डस्टबिन लबालब…खुलें में फेंक रहे कूड़ा

बड़सर  —सड़क किनारे लगे कूड़े के ढेर इलाके की सुंदरता को ग्रहण लगा रहे हैं। आलम यह है कि कुछेक स्थानीय लोग व दुकानदार अपने घरों व दुकानों के कूड़े को उठाकर स्थापित किए गए कूड़ादानों में न डाल कर खुले में ही फेंक रहे हैं। इससे भारत सरकार द्वारा स्वच्छता व सौंदर्य की दृष्टि से चलाए गए स्वच्छता अभियान की सरेआम धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। वाकया बड़सर उपमंडल के गांव व कस्बों का है। बताया यह भी जा रहा है कि खुले में कूड़ा फेंकने के पीछे कारण यह भी है कि पंचायतों में स्थापित किए गए कूड़ादान पूरी तरह लबालब भरे पड़े हैं। इसके चलते जो भी व्यक्ति कूड़े को लेकर डस्टबिन के पास पहुंच रहा है,, कूड़े से भरे डस्टबिनों को भरा देख साथ लगते स्थान पर ही फेंक रहे हैं। इससे भारत सरकार की स्वच्छता को लेकर चलाई गई मुहिम सफल होने के बजाय धड़ाम होती नजर आ रही है। हैरान करने वाली बात यह है कि एक तरफ जहां सरकार लाखों रुपए खर्च कर स्वच्छता के प्रति जागरूक करने के उद्देश्य से शिविरों के आयोजन कर रही है, लेकिन सरकार द्वारा भारी भरकम खर्च कर लगाए गए शिविरों का कोई भी असर लोगों पर दिखता नजर नहीं आ रहा है।  यही कारण है कि कुछेक लोग अभी भी अपने घरों के कूड़े को गली मोहल्लों व सड़कों के किनारे ठिकाने लगाने से परहेज नहीं कर रहे हैं। यही नहीं, कुछेक दुकानदारों ने जंगली सरकारी भूमि को नियमों को ताक पर रखकर डंपिंग साइट बना रखा है। बावजूद इसके वन विभाग के कर्मचारी भी ऐसे लोगों पर कोई भी कार्रवाई करने से अपना पल्लू झाड़ रहे हैं। वहीं, पंचायतें भी क्षेत्र में सफाई व्यवस्था को लेकर गंभीर नहीं दिख रही हैं।  सफाई व्यवस्था को लेकर जब जिम्मेदार अधिकारी व चुने हुए प्रतिनिधि ही अपनी जिम्मेदारी से पीछे हट जाएं, तो ऐसे में आम जनमानस से क्या उम्मीद की जा सकती है। कायदे के अनुसार कोई भी व्यक्ति खुले में कूड़ा नहीं फेंक सकता है। इसके लिए स्थानीय पंचायत व सरकार द्वारा चिन्हित किए गए स्थानों पर ही कूड़े को डाला जा सकता है। बावजूद इसके कुछेक लोग अपनी मनमानी कर जहां इच्छा करे, वहीं पर कूड़ा-कर्कट फेंककर सरकार के स्वच्छता अभियान को धत्ता दिखा रहे हैं।