कांगड़ा के जंगलों में आग ही आग

कांगड़ा —कांगड़ा क्षेत्र के जंगलों में आग का तांडव लगातार  जारी है। बताया जाता है कि ज्यादा पैदावार के चक्कर में  कुछ ग्रामीण  जंगलों में आग लगा रहे हैं, जिसका खामियाजा  जंगलों के आसपास बसे लोगों को भुगतना पड़ रहा है  । अग्निशमन विभाग  व विद्युत बोर्ड के कर्मचारियों  को भी  आग से निपटने के लिए भारी मशक्कत करनी पड़ रही है। विशेषज्ञ बताते हैं कि जंगलों में लगी आग से पैदावार अच्छी नहीं होती, बल्कि तमाम जनता को उसका नुकसान झेलना पड़ रहा है। गांव बोहड़क्वालू,  कल्लरी, मलाहडू, मानका, ढुक्की, दलिच्चु और सिरमणी  में एलटी लाइनों के तीन सीमेंटिड खंभों को भारी क्षति पहुंची है। लगभग 2300 मीटर ऑफ  साइज कंडक्टर जल कर राख हो गया है।  जंगल की भयंकर आग  दावानल लोगों के घरों तक पहुंचने से लोगों की सर्विस वायर पीवीसी और खंभों के ऊपर की सामग्री भी अग्नि की भेंट चढ़ गयी है।  वलेढ़ गांव के जंगल व नंदरूल जयंती माता मंदिर के साथ वाली पहाडि़यों में भी गुरुवार रात आग लगने से आसपास के लोगों और बिजली बोर्ड के कर्मचारियों को उसे बुझाने तथा अपने सप्लाई सिस्टम को बचाने में भारी मशक्कत करनी पड़ी।   विद्युत अनुभाग नंदरूल के जेई इंजीनियर चंद्र भूषण मिश्रा ने बताया कि कर्मचारियों की संख्या एरिया के हिसाब से वहुत कम है फिर भी स्थानीय निवासियों के सहयोग से गुरुवार को 11 केवी एचटी लाइन को टी.ऑफ  चत्तरा से सिरमणी और मलाहडू तक चालू कर दिया गया है । जहां-जहां एलटी लाइनों की तारें जल कर अथवा पिघल कर राख हो चुकी है,  उन्हें तत्काल बदला जा रहा है। उन्होंने बताया कि अनुभाग के अंतर्गत यद्यपि पांच पंचायतें कार्यरत हैं, तथापि पांच बिजली कर्मी विद्युत आपूर्ति को पुनः बहाल करने मे काफी जद्दोजहद कर रहे हैं। श्री मिश्रा ने बताया कि शाम तक एलटी लाइनों की विद्युत आपूर्ति भी पूर्ण रूप से सुचारू कर दी जाएगी।

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