दैरो-हरम के नाम से सजा ली है महफिल

नाहन —भोग से खुद को बिगाड़ा बहुत, अब योग से देश संवार दो। वरिष्ठ कवि दीप चंद कौशल ने अपनी इस कविता से योग के महत्त्व पर प्रकाश डाला। मौका था भाषा कार्यालय नाहन में आयोजित मासिक कवि गोष्ठी का, जिसकी अध्यक्षता वरिष्ठ कवि दीप चंद कौशल ने की, जबकि मंच का संचालन अर्चना शर्मा ने किया। इस दौरान जिला भाषा अधिकारी अनिल हारटा विशेष रूप से मौजूद रहे। युवा कवयित्री कमलेश कुमारी ने मां पर लिखी कविता पेश की, जिसे सभी ने सराहा। नरेंद्र सिंह ने पहाड़ी कविता मोबादल का खोडका पेश की। युवा कवि पंकज तन्हा ने वादों के सिक्के जब चल नहीं पाए चुनाव में, दैरो हरम के नाम से महफिल सजा ली है शेर से नेताओं पर कटाक्ष किया। सुरेंद्र सिंह धर्मा ने अपनी कविता से पर्यावरण पर सचेत रहने की बात कही। धनवीर सिंह परमान ने लाख भावुक किया मुझे अपनों ने, चिरआनंद ने बांट के इक आनंद पाए चिरआनंद हजार, कभी नहीं सोचा था, शून्य विनोद ने खोला बस्ता निकला बच्चा, बेचारा बोझ के मारा, बस्तों में ही घुट रहा, चंचल कोमल बचपन सारा, श्रीकांत अकेला ने जीवन की जोत जलाते रहो, राम कुमारी सैणी ने मैं सही हो के भी लगूं गलत, नसीब मेरा, अर्चना शर्मा ने वो सहती आई है वो सहती जाएगी, रविता चौहान ने राज छोड़ अब मीरा नहीं बनेगी साधिका कविता पेश की। जिला भाषा अधिकारी अनिल हारटा ने कवियों से मौलिक कविता पाठ करने की ही बात कही। उन्होंने कहा कि अमौलिक कविता को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा, जबकि कार्यक्रम के अध्यक्ष दीप चंद कौशल ने युवा कवियों से वरिष्ठ कवियों से मार्गदर्शन लेने की बात कही। उन्होंने कहा कि युवा कवि स्थापित कवियों के मार्गदर्शन में अपनी लेखनी में धार ला सकते हैं।