सुहाने सफर की ओर हिमाचल

By: Apr 2nd, 2018 12:05 am

हिमाचल में फोरलेन बनने से लोगों को जहां सर्पीली सड़कों से राहत मिलेगी, फासला कम होने से समय और पैसे की भी बचत होगी। हिमाचल में प्रस्तावित महत्त्वाकांक्षी फोरलेन परियोजना पर आधारित  इस बार का दखल…

फोरलेन हिमाचल प्रदेश की लाइफलाइन को बदल देगी। इससे प्रदेश की तकदीर और तस्वीर दोनों का नया अवतार होगा।  फोरलेन से हिमाचल में पर्यटन और व्यवसाय दोनों के अवसर बढ़ेंगे। या यूं कहें कि हिमाचल सुहाने सफर की ओर बढ़ रहा है।  धार्मिक पर्यटन से जुड़ी कांगड़ा घाटी को इस फोरलेन परियोजना से सबसे बड़ा लाभ मिलने की उम्मीद है। निचले हिमाचल की जनता का जीवन स्तर भी पूरी तरह बदल जाएगा। इससे किसानों और छोटे व्यवसायियों की आर्थिक स्थिति में बड़ा सुधार होगा। फिलहाल इस सड़क परियोजना के लिए थ्रीडी सर्वे आरंभ हो गया है।  फोरलेन परियोजना के निर्माण से कृषि और बागबानी को संजीवनी मिल सकती है। चंबा घाटी का सेब फोरलेन परियोजना के निर्माण से आर्थिकी के मायने बदल देगा। इसके अलावा किसानों को भी प्रत्यक्ष रूप से फोरलेन परियोजना का लाभ मिलेगा। नेशनल हाईवेज अथॉरिटी आफ इंडिया फोरलेन परियोजना के निर्माण में अत्याधुनिक मशीनों का प्रयोग कर रही है। इसमें साइंटिफिक तरीके से सुरंगों और पुलों का निर्माण होगा। भूकंप रोधी तकनीक से निर्माण को प्राथमिकता होगी। प्राकृतिक आपदाएं आने पर भू-स्ख्लन और नुकसान की कम संभावना रहेंगी। इसके लिए हाई टेक्नीक की टनल बोरिंग मशीनें प्रयोग में लाई जाएंगी। इससे फोरलेन का निर्माण कार्य रिकार्ड समय में बनकर तैयार हो जाएगा।

हिली टेक्नीक से बनेंगे मार्ग

हिमाचल में हिली टेक्नीक से प्रस्तावित फोरलेन के दोनों ओर आराम कक्ष बनेंगे। इनमें बाथरूम-शौचालय के अलावा आरामकक्ष की व्यवस्था भी होगी। फोरलेन के हर 50 किलोमीटर में दोनों ओर यह सुविधा दी गई है। उच्च शिक्षण संस्थानों के लिए फोरलेन के नीचे भूमिगत रास्तों का प्रावधान होगा। इसके अलावा डीपीआर में कोठीपुरा में प्रस्तावित एम्स तथा गगल एयरपोर्ट को जोड़ने के लिए भी अत्याधुनिक तकनीक की सर्विसलेन होगी। कुल 171 किलोमीटर लंबाई के प्रस्तावित पठानकोट-मंडी फोरलेन में आठ वे-टू एमनिटीज सेंटर बनेंगे। नेशनल हाई-वे के किनारे सिर्फ रेन शेल्टर का निर्माण होता है। इसके विपरीत राज्य के नए फोरलेन में महानगरों की तर्ज पर वे टू एमनिटीज सेंटरों का निर्माण होगा। इनमें पुरुष तथा महिलाआें के लिए अलग-अलग शौचालय बनेंगे।

पठानकोट-मंडी

सामरिक और पर्यटन की दृष्टि से महत्त्वाकांक्षी पठानकोट-मंडी फोरलेन के लिए तीन फ्लाईओवर और दो रेलवे ओवरब्रिज बनेंगे। इसके अलावा तीन टनल और आठ बाइपास से होकर गुजरने वाले इस फोरलेन की दूरी करीब 48 किलोमीटर कम हो जाएगी। इस पर अनुमानित आठ हजार करोड़ खर्च होंगे। अहम है कि परौर से लेकर चौंतड़ा के बीच 33 किलोमीटर का नया बाइपास रेलवे लाइन की पट्टी के साथ बनेगा। राधास्वामी केंद्र के समीप परौर रेलवे ब्रिज से यह बाइपास दैहण से गुजरते हुए पंचरुखी निकलेगा। बैजनाथ की शीतला माता मंदिर के समीप लडभड़ोल मार्ग से गुजरते हुए सीधा चौंतड़ा के बजगर पुल से जा मिलेगा। मंडी-पठानकोट फोरलेन की डीपीआर बना रही फीडबैक ज्वाइंट बैंचर एंड इन्फ्रास्ट्रक्चर कास्टा कंपनी ने अपनी डीपीआर नेशनल हाई-वे अथॉरिटी ऑफ इंडिया को सौंप दी है।  इस डीपीआर के अनुसार पठानकोट से मंडी की 219 किलोमीटर की दूरी अब घटकर 171 कलोमीटर रह जाएगी। इसी तरह मटौर से मंडी के बीच 131 किलोमीटर की दूरी 41 किलोमीटर घटकर मात्र 90 किलोमीटर रह जाएगी। इस फोरलेन के निर्माण के बाद कांगड़ा से मंडी का सफर एक से डेढ़ घंटे के बीच तय कर लिया जाएगा।

