60 फीसदी अनुदान पर भेड़-बकरियां

मुख्यमंत्री कृषक योजना के तहत बीपीएल परिवारों को मिलेगा लाभ

शिमला—प्रदेश सरकार राज्य के पशुपालकों की आर्थिकी को सुदृढ़ करने के लिए नई योजना शुरू करने जा रही है। पशुपालन विभाग ने ‘मुख्यमंत्री कृषक भेड़-बकरी पालक’ योजना के तहत बीपीएल परिवारों के लिए नई योजना दी है। बजट में मुख्यमंत्री द्वारा घोषित इस योजना के तहत बीपीएल परिवारों की अजीविका को सुदृढ़ करने के लिए तीन से लेकर 11 भेड़ें और बकरियां अनुदान पर दी जाएंगी। इस पर 60 फीसदी का अनुदान सरकार की ओर से दिया जाएगा, जबकि शेष 40 फीसदी कृषक वहन करेंगे। विभाग ने इस योजना को तीन श्रेणियों में बांटा है और हर श्रेणी पर सरकार ने ट्रांसपोर्टेशन के फायदे भी दिए हैं। सोमवार को पशुपालन मंत्री वीरेंद्र कंवर ने बताया कि प्रथम श्रेणी के तहत कृषक को 10 बकरियां और एक बकरा दिया जाएगा, जिसकी कुल लागत 58 हजार की होगी। इस पर 34800 का अनुदान सरकार की ओर से देय होगा। पहली श्रेणी में ट्रांसपोर्टेशन के लिए इस वर्ग के लिए 5000 रुपए और भेड़-बकरियों के खान-पान के लिए 6840 रुपए भी दिए जाएंगे। इसके अलावा 2320 प्रति वर्ष के हिसाब से बीमा विभाग की ओर से करवाया जाएगा। दूसरी श्रेणी में चार बकरियां और एक बकरा मुहैया करवाया जाएगा, जिसकी लागत 28000 रुपए होगी। इसमें से 16800 रुपए अनुदान के रूप में सरकार की ओर से देय होंगे और 11200 कृषक को अपनी ओर से वहन करना पड़ेगा। इसमें भी ट्रांसपोर्टेशन का खर्चा 2500 रुपए और खानपान के 3736 रुपए सरकार की ओर से दिए जाएंगे। इसमें 1120 रुपए प्रति वर्ष के हिसाब से पशुओं का बीमा भी सरकार की ओर से किया जाएगा। तीसरी श्रेणी में दो बकरियां और एक बकरा मुहैया करवाया जाएगा, जिसकी लागत कुल 18000 पर होगी। इसमें 10800 रुपए सरकार की ओर से अनुदान दिया जाएगा और 7200 कृषक को अदा करने होंगे। ट्रांसपोर्टेशन का खर्चा 1000 रुपए और 1368 रुपए खानपान पर सरकार की ओर से देय होंगे। वहीं 720 बीमा के रूप में भी सरकार की ओर से दिए जाएंगे। वीरेंद्र कंवर ने कहा कि अभी बीपीएल परिवारों के लिए यह योजना शुरू की जा रही है, लेकिन सरकार इस योजना में एपीएल परिवारों को भी लाने पर विचार कर रही है। उन्होंने कहा कि किसानों को बकरियों की बढि़या नस्ल दी जाएगी, जिसके दूध को बेचने के लिए कलेक्शन सेंटर भी खोले जाएंगे। इसके अलावा जहां बकरियों के लिए चरान नहीं है, वहां बकरियों के चारे का प्रबंध भी घरद्वार पर ही होगा। अच्छी नस्ल के पशु उपलब्ध करवाए जाएंगे और बाद में किसान उनको बेच भी सकेंगे। उन्होंने कहा कि बकरियां किसानों के एटीएम का भी काम करती हैं, जिन्हें कभी भी बेचकर वह लोग पैसा हासिल करते हैं।

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