सिर्फ 500 रुपए पेंशन में गुजारा

 हमीरपुर—प्रदेश के 550 नॉन पेंशनर्ज को आज भी मात्र 500 रुपए की पेंशन के रूप में दिए जा रहे हैं। पेंशन वृद्धि की सैनिक बोर्ड की प्रोपोजल पर प्रदेश सरकार ने अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की है। इस तरह राज्य सैनिक बोर्ड द्वारा दी जा रही मात्र 500 रुपए ओल्ड-एज पेंशन पर गुजारा कर रहे नॉन पेंशनर अब सामाजिक न्याय अधिकारिता विभाग से पेंशन के हकदार नहीं हैं। उन्हें किसी एक जगह से ही पेंशन मिल सकती है। करीब एक वर्ष पहले भेजी गई पेंशन वृद्धि की प्रोपोजल को हिमाचल सरकार से लटका दिया है। प्रदेश सरकार ने राज्य सैनिक बोर्ड को सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग से क्लीयरेंस सर्टिफिकेट भेजने को कहा है। हालांकि निर्देश जारी होने के तुरंत बाद ही सैनिक बोर्ड ने क्लीयरेंस सर्टिफिकेट भेज दिया है, लेकिन आज तक इस बारे में कोई निर्णय नहीं लिया गया है। ऐसे में ये पूर्व नॉन पेंशन मात्र 500 रुपए में बुढ़ापा काट रहे हैं।  बता दें कि वर्ष 1987 से पहले हुए युद्धों में भाग लेकर घर वापस लौटने वाले फौजियों को नॉन पेंशनर का नाम दिया गया है। उन्हें 500 रुपए मासिक पेंशन प्रदान की जाती है। सामाजिक न्याय अधिकारिता विभाग अपने पेंशनरों को 1250 रुपए मासिक भत्ता दे रहा है, वहीं ये पेंशनर अनदेखी का शिकार हो रहे हैं। इसी के मद्देनजर राज्य सैनिक बोर्ड नेे वर्ष 2017 में पेंशन को बढ़ाकर करीब तीन हजार रुपए करने की प्रोपोजल भेजी थी। कई महीने तक इस प्रोपोजल के संबंध में कोई निर्णय नहीं लिया गया। अब नई सरकार भी इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रही है। बताते चलें कि नॉन पेंशनर की संख्या भी साल दर साल कम होती जा रही है। इन वीर जवानों ने 1962 व 65 की लड़ाई में अपनी अहम भूमिका अदा की है। युद्ध के दौरान सेना ने जरूरत के समय उन्हें बुलाया था। युद्ध समाप्त होने के बाद उन्हें वापस घर भेज दिया गया।

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