जंगलों में पशुओं का चारा राख

भुंतर —जून माह में कुल्लू के जंगलों में लग रही आग ने जिलावासियों को चिंता में डाल दिया है। आग की लपटें जिला के हरे-भरे जंगलों को स्वाह करने के साथ पशुचारे के घास को भी अपने आगोश में ले रही है। लिहाजा, ग्रामीणों को चिंता अब इस बात की है कि अगर जंगल और घासनियां इसी प्रकार जलती रहीं, तो सर्दियों में पशुओं को चारा नसीब नहीं होगा। जिला के न्यूल क्षेत्र के जंगल गत देर रात भर सुलगते रहे। जानकारी है कि दो दिनों तक उक्त जंगलों में आग की लपटें उठती रहीं और बहुमूल्य वन संपदा आग के हवाले हुई। इससे पूर्व शाड़ाबाई के साथ लगते जंगलों में भी आग की वारदात सामने आई थी। असामाजिक तत्त्व जंगलों को आग के हवाले तो कर रहे हैं, लेकिन इसने ग्रामीणों का चैन अबकी बार छीन रखा है। कुल्लू के जगलों में इस साल पहली बार गर्मियों में आग की वारदातें हुई हैं। अकसर जिला के जंगलों में सर्दियों में ही आग लगती रही है, लेकिन इस बार इसके विपरीत हो रहा है। जहां पर आग की वारदातें हो रही हैं, उसमें बड़ी मात्रा में घासनियां शामिल हैं, जहां से ग्रामीण सर्दियों में पशुओं के लिए घास काट रख सुखाते हैं। न्यूल इलाके में लगी आग को स्थानीय लोगों ने विभाग की मदद से काबू में कर लिया है, लेकिन आग ने जंगल में तबाही मचाई। पार्वती वन मंडल के वन मंडलाधिकारी कृपा शंकर के अनुसार जंगलों में आग लगना चिंताजनक है और इससे जंगली संपदा का भारी नुकसान हो रहा है। उन्होने ग्रामीणों से आग्रह किया है कि ऐसे असामाजिक तत्त्वों का सामने लाने में विभाग का सहयोग करें।