स्लम… न सुविधा, न ही सुरक्षा

बीबीएन – औद्योगिक क्षेत्र बीबीएन में प्रवासी कामगारों की 15 हजार से ज्यादा झुग्गियों में गुजर-बसर कर रहीं अनगिनत जिंदगियां बारूद के ढेर पर बैठी हैं। हालात ये हैं कि  कागजी सुरक्षा इंतजामों और प्रशासन के मूकदर्शक बनें रहने से झुग्गी-झोंपडि़या कब्रगाह बनती जा रही हैं, गुरुवार को हुई आगजनी की घटना इसे ब्यां करने के लिए काफी है कि बीबीएन में झुग्गी झोंपडि़यों में रहने वाले किस तरह से जिंदगी गुजार रहे हैं, दरअसल यहां उद्योगों की रीढ़ कहे जाने वाले कामगारों की जान का कोई मोल नहीं रह गया है , हर साल आगजनी के दर्जनों मामले झुग्गियों में घट रहे है कई बार प्रवासी कामगारों को जान गंवानी पड़ी है लेकिन इन घटनाओं को कैसे रोका जाए कोई प्रभावी कदम नहीं उठाए है, नतीजतन झुग्ग्यों के स्वाह होने का और मासूम जिंदगियों का स्वाह होने का क्रम बदस्तुर जारी है।  आलम यही है कि बढ़ती गर्मी और जरा सी लापरवाही से फैलने वाली आग कई जानें लील सकती हैं। लेकिन औद्योगिक स्लम बीबीएन में जाने क्यों प्रशासन हादसों से सबक नहीं ले रहा। गौरतलब है कि बेतरतीब ढंग से बसी इन झुग्गी-झोंपडि़यों में आए दिन आगजनी की घटनाएं घटती रही हैं, जिससे जहां मेहनतकश कामगारों की मेहनत की कमाई स्वाह हो रही है, वहीं कइयों को अन्य हादसों में वेवक्त मौत का सामना भी करना पड़ा है। अकेले बीबीएन में हजारों की तादाद में स्थापित झुग्गी-झोंपडि़यों में लोग अन्य राज्यों से आकर अपना जीवनयापन कर रहे हैं। उद्योगों के पास सुविधाएं नाममात्र हैं, ऐसे में लोग झोंपडि़यों में जान जोखिम में डालकर गुजर-बसर करने को विवश हैं। इन झुग्गियों में न शौचालयों की व्यवस्था है, न सुचारू पेयजल आपूर्ति और न ही अन्य मूलभूत सुविधाएं। एक दशक में बीबीएन की आबादी करीब पांच लाख तक जा पहुंची है। साल 2002 में बीबीएन की जनसंख्या करीब डेढ़ लाख के करीब थी।  बद्दी-बरोटीवाला-नालागढ़ में स्थापित उद्योगों में देश के तकरीबन हर राज्य के लोग कार्यरत हैं। बीबीएन का 90 फीसदी स्लम निजी भूमि पर है जिस पर प्रशासन की नाक के नीचे ही अवैध रूप से बिजली, पानी और बिना लाइसेंस के दुकानदारी चल रही है। इस सस्ती सुविधा के कारण ही औद्योगिक क्षेत्र झुग्गियों का गढ़ बनता जा रहा है। स्लम में सुविधा तो दूर की बात, सुरक्षा प्रबंधों की भी कोई व्यवस्था नहीं है। इसके बावजूद सुधार के नाम पर प्रशासन नोटिस  जारी करने तक सीमित होकर रह गया है।

कहां गई लो कास्ट हाउसिंग स्कीम

प्रशासन और बीबीएनडीए बीबीएन में झुग्गियों को व्यवस्थित और कानूनी रूप से बसाने की दिशा में बीबीएनडीए इन दिनों लो कास्ट हाउसिंग प्लान को लेकर अरसे से कदमताल कर रहा है। लेकिन यह योजना अधर में ही लटक कर रह गई है।

निजी भूमि पर बेरोकटोक बस रही झुग्गियां

औद्योगिक क्षेत्र बद्दी, बरोटीवाला, नालागढ़ (बीबीएन) में जमीन सरकारी हो या निजी, कई स्थानों पर झुग्गी-झोपडि़यां दिखती हैं। दोषी सिर्फ झुग्गी-झोपड़ी बनाने वाले ही नहीं बल्कि वे लोग भी हैं, जो ऐसा करने की अनुमति देकर उनसे हर महीने किराया वसूल करते हैं। झुग्गी झोपडि़यां बनाने वालों पर किसी का कोई नियंत्रण नहीं है, प्रशासन भी निजी भूमि को किराए पर देने वालों पर कोई अंकुश नहीं लगा पाया है, या यूं कहे कि प्रशासन मूकदर्शक ही बना हुआ है। बीबीएन में सबसे बड़ा सवाल सुरक्षा व्यवस्था का है। कब किस क्षेत्र में आग की लपटें उठ जाएं, कोई पता नहीं जिसका सबसे बड़ा कारण झुग्गी-झोपडि़यां हैं।

बीबीएन में 1.20 लाख हैं प्रवासी मजदूर

औद्योगिक क्षेत्र बीबीएन में बाहरी राज्यों से नौकरी करने आने वाले प्रवासियों की तादाद करीब 1.20 लाख है। इतनी बड़ी संख्या में बाहरी लोगों के लिए वेतन के अनुरूप सस्ते मकान उपलब्ध नहीं हैं। औद्योगिक क्षेत्र में वन रूम सेट की कीमत चार हजार से शुरू होती है। इसे उद्योगों का मजदूर वर्ग वहन नहीं कर पाता।

हजारों झुग्गियां चढ़ चुकी है आग की भेंट

औद्योगिक क्षेत्र बीबीएन में आगजनी के मामलों पर नजर दौड़ाई जाए तो सबसे अधिक मामले झुग्गियों में ही सामने आते हैं। 2012 से अब तक के मामलों में 1500 से ज्यादा झुग्गियां आग की भेंट चढ़ी हैं। दमकल  विभाग के आंकड़ों के तहत करोड़ों की संपत्ति इसमें जलकर राख हुई तथा चार बच्चों की मौत हो चुकी है ।

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