चूड़धार सेंक्चुरी में पेड़ लगे सूखने

नौहराधार – चूड़धार सेंक्चुरी में खरशु के पेड़ों में कीड़ा लगने से हजारों पेड़ सूख गए हैं। हजारों की संख्या में पेड़ सूखने की कगार पर हैं। पेड़ सूखने से पर्यावरण की दृष्टि से सुरक्षित माने जाने वाले प्रसिद्ध धार्मिक स्थल चूड़धार का पर्यावरण खतरे में पड़ गया है। नौहराधार व राजगढ़ क्षेत्र के दर्जनों गांव में चारे का संकट अभी से पैदा हो गया है। पेड़ सूखने की इस घटना से वन विभाग में हड़कंप मच गया है। पता चलते ही विभाग हरकत में आ गया है। विभाग पेड़ सूखने के कारणों का पता लगा रहा है। विभाग ने हजारों पेड़ों को बचाने के लिए प्रयास तो शुरू कर दिए हैं, मगर अभी तक विभाग को इसमें सफलता नहीं मिल पाई है। विभाग सेंक्चुरी में सूख रहे पेड़ों को लेकर काफी चिंतित है। बीमारी पर काबू करने के लिए विभाग की ओर से शोध करवाया जा रहा है। चूड़धार सेंक्चुरी 55.52 वर्ग किलोमीटर में फैली हुई है। सेंक्चुरी एरिया में लगभग 70 हजार से अधिक पेड़ खरशु के हैं। इसके अलावा बान, बुरास, रई, देवदार व मोरू समेत दर्जनों प्रजाति के लाखों पेड़ हैं। सेंक्चुरी एरिया में आने वाले अतर सिंह, विजेंद्र सिंह चौहान, देवेंद्र सिंह, मोहन लाल, कपिल पुंडीर आदि लोगों ने बताया कि खरशु के पांच हजार से अधिक पेड़ सूख गए हैं। इसमें ग्रामीण क्षेत्रों में पशुओं के चारे का गंभीर संकट पैदा हो गया है। ग्रामीणों ने बताया कि इन पेड़ों के सूखने से पर्यावरण को भी गंभीर खतरा पैदा हो गया है।

क्या कहता है वन अनुसंधान केंद्र शिल्ला

उधर हिमालयन वन अनुसंधान केंद्र शिल्ला डा. रणजीत सिंह ने बताया कि चूड़धार के जंगल में खरशु नामक पेड़ में फंगस लगी है, जिससे यह सूख रहे हैं। इसके लिए हमारी टीम दौरा कर चुकी है। यह फंगस बीमारी का रूप धारण करती है। यह बीमारी करीब तीन से चार वर्ष ठीक होने में लेती है। इसके लिए हमने नौहराधार में तैनात आरओ की टीम को फेंज्युसाइड नामक दवाई का लेप लगाने की सलाह दी है। उन्होंने कहा कि यदि आवश्यकता पड़ी तो हमारी टीम दोबारा क्षेत्र का दौरा करेगी।

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