मंडी— प्रदेश के सबसे बड़े मेडिकल कालेज एवं चिकित्सा संस्थान देश के टॉप-25 मेडिकल कालेजों में जगह बनाने में नाकाम रहे हैं। आउटलुक-2018 द्वारा जारी की गई लिस्ट में एक बार आईजीएमसी शिमला और टांडा मेडिकल कालेज सूची में जगह नहीं बना पाए हैं। आईजीएमसी शिमला को हिमाचल के सबसे बड़े अस्पताल का दर्जा प्राप्त है, जबकि टांडा मेडिकल कालेज को दूसरे नंबर का स्वास्थ्य संस्थान बताया जाता है। हैरानी की बात यह है कि आउटलुक की इस लिस्ट में आईजीएमसी को जगह बना ही नहीं पा रहा है, लेकिन लगातार तीन साल इस सूची में जगह बनाने वाला टांडा मेडिकल कालेज भी लिस्ट से बाहर है। यह लगातार दूसरी मर्तबा है, जब टीएमसी को आउटलुक की लिस्ट में जगह नहीं मिली है। इससे पहले टीएमसी इस 2014, 2015, 2016 में लगातार इस लिस्ट में जगह बना चुका है। टांडा मेडिकल कालेज 2014 में इस लिस्ट में 21, 2015 में 19 और 2016 में फिर 19वें स्थान पर रहा था। हालांकि 2017 में टीएमसी आउटलुक की लिस्ट से बाहर हो गया और यह लगातार दूसरा साल है, जब टांडा मेडिकल कालेज इस लिस्ट में नहीं है। हालांकि प्रदेश में नंबर दो का दर्ज प्राप्त मेडिकल कालेज इस लिस्ट में तीन मर्तबा जगह बना चुका है, लेकिन आईजीएमसी पिछले सात आठ सालों में कभी भी इस लिस्ट पहुंच पाया। यहां बता दें कि आउट देश के टॉप-25 मेडिकल कालेजों के सर्वे के लिए सिलेक्शन प्रोसेस, अकादमिक एक्सीलेंस, पर्सनेलिटी डिवेलपमेंट, कालेज इन्फ्रास्ट्रक्चर, प्लेसमेंट जैसे पैमाने देखता है। इसी के हिसाब से कालेजों को नंबर मिलते हैं और ओवरआल में सबसे ज्यादा नंबर पाने वाले 25 मेडिकल कालेजों का चयन होता है। इस लिस्ट में हर बार की तरह एम्स नई दिल्ली टॉप पर है।
रैफर हो रहे मरीज
स्वास्थ्य क्षेत्र में कई अवार्ड जीतने वाले हिमाचल में आज भी आधरभूत और आधुनिक उपकरणों की जरूरत है। दिग्गज नेता भी आईजीएमसी और टांड में इलाज करवाने की जगह पीजीआई ही जाते हैं। ऐसे में डाक्टरों की कमी से जूझ रहे मेडिकल कालेज आज भी सुविधाओं की बाट जोह रहे हैं।