एमओयू की शर्तें नहीं मानीं, अफसरों की शह पर निजी फर्मों की मनमानी

By: Jun 10th, 2018 12:20 am

पीपीपी मोड पर तीन साल में करना था बस अड्डों का निर्माण, पर निर्माणकर्ताओं ने बिना सुविधाएं दिए चलाए रखा पार्किंग फीस वसूली का काम

शिमला—पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) मोड पर आबंटित हिमाचल के बस अड्डों का निर्माण तीन साल के भीतर पूरा होना था। अगले 30 साल तक इन बस अड्डों की आय निजी फर्मों को मिलेगी। इसके बाद इनका संचालन सरकार के अधीन आएगा। धर्मशाला, चिंतपूर्णी, कुल्लू और ऊना बस अड्डों का निर्माण इस शर्त के आधार पर निजी फर्मों को सौंपा गया था। हैरत है कि एमओयू में लगाई गई इन शर्तों के बीच पार्किंग वसूली का प्रावधान बिना निर्माण कार्य के ही कर दिया गया। एमओयू के अनुसार निजी फर्में इस इकरारनामे के तुरंत बाद चारों बस अड्डों की पार्किंग फीस वसूल कर सकती थीं। वीरभद्र सरकार में हुए इस गड़बड़झाले का निजी फर्मों ने जमकर लाभ उठाया है। यही कारण है कि धर्मशाला बस अड्डे का निर्माण भूमि चयन में उलझा दिया गया। कमोवेश यही स्थिति कुल्लू और ऊना बस अड्डे की है। एमओयू के बावजूद निजी फर्मों ने बस अड्डों के निर्माण को लेकर कोई विशेष रुचि नहीं दिखाई। इसके पीछे प्रमुख कारण यही था कि निजी फर्मों को बिना पैसे लगाए छप्पर फाड़ कर धनवर्षा होने लगी। उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार पिछली सरकार में बस अड्डा प्राधिकरण के अधिकारियों और निजी फर्मों के बीच हुई मिलीभगत के कारण ही एमओयू में निर्माण कार्य शुरू होने से पहले फीस वसूली का प्रावधान किया गया। बहरहाल, जयराम सरकार ने सत्ता में आते ही इस एमओयू के पन्ने पलटना शुरू कर दिए हैं।

विजिलेंस के पास जा सकता है केस

सरकार ने प्रधान सचिव जगदीश शर्मा से इस बंदरबांट मामले की जांच तलब की है। एमओयू में किए गए पार्किंग फीस वसूली के प्रावधान पर जांच में तत्कालीन अधिकारियों की सोच का पता किया जा रहा है। इस आधार पर सरकार यह मामला जांच के लिए विजिलेंस को भी सौंप सकती है। हालांकि जयराम सरकार प्राथमिकता के आधार पर बस अड्डों के निर्माण के लिए जुट गई है।

तय होगी जवाबदेही

सरकार आरंभिक जांच के बाद यह तय करेगी कि मामले में किन-किन अधिकारियों की जवाबदेही बन रही है। इसके अलावा कैबिनेट में मंजूरी के लिए भेजे गए बस अड्डों का एजेंडा भी खंगाला जा सकता है।

ब्याज सहित लौटानी पड़ती है वसूली फीस

एमओयू में तीन वर्ष के भीतर निर्माण कार्य पूरा करने की शर्त रखी गई है। लिहाजा इस समयावधि पर निर्माण कार्य पूरा न करने वाली फर्मों को वसूली गई पार्किंग फीस ब्याज सहित लौटानी पड़ेगी। इसी कारण सरकार ने जिला प्रशासन को भूमि चयन और दूसरी औपचारिकताएं पूरा कर निजी फर्मों को जल्द निर्माण की चेतावनी दी है। इसी बीच जांच भी तेज करने को कहा है।

धर्मशाला बस स्टैंड पर है ज्यादा पेचीदगी

चारों बस अड्डों में सबसे ज्यादा पेचीदगी धर्मशाला में बनी है। पिछले वर्ष पीपीपी मोड पर आबंटित इस बस अड्डे के निर्माण के लिए एक दशक से भूमि चयन प्रक्रिया जारी है। अलबत्ता जयराम सरकार ने बिना धेला लगाए पार्किंग फीस वसूल कर रही फर्मों पर भी शिकंजा कसना शुरू कर दिया है।

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