लागत 8000 करोड़

लंबाई 171 किलोमीटर

सुरंगें 3

बाइपास 8

रेलवे ब्रिज 2

फ्लाईओवर 3

पिंजौर-नालागढ़ फोरलेन

पिंजौर-नालागढ़ फोरलेन परियाजना से जहां प्रदेश के प्रमुख औद्योगिक क्षेत्र बीबीएन में औद्योगिक विकास को रफ्तार मिलेगी वहीं यातायात जाम की समस्या से भी निजात मिलेगी। बीबीएन में उद्योगों के पास माल 35 किमी लंबे पिंजौर-बद्दी रोड पर करीबन 18 किमी हिस्सा हरियाणा का है, जबकि हिमाचल के हिस्से में बद्दी से नालागढ़ तक करीबन 17 किलोमीटर सड़क मार्ग आता है। फोरलेन बनने के बाद नालागढ़ बद्दी की दूरी 31.1 किलोमीटर रह जाएगी  इस फ ोरलेन के निर्माण पर अनुमानित 472 करोड़ रुपए का खर्च आएगा।  इसके बनने से करीब चार किलोमीटर फासला कम होगा । प्रस्तावित फोरलेन के तहत 104 पुलियों का निर्माण होगा, 16 छोटे पुल और पांच बड़े पुलों का निर्माण होगा। इसमें 15 सर्विसलेन होंगी,  इसके अलावा दो फ्लाईओवर का निर्माण भी प्रस्तावित है।

ट्रैफिक जाम से छूटेगा पिंड

बीबीएन के उद्योगों से माल ढुलाई ट्रकों के माध्यम से की जाती है, मौजूदा समय में ज्यादातर ट्रक दिन में ट्रैफिक जाम की दिक्कत से बचने के लिए रात के वक्त ही माल ढुलाई करते है, लेकिन फोरलेन बनने के बाद उनके लिए दिन में भी ढुलाई करना आसान हो जाएगा। साथ ही ईंधन व समय की भी बचत होगी।

649 भवन आएंगे जद में, कारोबार होगा प्रभावित

नालागढ़-बद्दी फोरलने की जद में 649 रिहायशी, व्यावसायिक व सरकारी भवन आएंगे। जानकारी के अनुसार कई होटलों सहित दुकानदारों का कारोबार फोरलेन की भेंट चढ़ जाएगा।

निवेशकों को आर्किषत करेंगे बेहतर सड़क सुविधा

फोरलेन के बनने से जहां बीबीएन के उद्यमियों की बेहतर सड़क मार्ग की मांग पूरी होगी वहीं नए निवेशकों को भी बेहतर सड़क सुविधा निवेश के लिए आकर्षित करेगी। यह फ ोरलन पर्यटन स्थल कुल्लू-मनाली जाने वालों के लिए भी अहम भूमिका अदा करेगा,  अभी दिल्ली से आने वाले टूरिस्ट इसी रास्ते स्वारघाट होते हुए कुल्लू मनाली का रुख करते है।

लागत 472 करोड़

लंबाई 35 किलोमीटर

पुल 21

फ्लाईओवर 2

मटौर-शिमला फोरलेन

हिमाचल के सबसे महत्त्वाकांक्षी 203 किलोमीटर लंबे फोरलेन प्रोजेक्ट मटौर-शिमला की फाइनल डीपीआर को प्रदेश सरकार ने स्वीकृति प्रदान कर दी है। इसके तहत अब भू-अधिग्रहण प्रक्रिया आरंभ होगी। इसकी एस्टीमेटेड कॉस्ट पांच हजार करोड़ निर्धारित हुई है। इसके अलावा भू-अधिग्रहण की राशि अलग से है।   इस फोरलेन में 46 किलोमीटर लंबाई के आठ बाइपास बनेंगे। इसके अलावा आठ किलोमीटर लंबी अलग-अलग स्थान पर आठ सुरंगों का निर्माण होगा। कुल 223 किलोमीटर लंबे इस मार्ग की फोरलेन की लंबाई 203 किलोमीटर रह जाएगी। सड़क मार्ग की विजिबिलिटी 300 मीटर तक की होगी। इसमें दो रेलवे ब्रिज बनाए जाएंगे।

