अवैध निर्माण निपटाओ

By: May 21st, 2018 12:05 am

भोमिन, बल्ह, मंडी

हिमाचल प्रदेश में अवैध कब्जों पर चर्चा ने शैलबाला गोलीकांड के बाद रफ्तार पकड़ ली है! वास्तव में कुछ हद तक इसके लिए सरकारी नीतियां भी जिम्मेदार हैं। एक तरफ तो सरकार इन कब्जों को न्यायालय के आदेशों पर कार्रवाई करते हुए तुड़वा रही है, दूसरी तरफ सरकार इन कब्जों को नियमित करने की बात कर रही है। यह बिलकुल उचित नहीं है, क्योंकि जनता ऐसे प्रलोभनों से प्रोत्साहित होकर भविष्य में भी सरकारी जमीन को कब्जाने की कोशश करेगी, जो सरकार के लिए भविष्य में एक खतरनाक चुनौती बन जाएगी, जिससे निपटना बाद में असंभव हो जाएगा। अगर भविष्य में सरकार इस तरह की चुनौतियों से बचना चाहती है, तो आज ही कठोर कदम उठाने की जरूरत है, जिससे भविष्य के लिए एक सुचारू व्यवस्था का निर्माण हो सकेगा। मेरा यह मानना है कि सरकार को जनहित में ऐसी योजना बनानी चाहिए कि सरकारी भूमि पर कोई अवैध कब्जा ही न कर पाए और अगर कोई सरकारी भूमि पर कब्जा करता है, तो उस अवैध निर्माण को गिराने के बजाय सरकार अपने कब्जे में लेकर उस भवन में कोई सरकारी कार्यालय चला दे। इससे भवन गिरने से भी बच जाएगा, सरकारी संपत्ति भी सरकार के पास वापस आ जाएगी और सरकारी कार्यालय के लिए नवनिर्माण पर होने वाला खर्चा भी नहीं करना  पड़ेगा। अपने क्षेत्र का गहराई से अध्यनन करने पर देखा, तो पाया कि कई सरकारी कार्यालय किराए के मकानों में चल रहे हैं। इस नीति को अगर लागू किया जाता है, तो उन सरकारी कार्यालयों को भी अपना भवन मिल जाएगा और लोग भी सरकारी भूमि पर कब्जा न करने का मन बना लेंगे, जो आने वाले समय के लिए एक सुधारवादी निर्णय साबित होगा। उच्च न्यायलय द्वारा हाल ही में लिया गया निर्णय एक उचित और सुधारवादी निर्णय है और अगर इसे आधार मानकर भविष्य में भी उन अधिकारियों को दंडित किया जाता है, तो कोई भी अधिकारी अपने कार्यकाल में अवैध कब्जों को होने से रोकने का ईमानदारी से निर्वहन करेगा। इससे अवैध निर्माण करने व प्रोत्साहित करने वालों की दादागिरी पर रोक लग जाएगी।

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