अपंग बच्चों की ऐसे करें देखभाल

घर-परिवार और समाज विशेष बच्चों के प्रति सकारात्मक रवैया अपनाएं व उन में आत्मविश्वास जगाएं, तो वे भी सामान्य लोगों की तरह कामयाबी की मंजिल पा सकते हैं। शारीरिक रूप से विकलांग न जाने कितने लोग आज अपने-अपने क्षेत्रों में अगर कामयाब हैं, तो इस के पीछे उनके माता-पिता और परिवार वालों की मेहनत व कोशिशें हैं। उन्होंने उन में आत्मविश्वास भरा और जीवन के प्रति उन की सोच को सकारात्मक बनाए रखा। सच है कि बच्चे पालना कोई बच्चों का खेल नहीं। जन्म से लेकर युवावस्था तक माता-पिता अपने बच्चों की देखरेख में जरा सी भी कसर बाकी नहीं रखते। बच्चे तो गीली मिट्टी के समान होते हैं, माता-पिता जैसा आकार दें, वे वैसे हो जाते हैं। जब बात आती है शारीरिक या मानसिक रूप से विशेष बच्चों की देखभाल की, तो माता-पिता की जिम्मेदारियां बढ़ जाती हैं। ऐसे बच्चे को न सिर्फ  मानसिक रूप से सकारात्मक रखने की बल्कि शारीरिक रूप से भी मजबूत बनाए रखने की जरूरत होती है। ऐसे में यदि माता-पिता जरा सी भी लापरवाही दिखाते हैं, तो बच्चे पर बुरा असर पड़ सकता है और वह खुद को समाज के अन्य बच्चों की तुलना में हीन समझने लगता है। मानसिक रूप से अपंग बच्चों के पालन- पोषण में न सिर्फ  उन को शारीरिक रूप से सहयोग देने की जरूरत होती है, बल्कि उन के अधूरे मानसिक विकास के कारण हर समय उन के साथ रहने की जरूरत होती है, जो बेहद ही जिम्मेदारी भरा काम है। विकलांगता दो प्रकार की  हो सकती है, शारीरिक और मानसिक। दोनों ही स्थितियों में विकलांग बच्चे की देखरेख में विशेष लालन-पालन करने की जरूरत होती है। आत्मनिर्भर और आत्मविश्वासी बनाएं : शारीरिक रूप से अपंग बच्चे को आत्मनिर्भर बनाने का प्रयास आप बचपन से ही शुरू कर दें। बच्चे को किसी के ऊपर निर्भर रहने का आदी बनाने के बजाय उस को अपने काम खुद करने की आदत डलवाएं।

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