थ्रीडी सर्वेक्षण शुरू

फोरलेन निर्माण के लिए थ्रीडी सर्वेक्षण आरंभ हो गया है। इस सर्वे में जमीन की निशानदेही के साथ बुर्जियां स्थापित होंगी। इसके तहत फोरलेन की जद में आने वाले मकान, पेड़ और जमीन के चप्पे-चप्पे की पैमाइश होगी। इससे स्पष्ट हो जाएगा कि फोरलेन की चपेट में कुल कितने मकान और पेड़ आ रहे हैं। प्रभावितों को कितना मुआवजा देना पड़ेगा। धर्मशाला-शिमला फोरलेन निर्माण के लिए पहला सर्वेक्षण जारी हो चुका है।

लागत 5000 करोड़

लंबाई 203 किमी

सुरंगें 8

बाइपास 8

40 किलोमीटर बाद टोल बैरियर

हिमाचल की दो राजधानियों को आपस में जोड़ने वाले धर्मशाला-शिमला फोरलेन के बीच पांच टोल बैरियर स्थापित होंगे। कांगड़ा, ज्वालामुखी, हमीरपुर, घुमारवीं और दाड़ला में प्रस्तावित इन बैरियर पर वाहनों को टोल टैक्स चुकाना पड़ेगा। हर 40 किमी पर इस फोरलेन में टोल बैरियर बनेगा।

सैलानियों की आमद में इजाफा

कीरतपुर- नेरचौक से जिला मंडी में सैलानियों की आमद में काफी इजाफा होगा। फोरलेन से जुड़ने  के बाद जिला के पर्यटन को चार चांद लग जाएंगे। इसके अलावा सर्पीली सड़कों  से लोगों को काफी हद तक राहत मिलेगी  और फासले भी कम होंगे।

परवाणू-शिमला फोरलेन

62 किलोमीटर लंबी परवाणू-शिमला फोरलेन  3300 करोड़ रुपए की एक वृहद परियोजना है । इस परियोजना के तहत करीब 36 हजार छोटे-बडे़ वृक्षों को काटा जाएगा।  इसका निर्माण तीन चरणों में किया जाएगा। प्रथम चरण में परवाणू के बनारस से चंबाघाट (सोलन), द्वितीय चरण चंबाघाट से कैथलीघाट तथा तीसरे चरण में कैथलीघाट से ढली (शिमला बाइपास) तक फोरलेन बनेगा। इसमें स्टेट ऑफ आर्ट के तहत विदेशी कंपनी द्वारा झूला पुल (केबल स्टे ब्रिज) भी बनाया जाएगा।

परवाणू-शिमला फोरलेन का टारगेट इसका अवार्ड होने के बाद 910 दिन का रखा गया है। अब प्रथम चरण का कार्य पूरा होने की तिथि 31 मार्च, 2019 तक खिसक गई है। शेष दोनों चरणों के   सन् 2021 में पूरा होने की उम्मीद है।

परियोजना के पूरा होने से परवाणू से शिमला तक की दूरी करीब 28 किलोमीटर कम हो जाएगी। वर्तमान में यह दूरी 90 किलोमीटर है, इसी तरह चंडीगढ़ से शिमला 120 किलोमीटर की दूरी 92 किलोमीटर तक ही रह जाएगी

टूरिस्ट बढ़ेंगे, जमीन के दाम भी उछलेंगे

फोरलेन बनने के बाद   प्रदेश में संपत्तियों की वैल्यू काफी अधिक बढ़ जाएगी। विशेष रूप से सोलन व आसपास के क्षेत्रों में फ्लैट कल्चर वर्तमान की अपेक्षा काफी अधिक बढ़ेगा। इसी प्रकार जमीनों के रेट में भी इजाफा होने की संभावना है। पर्यटक सबंधित गतिविधियां भी बढ़ने की उम्मीद जताई जा रही है।

रोजगार के साथ-साथ होगी बचत

स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर मिलेंगे।  होटल, रेस्टारेंट तथा अन्य व्यवसाय भी बढ़ेगा। फोरलेन बनने के बाद करीब तीस किलोमीटर का सफर कम होगा। ऐसे में जाहिर सी बात है कि डीजल व पेट्रोल का खर्च भी कम होगा। बेहतर सड़क सुविधा होने की वजह से वाहनों की रिपेयरिंग आदि का खर्च भी कम होगा। जाहिर सी बात है कि किराया कम होगा, जिसका असर सकल घरेलू उत्पादों के रेट पर भी पड़ेगा। दूध, ब्रेड, फल व सब्जियों आदि के रेट में गिरावट आ सकती है।

