जंगल की आग … जल रहे सरकार के दावे

पांवटा साहिब – प्रदेश में करोड़ों-अरबों रुपए की वन संपदा की रक्षा रामभरोसे ही है। ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि इन वनों की सुरक्षा का जिम्मा जिस वन विभाग के पास है उनके पास न तो वनों की सुरक्षा करने के लिए हथियार हैं और न ही पैट्रोलिंग के लिए वाहन। सुविधाओं के अभाव में बेशकीमती वनों की सुरक्षा की उम्मीद रखना ऐसे में बेमानी ही है। जानकारी के मुताबिक प्रदेश में वन विभाग सुविधाओं की कमी से जूझ रहा है। यही हाल पांवटा साहिब का भी है। यहां पर वन मंडल पांवटा के तहत पड़ने वाले चार वन रेंज में पैट्रोलिंग के लिए कोई सरकारी वाहन की सुविधा नहीं है। सिर्फ मंडल कार्यालय में डीएफओ के पास एक वाहन है। जब अधिकारियों को जंगलों में निरीक्षण के लिए जाना पड़ता है तो उन्हें किराए पर गाडि़यां लेनी पड़ती हैं। पकड़ी गई लकडि़यों के लिए भी किराए की गाड़ी मंगवानी पड़ती है। बिना हथियारों के तो पहले ही वनों की सुरक्षा करने वाले कर्मी हैं। साथ ही जंगलों में पेट्रोलिंग के लिए वाहन की कमी भी विभाग को खल रही है। पांवटा वन मंडल के तहत चार वन रेंज आते हैं, जिसमें पांवटा साहिब, माजरा, भंगानी व गिरिनगर वन रेंज है। पूरे पांवटा को 14 ब्लॉक में बांटा गया है, जिसमें 58 बीट है। पांवटा वन मंडल का दायरा करीब 48 हजार हेक्टेयर मे फैला हुआ है जो काफी विस्तृत है। यही नहीं यह वन मंडल सीमांत है और उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और हरियाणा की सीमाओं को छूता है।  ऐसे में सुविधाओं के अभाव में वन विभाग कितना कार्य कर सकता है इसका अंदाजा स्वयं ही लगाया जा सकता है। जानकारों की मानें तो यदि पांवटा वन मंडल के तहत आने वाली करोड़ों रुपए की वन संपदा की सही ढंग से हिफाजत करनी हो तो विभागीय कर्मियों को सुविधाएं देनी पड़ेंगी। सरकार को यहां पर हर रेंज में एक-एक वाहन समेत फोरेस्ट गार्ड व कर्मियों को हथियारों से लैस करना होगा । उधर, इस बारे वन मंडल पांवटा के डीएफओ एसएस राणा ने बताया कि पांवटा वन मंडल सीमांत होने के कारण संवेदनशील है। इसलिए यहां पर सरकार व विभाग से जरूरी सुविधाओं को मुहैया करने की मांग की गई है। वहीं इस बारे पांवटा साहिब के विधायक सुखराम चौधरी ने बताया कि वह वन मंत्री गोविंद ठाकुर से इस बारे बात कर पांवटा वन मंडल में जरूरी सुविधाएं प्रदान करने की मांग करेंगे।

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