अब 200 करोड़ में बनेगा पुल!

बिलासपुर —एक दशक से भी अधिक समय से राजनीति के पालने में झूल रहे गोबिंदसागर झील पर प्रस्तावित बैरीदड़ोलां पुल निर्माण की योजना आज दिन तक सिरे नहीं चढ़ पाई। पीडब्ल्यूडी की ओर से हायर किए गए कंसल्टेंट द्वारा किए गए सर्वे के तहत 2013 में इस पुल की लागत 165 करोड़ आंकी गई थी, जबकि वर्तमान में 200 करोड़ से ज्यादा आंकी जा रही है। ऐसे में इस महंगी लागत के पुल के बनने के आसार कम ही नजर आ रहे हैं। हालांकि एनएच विंग की मार्कंडेय में टनल के बाद टू लेन के जरिए फोरलेन से जोड़ने को लेकर पुल निर्माण की योजना जरूर है, लेकिन अभी इस पर भी स्थिति पूर्ण रूप से स्पष्ट नहीं है। जानकारी के मुताबिक जनता द्वारा बार-बार आवाज बुलंद किए जाने पर वर्ष 2007 में कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में तत्कालीन मुख्यमंत्री ने गोबिंदसागर झील पर बैरीदड़ोलां पुल निर्माण की आधारशिला रखी गई थी। उस समय बाकायदा ऐलान किया गया था कि जल्द ही पुल निर्माण को लेकर कवायद शुरू की जाएगी। हालांकि घोषणा के बाद पीडब्ल्यूडी की ओर से पुल निर्माण की योजना तैयार करने के लिए प्रोसेस शुरू हुआ था और टेंडर कर कंसल्टेंट की नियुक्ति की गई थी। मशीनरी इत्यादि की व्यवस्था कर पुल को लेकर कंसल्टेंट के जरिए सर्वेक्षण करवाया गया था। इस तमाम प्रोसेस के बाद पुल निर्माण की लागत एक सौ पेंसठ करोड़ रूपए आंकी गई थी, लेकिन बाद में सत्ता परिवर्तन हुआ और यह पुल लटक गया। हालांकि बीच-बीच में दोनों ही मुख्य राजनीतिक दलों द्वारा इस पुल निर्माण को लेकर कई मंचों से जिक्र किया गया, लेकिन बाद में किया कराया कुछ भी नहीं और यह पुल राजनीति का शिकार होकर रह गया। ताजा स्थिति में बढ़ते-बढ़ते इस पुल की लागत वर्तमान में 200 करोड़ से ज्यादा तक पहुंच गई है। हालांकि पीडब्ल्यूडी की ओर से 2013 में तैयार की गई डीपीआर राज्य सरकार की अप्रूवल के लिए भेज दी गई है और यदि अप्रूवल मिलती है तो इस डीपीआर को रिवाइज कर नए सिरे से तैयार किया जाएगा। वहीं, एनएच विंग ने भी पुल निर्माण को लेकर एक प्रोपोजल भेजा है। पूर्व सांसद सुरेश चंदेल ने केंद्रीय भूतल एवं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी से बैरी-दाड़ला मोड़ के लिए प्रस्तावित एनएच पर बीच से मार्कंडेय में टनल बनाकर बिलासपुर शहर के आसपास निकाल सीधे फोरलेन से जोड़ने की योजना स्वीकृत करवाई है। यदि योजना सिरे चढ़ती है तो एनएच विंग के माध्यम से बैरीदड़ोलां पुल निर्माण से सदर और झंडूता हलकों की लाखों की आबादी आपस में जुड़ जाएगी और झील के आर पार के लोगों का आवागमन भी सुलभ हो जाएगा।

क्या है योजना

बैरीदड़ोलां पुल निर्माण की योजना के तहत अभी दोनों किनारों पर भू अधिग्रहण की प्रक्रिया पूरी की जाएगी। इसके लिए प्रोसेस चल रहा है। सदर उपमंडल के तहत कोठीचांदपुर (बिलासपुर) की तरफ डेढ़ किलोमीटर तो झील के पार की तरफ  घुमारवीं उपमंडल के तहत लगभग 400 मीटर एरिया कवर किया जाना है। पीब्डल्यूडी द्वारा राजस्व विभाग के माध्यम से प्रोसेस चलाया गया है। इस सारी प्रक्रिया के पूरा होने पर और सरकार की अप्रूवल पर ही 2013 की डीपीआर संशोधित कर नए सिरे से तैयार की जाएगी।

चिरलंबित मांग

गोबिंदसागर घाट सुधार सभा के अध्यक्ष राम सिंह का कहना है कि झील पर बैरीदड़ोलां पुल का निर्माण नितांत आवश्यक है और यह सदर व झंडूता हलकों की जनता की चिरलंबित मांग भी है। इस पुल के लिए कई आंदोलन हुए हैं। सालों से यह पुल राजनीति का शिकार होता रहा है। अब जयराम सरकार से इस पुल निर्माण को लेकर उम्मीद बंधी है।

लागत महंगी होने के चलते ही ठंडे बस्ते में

हालांकि पूर्व कांग्रेस सरकार के समय कंदरौर स्कूल परिसर में आयोजित किए गए एक कार्यक्रम में तत्कालीन मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने वर्तमान में लागत महंगी होने के चलते इस पुल के निर्माण की संभावनाओं पर विराम लगा दिया था। उन्होंने स्पष्ट किया था कि चूंकि बिलासपुर शहर के समीप ही ट्रस्सल के पास गोबिंदसागर झील पर फोरलेन कंपनी एक पुल का निर्माण कर रही है, जिसके चलते एक और पुल की आवश्यकता नहीं रह जाती। इसी के चलते पूर्व सरकार के समय इस कवायद पर विराम लगाया था। अब नई सरकार इस पुल पर काम जरूर कर रही है, लेकिन अभी तक इस योजना को सिरे चढ़ाने के लिए गति नहीं मिल सकी है।

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