प्रवेश शुल्क से  भरेगा सरकारी खजाना

फोरलेन बनने के बाद सबसे अधिक लाभ होटल व्यवसाय को होगा। पर्यटकों की संख्या बढ़ने के बाद होटल व्यासाय में बढ़ोतरी होगी। इसके अलावा प्रदेश सरकार को भी एंट्री फीस के रूप में मिलने वाली आय में बढ़ोतरी होगी।  धार्मिक पर्यटन पर भी इसका असर पड़ेगा। कृषि-बागबानी को भी फोरलेन बनने के बाद संजीवनी मिलेगी। कैरिज कम होने की वजह से बागबानों व किसानों को आर्थिक लाभ होगा।

लागत 3300 करोड़

लंबाई 62 किलोमीटर

सुरंगें 5

बाइपास 4

केबल ब्रिज 1

कीरतपुर-नेरचौक फोरलेन परियोजना

कीरतपुर-नेरचौक फोरलेन न केवल बिलासपुर और मंडी जिलों में पर्यटन, बल्कि संबंधित क्षेत्रों के लोगों की आर्थिकी के लिए कारगर सिद्ध होगा। 1818.47 करोड़ रुपए लागत से निर्माणाधीन फोरलेन पर पांच सुरंगें बनेंगी जिनमें चार बिलासपुर और एक मंडी जिला में निर्माणाधीन है। निर्माण कार्य पूरा करने के लिए तय लक्ष्य 2018 था, लेकिन विभिन्न कारणों की वजह से विलंब के चलते अब फरवरी 2019 तक बनकर तैयार हो जाएगा। साथ ही साथ इसकी लागत लगभग 2000 करोड़ तक बढ़ जाएगी। आईएलएफएस के प्रबंधक बृजेश गुप्ता के मुताबिक प्रथम चरण के कार्य के तहत किरतपुर से नेरचौक तक का फासला अभी 125 किलोमीटर है, लेकिन फोरलेन के बन जाने से कीरतपुर से नेरचौक की दूरी 85 किलोमीटर रह जाएगी, जबकि बिलासपुर से महज 26 किलोमीटर दूरी रहेगी। फोरलेन पर 17 मेजर और 28 माइनर ब्रिज बनाए जाएंगे। बृजेश गुप्ता की मानें तो फरवरी 2019 तक फोरलेन यातायात के लिए शुरू कर दिया जाएगा।

50 फीसदी ईंधन की होगी बड़ी बचत

खारसी परिवहन सहकारी सभा के महासचिव दौलतराम ठाकुर का कहना है कि फोरलेन निर्माण से निश्चित रूप से पर्यटन आकर्षण बढ़ेगा और पंजाब सहित अन्य राज्यों के लिए यहां से आवागमन सुलभ हो जाएगा, वहीं 50 परसेंट इर्ंधन की बचत होगी।  वाहनों के मरम्मत व अन्य रखरखाव के खर्चों में 20 से 30 परसेंट का फर्क पड़ेगा।

आसान हो जाएगा आना -जाना

सेवानिवृत्त कर्मचारी कल्याण एवं विकास मंच बिलासपुर के अध्यक्ष डा. केडी लखनपाल का कहना है कि फोरलेन निर्माण से निश्चित रूप से जीवन के मायने भी बदल जाएंगे। जहां बिलासपुर और मंडी सहित आसपास क्षेत्रों की जनता का पंजाब सहित अन्य बाहरी राज्यों के लिए आवागमन आसान एवं सस्ता हो जाएगा, तो वहीं, आपात स्थिति में अस्पतालों से रैफर किए जाने वाले मरीजों को पीजीआई चंडीगढ़ तक पहुंचाने में स्वारघाट के रास्ते लगने वाले घंटों के सफर से राहत मिल जाएगी और महज दो से अढ़ाई घंटे में चंडीगढ़ पहुंचा जा सकेगा। इसी प्रकार लोग भी सुबह चंडीगढ़ जाकर दिन भर शॉपिंग व ब्यूटीफुल सिटी के मुख्य स्थलों  का सैर-सपाटा करने के बाद शाम तक वापस घर लौट सकेंगे। यही नहीं, पर्यटन आकर्षण भी बढ़ेगा। पर्यटकों का बिलासपुर, मंडी, कुल्लू व मनाली के लिए आवागमन आसान व सस्ता होगा।

पर्यटन में आएगा निखार बढ़ेगा रोजगार

फोरलेन से बिलासपुर जिला का पर्यटन कारोबार निखरेगा और जिन-जिन क्षेत्रों से यह फोरलेन गुजरेगा,वहां के लोगों के लिए प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष तौर पर रोजगार व स्वरोजगार के भी ज्यादा अवसर पैदा होंगे।

लागत 2000 करोड़

लंबाई 85 किलोमीटर

सुरंगें 5

फ्लाईओवर 2

पुल 47


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