अवमानना में फंस सकती है सरकार!

By: May 26th, 2018 12:20 am

शिमला—मादक पदार्थ निरोधक अधिनियम के तहत सीज किए गए माल के रखरखाव, सैंपल और निपटारे बारे सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए दिशा-निर्देशों की राज्य सरकार द्वारा अनुपालना न किए जाने के मामले में प्रदेश हाई कोर्ट ने प्रथम दृष्टया पाया कि राज्य सरकार के खिलाफ अवमानना का मामला बनता है। राज्य सरकार की ओर से पेश हुए महाधिवक्ता के आग्रह पर अदालत ने मामले की सुनवाई दो सप्ताह तक स्थगित कर दी है। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश संजय करोल और न्यायाधीश अजय मोहन गोएल की खंडपीठ ने प्रधान सचिव गृह को आदेश दिए कि वह निजी शपथपत्र के माध्यम से अदालत को बताएं कि सर्वोच्च अदालत के आदेशों की अनुपालना करने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं। अदालत ने अपने आदेशों में स्पष्ट किया कि शपथपत्र दायर न करने पर प्रधान सचिव गृह को मामले की आगामी सुनवाई के दौरान अदालत के समक्ष उपस्थित रहना पड़ेगा। मामले की सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने अदालत को बताया कि मादक पदार्थ निरोधक अधिनियम के तहत सीज किए गए माल के रखरखाव, सैंपल और निपटारे बारे नौ जिलों में स्टोरेज स्थानों का निर्माण कर कार्यान्वित कर दिया गया है, बाकी जिलों में निर्माण कार्य शीघ्र कर दिया जाएगा। हाई कोर्ट ने इस पर असंतोष जताते हुए अपने आदेशों में कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने 28 जनवरी, 2016 को इसके निर्माण के लिए सिर्फ छह महीनों का समय दिया था, लेकिन राज्य सरकार द्वारा अढ़ाई वर्ष से अधिक का समय बीत जाने के बाद भी सर्वोच्च अदालत के आदेशों की अनुपालना नहीं की। ज्ञात रहे कि सुप्रीम कोर्ट ने मादक पदार्थ निरोधक अधिनियम के तहत सीज किए गए माल के रखरखाव, सैंपल और निपटारे बारे दिशा-निर्देश जारी किए हैं और इसकी अनुपालना के लिए संबंधित हाई कोर्ट को जिम्मेदार ठहराया है।

19 जून को होगी सुनवाई

 हाई कोर्ट ने प्रधान सचिव से मांगा जवाब सुप्रीम कोर्ट के आदेशों पर क्या कदम उठाएसुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अनुपालना करते हुए प्रदेश हाई कोर्ट ने प्रधान सचिव गृह और डीजीपी से स्टेटस रिपोर्ट तलब की है। मादक पदार्थ निरोधक अधिनियम से जुड़े मामले का निपटारा करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों को आदेश दिए थे कि इस अधिनियम के तहत पकडे़ गए मादक पदार्थों के रखरखाव के लिए स्टोरेज हाउस का निर्माण किया जाए और नियमानुसार इसका निपटारा किया जाए। मामले की आगामी सुनवाई 19 जून को निर्धारित की गई है।

टीएमसी के एडवाइजर को राहत नहीं

शिमला — प्रदेश हाई कोर्ट से भी राजेंद्र प्रसाद मेडिकल कालेज के प्रिंसीपल रमेश को राज्य सरकार में मेडिकल एजुकेशन में सलाहकार लगाए जाने के आदेश पर रोक लगाने के मामले में कोई राहत नहीं मिली। ज्ञात रहे कि प्रशासनिक ट्रिब्यूनल ने भी राज्य सरकार के आदेशों पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था। अदालत को बताया गया कि सलाहकार के पद पर लगाया जाना जनहित में नहीं है, क्योंकि वह एक बेहतर सर्जन हैं और सचिवालय में उनकी प्रोफेशनल स्किल का उपयोग नहीं हो पाएगा। सरकार की ओर से दलील दी गई कि प्रार्थी की अपनी फील्ड में हासिल की गयी महारत को देखते हुए सरकार ने उनकी सेवाएं राज्य स्तर पर लेने का निर्णय लिया है। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश संजय करोल और न्यायाधीश संदीप शर्मा की खंडपीठ ने  दोनों पक्षों की सुनवाई के पश्चात राज्य सरकार आगामी दो सप्ताह में जवाब दायर करने के आदेश दिए और मामले की आगामी सुनवाई 30 मई को निर्धारित की गई है।

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