आक्सीटॉसिन बनाने पर प्रतिबंध

केंद्रीय मंत्रालय का फरमान, पहली जुलाई से हरगिज नहीं होगा उत्पादन 

बीबीएन — केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने आक्सीटॉसिन के निजी क्षेत्र में निर्माण पर प्रतिबंध लगा दिया है। यह प्रतिबंध पहली जुलाई से प्रभावी होगा। आक्सीटॉसिन का आयात पहले से ही प्रतिबंधित है, हालांकि निजी क्षेत्र में इसका उत्पादन चल रहा था, जिससे इसके दुरुपयोग पर अंकुश नहीं लग पा रहा था, लेकिन अब सरकार ने आक्सीटॉसिन के निजी क्षेत्र में उत्पादन पर भी प्रतिबंध लगाने का निर्णय लिया है। आगामी पहली जुलाई से कोई भी कंपनी घरेलू इस्तेमाल के लिए इस दवा का उत्पादन नहीं करेगी। सरकार ने यह कदम आक्सीटॉसिन के हो रहे दुरुपयोग को रोकने के मकसद से उठाया है। यहां उल्लेखनीय है कि आक्सीटॉसिन का इस्तेमाल पशुओं में दूध उत्पादन बढ़ाने के लिए होता है। इसके अलावा खीरा, तरबूज, खरबूज जैसी फल-सब्जियों को जल्द पकाने के लिए या बड़ा करने के लिए भी इस दवा का इस्तेमाल किया जाता है। इतना ही नहीं जहां ड्रग एडिग्ट नशे के तौर पर आक्सीटॉसिन का इस्तेमाल करते है, वहीं प्रसव के दौरान रक्त स्त्राव रोकने के लिए भी चिकित्सक इस दवा का उपयोग करते हैं। आक्सीटॉसिन के ज्यादा इस्तेमाल से कैंसर, हॉर्मोनल इबैलेंस जैसी कई गंभीर बीमारियां होने की संभावनाएं होती हैं। देश में करीब 130 कंपनियां आक्सीटॉसिन का उत्पादन करती है। सालाना आक्सीटॉसिन का अनुमानित कारोबार 50 से 70 करोड़ रुपए है। फाइजर, नोवार्टिस, कैडिला, वॉकहॉर्ड, सन फार्मा, इंटास फार्मा, जायडस कैडिला जैसी बड़ी फार्मा कंपनियां आक्सीटॉसिन का उत्पादन करती है, लेकिन केंद्र सरकार ने अब कड़ा रुख अतियार करते हुए इस दवा के निजी में निर्माण पर प्रतिबंध लगाने का निर्णय लिया है। अब कोई भी निजी कंपनी इसका उत्पादन नहीं कर सकेगी। मात्र कर्नाटक एंटी बायोटिक्स एंड फार्मास्यूटिकल्स लिमिटेड  ही इस दवा का निर्माण करती रहेगी। यह कंपनी रजिस्टर्ड हॉस्पिटल और क्लीनिक्स को डायरेक्ट सप्लाई करेगी। पब्लिक और प्राइवेट दोनों ही क्षेत्रों के अस्पतालों को केएपीएल से ही आक्सीटॉसिन सप्लाई होगी। आक्सीटॉसिन रिटेल केमिस्ट किसी भी नाम या रूप में नहीं बेच सकेंगे।