वृद्ध मरीजों को नहीं मिल रहा इलाज

 शिमला —प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल आईजीएमसी में भले ही ओपीडी में डाक्टर मिलते हों लेकिन इससे अस्पताल के गंभीर और वृद्ध लोगों को कोई फायदा नहीं होता। अस्पताल में सुबह नौ बजे मरीजों की लंबी लाइन इस कद्र लग जाती है कि यहां लोग अपनी बारी के लिए लड़ते-झगड़ते भी है।  इस बीच अस्पताल में आने वाले गंभीर मरीजों  ओर वृद्ध लोगों को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। उन्हें भी ओपीडी के बाहर आम मरीजों के साथ लंबी लाइन में खड़े होना पड़ रहा  है। जिससे उनकी सेहत और बिगड़ जाती है, लेकिन अस्पताल में गंभीर ओर वृद्ध मरीजों को कोई भी पहले डाक्टर के पास भेजने की हिम्मत नहीं करते है। जबकि अस्पताल में लगे सुरक्षा गार्ड को यह जिम्मा प्रशासन को सौंपना चाहिए। ऐसा ही मामला अस्पताल में बिते शुक्रवार को भी सामने आया। यहां पर 65 वर्षीय वृद्ध महिला गंभीर रूप से घायल थी। उनकी किसी दुर्घटना में कमर ओर बॉडी में कई जगह गंभीर चोटें लगी थीं, लेकिन उनके परिजनों को किसी ने अंदर नहीं जाने दिया। यह मामला अस्पताल के सर्जरी विभाग में पेश आया था। सामाजिक कार्यकर्ता निशा ठाकुर ने जब इस मामले को ओपीडी में बैठे डाक्टर के समक्ष लाया तो उसके बाद काफी मशक्कत करने पर उस वृद्ध महिला को ट्रीट किया गया। ऐसे में शिमला के  खलीणी में रहने वाली निशा ठाकुर ने आरोप लगाया कि अस्पताल में वृद्ध मरीजों का पहले इलाज करने की गाइडलाइन के बाद भी आईजीएमसी में इसे दरकिनार किया जा रहा है।  उल्लेखनीय है कि स्वास्थ्य विभाग और आईजीएमसी प्रशासन की ओर से अस्पताल में पर्ची बनाने से लेकर इलाज करने तक की सुविधा सबसे पहले दी जाती है। लेकिन हकीकत तो यह है कि आईजीएमसी में इस गाइडलाइन को प्रशासन पूरी तरह से भूल चुके हैं। हालत यह हो गई है कि आईजीएमसी के पर्ची काउंटर से लेकर ओपीडी में भी गंभीर व वृद्ध मरीजों को पहले इलाज की सुविधा उपलब्ध नहीं है।

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