गई तथा अफरा-तफरी का माहौल बन गया। प्रशासन ने अब ही निकाला है कि स्कूल प्रबंधन व टैक्सी चालक एक समझौता करें तथा अपने वाहन को इस कार्य के पंजीकृत करवाएं। पुलिस अधीखक मोहित चावला ने कहा कि समझौते के लिए दस दिन का समय प्रदान किया गया है।

टैक्सियों के लिए ये रहेंगे रूल्ज

अब एक टैक्सी व वाहन की निर्धारित क्षमता के अनुरूप ही बच्चों को ढोया जा सकेगा। यदि स्कूली बच्चों की उम्र 12 वर्ष से कम है, तो वाहन में बैठने की कुल क्षमता से डेढ गुना ही बच्चों को ले जा सकेगा। अदालत के निर्देशों के अनुसार छह लोगों के बैठने की क्षमता वाले वाहन में नौ स्कूली बच्चे ही ढोए जा सकेंगे।

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