स्कूल-कालेजों में शुरू होगा जल संरक्षण पर पाठ्यक्रम

शिमला—प्रदेश में लगातार गिर रहा जल स्तर आने वाले समय में संकट खड़ा कर सकता है। मौसम में हो रहे परिवर्तन से प्राकृतिक जल स्रोत सूख रहे हैं, वहीं भूमिगत जल भी घटता जा रहा है। पानी की इसी चिंता को मंगलवार को सदन में भी उठाया गया। इस पर आईपीएच मंत्री महेंद्र सिंह ठाकुर ने कहा जल संरक्षण बेहद जरूरी है, जिसके लिए लोगों को जागरूक किया जाएगा। स्कूल-कालेजों में जल संरक्षण पाठ्यक्रम शुरू करने के लिए सरकार प्रस्ताव लाएगी। सदन में कांग्रेस विधायक दल के नेता मुकेश अग्निहोत्री ने नियम-130 के तहत जल संरक्षण के लिए ठोस नीति लाने को लेकर प्रस्ताव पेश किया। इसके जवाब में मंत्री ने कहा कि प्रदेश की जयराम सरकार ने जल संरक्षण के लिए कई योजनाएं तैयार की हैं। हालांकि रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम सरकार की पहली प्राथमिकता है। इसके साथ-साथ पहाड़ी क्षेत्रों के लिए स्नो हार्वेस्टिंग सिस्टम पर काम करेंगे। उन्होंने कहा कि इस अहम मुद्दे के लिए सत्तापक्ष और विपक्ष का सवाल नहीं है। हमें एकजुट होकर जल सरंक्षण के लिए काम करना पड़ेगा। प्रदेश सरकार ने हाल ही में जलसंरक्षण योजना के लिए 4751 करोड़ का कंसेप्ट नोट केंद्र सरकार को भेजा गया है। यह परियोजना सात चरणों में पूरी होगी, इसके लिए पहले चरण में चंगर के क्षेत्र को शामिल किया गया है। प्रोसेस शुरू कर दिया है और योजना तैयार होने में अभी समय लगेगा। सरकार एक और योजना ग्रीन क्लाइमेट फंड के लिए 1125 करोड़ का प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजेगी। इसके साथ ही पिछले 70, 80 और 90 के दशक में बनी पेयजल एवं सिंचाई योजनाओं को रिचार्ज करने के लिए 800 करोड़ का प्रस्ताव भी केंद्र सरकार को भेजेंगे।

किसानों की आय कैसे बढ़ेगी

विधायक मुकेश अग्निहोत्री ने कहा  कि जल संरक्षण के साथ-साथ जल प्रबंधन करना आवश्यक है और इसके लिए सरकार को अपनी नीति बतानी चाहिए। उन्होंने कहा कि आईपीएच मंत्री ने जल संरक्षण के लिए 4751 करोड़ का प्रोजेक्ट केंद्र को भेजा है और उसमें जो इलाके लिए हैं, उनकी जरूरत नहीं थी। जिन इलाकों में पानी का भारी संकट है, वे एरिया इसमें शामिल होने चाहिए थे।  सरकार किसानों की आय को कैसे दोगुना करेगी, जबकि सिंचाई के लिए उनके पास पानी नहीं होगा। उन्होंने कहा कि हाल ही में वाटर मैन राजेंद्र सिंह भी आए थे और उन्होंने भी जल संकट पर चेताया है।

अब तो तालाब भी सूख गए

विधायक रमेश धवाला ने चर्चा में हिस्सा लेते हुए कहा कि ग्लोबल वार्मिंग से पानी की समस्या और बढ़ रही है। गर्मी शुरू होते ही लोग सुबह से ही पानी के लिए हाहाकार करने लगे हैं। पानी के स्रोत सूख रहे हैं। पहले तालाब बनते थे और उनमें पानी होता था, लेकिन वे भी अब सूख गए हैं। धवाला ने कहा कि पानी की कमी को दूर करने के लिए जमीन के जल स्तर को बढ़ाना होगा। उन्होंने कहा कि पानी की समस्या का समाधान करने के लिए एक कमेटी का गठन किया जाए।

पानी बचाने का लें संकल्प

विधायक कर्नल धनीराम शांडिल ने कहा कि पानी की भारी कमी से लोग परेशान हैं। जरूरत ग्लेशियर्ज को बचाने की है। उनका कहना था कि पानी को बचाने के लिए सभी को एक संकल्प के रूप में लेना होगा और पौधरोपण हर व्यक्ति के लिए जरूरी करना होगा। इससे वन बढ़ेंगे और फिर ग्लेशियर भी बचेंगे और ग्लोबल वार्मिंग से भी निपट सकेंगे।