ट्रांसपोर्ट यूनियन पर कब्जे की लड़ाई में पूरा शहर जाम
नई नहीं है यह बात
हिमाचल के सबसे पुराने औद्योगिक शहर परवाणू में यूनियन के विवाद का पहला इतिहास सन 1994 में लिखा गया था। जब प्रदेश में सरकार बदलते ही परवाणू की सभी ट्रांसपोर्ट यूनियन पर जबरन कब्जा करने को लेकर दो गुटों में जमकर झड़प हुई। हालांकि उस दौरान प्रदेश में कांग्रेस की सरकार होने से लोकल गुट यूनियन पर कब्जा नहीं कर सका। लिया गया था। उस दौरान भी परवाणू में दो गुटों के बीच जबरदस्त झगड़ा हुआ था। तभी से लेकर शहर की इन युनियनों पर कब्जे की राजनीति चली आ रही है। वर्ष 1997 में एक बार फिर यूनियनों पर कब्जे को लेकर स्थानीय व बाहरी गुट के बीच झड़प हुई, जिसमें फिर कोंग्रेस के करीबी माने जाने वाले बाहरी गुट को ही कब्जा करने का मौका मिला। यूनियनों पर कब्जा करने का यह संघर्ष सबसे बड़ी झड़प के रूप में सन 1998 में सामने आया। जब प्रदेश में भाजपा की सरकार बनी व लोकल गुट ने पहली बार यहां की यूनियनों पर कब्जा जमाया। हालांकि इस दौरान परवाणू में दोनों ही गुटों ने अपनी-अपनी यूनियनें बना ली। यूनियन का यह विघटन 2003 में बाहरी गुट की सरकार बनने के बाद समाप्त हो गया और एक बार फिर परवाणू में एक ही यूनियन का दबदबा कायम हुआ। इसके बाद हर पांच साल में सरकार के साथ ही परवाणू में भी कब्जे की शह और मात का खेल लगातार जारी है। सोमवार का घटनाक्रम भी एक बार फिर परवाणू के पुराने इतिहास को दोहरा गया।