बैंटनी कैसल…कांच की बोतल में चरखा

शिमला -बैंटनी कैसल में भाषा एंव संस्कृति विभाग की ओर से आयोजित शिल्प मेला पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बना है। इस मेले में पर्यटक शिल्प उत्पादों की खरीद में खासा रूझान दिखा रहे हैं। मेले की खास बात यह है कि बैंटनी के ऐतिहासिक प्रांगण में एक ही छत के नीचे हिमाचल  के शिल्प उत्पाद पर्यटकों को खरीद के लिए मिल रहे हैं। मेले में लगे हर एक स्टॉल पर अलग- अलग चीजें खरीदने के लिए मिल रही है।  शिल्प मेले में लगाए गए अलग-अलग स्टॉल पर वैसे तो कला के कई अद्भुत नमुने देखने को मिल रहे हैं, लेकिन  जिला हमीरपुर के गलोड़ से आए करतार सिंह द्वारा कांच की बोतल के अंदर बनाई गई कलाकृतियां को देखकर हर कोई हैरान है। कांच की बोतल के अंदर एफिल टॉवर, मंदिर, चरखा, ताजमहल, चर्च आदि सभी को अपनी ओर आकर्षित कर रहे हैं। मेले में किन्नौरी शाल, लकड़ी का फर्नीचर, तांबे के मुखौटे, रणसिंघे व बैंबू बांस से तैयार सामान भी मेले में प्रदर्शित किया गया है। लाहौल स्पीति से आई दिव्यांग चित्रकार कृष्णा द्वारा बनाई गई थांका पेंटिग भी  सबका ध्यान अपनी ओर आकर्षित कर रहीं हैं। इस शिल्प मेले का शिमला घूमने आए पर्यटक भरपूर आनंद उठा रहे हैं और  यहां लगाए गए स्टॉलों से खरीदारी भी कर रहे है। इस मेले में लगभग 50 शिल्पकारों ने अपने स्टॉल लगाए है।  विभाग का प्रयास है कि हिमाचल के वाद्य यंत्रों, चंबा रूमाल,  कांगड़ा पेंटिग को लघु आकृति के सांस्कृतिक प्रतिकों के रूप में तैयार किया जाए, ताकि यहां आने वाले पर्यटक इन्हें आसानी से अपने साथ ले जा सके।  मेले में चंबा रूमाल और कांगड़ा की मिनियेचर पेंटिग भी सबको खुब भा रही है इसके अलावा मिट्टी के बने तरह-तरह के बर्तन और लकडि़यों से बनी आकृतियां और सजावटी पीस भी पर्यटकों को खासे पंसद आ रहे है पहली बार विभाग की ओर से पुरानी राहें योजना के तहत इस तरह का भव्य आयोजन किया गया है जिसका लाभ शिल्पकारों के साथ ही पर्यटकोंं को भी मिल रहा है।

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