निगम करें भंग, आयुक्त को भी बदलें

By: Jun 1st, 2018 12:05 am

 शिमला  —शिमला में पिछले 50 वर्षों के दौरान पेयजल किल्लत इतनी गहराई है कि जनता को पानी की बूंद-बूंद के लिए तरसना पड़ रहा है। इस समस्या से निजात दिलाने में प्रशासन पूरी तरह से नाकाम रहा है। इसलिए निगमायुक्त को तत्काल प्रभाव से बदला जाए तथा नगर निगम को भंग किया जाए। यह मांग सिटीजन राइट्स फोरम ने की है। फोरम के अध्यक्ष देशबंधु सूद ने कहा है कि इस समय मुख्य सचिव स्तर तक के अधिकारी को खुद पानी का जायजा लेने के लिए सड़कों पर उतरना पड़ रहा है। पानी की समस्या पूरी तरह से नगर निगम जिम्मेदार है। नगर निगम करोड़ों रुपए के पानी के बिल जनता से वसूल रहा है और पानी के नाम पर हर रोज नए-नए बहाने बनाए जा रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि जब सर्दियां आती हैं तो कहा जाता है कि पेयजल परियोजनाओं में पानी जम गया है और जब गर्मियां आती हैं तो परियोजनाओं में पानी सूख जाता है, जब सारी समस्या ठीक होती हैं तो बिजली सप्लाई न होने का बहाना बनाया जाता है। देश बंधू सूद ने कहा कि नगर निगम के पदाधिकारी विदेशों में पिकनिक मना रहे हैं और सरकार खामोश है व उच्च न्यायालय को हर मामले में हस्तक्षेप करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि अगर यही स्थिति रही तो जनता सड़कों पर उतर कर विरोध प्रदर्शन और धरने देगी, जिसकी जिम्मेवारी पूरी तरह से नगर निगम और सरकार की होगी।

शकराला में दो हफ्ते से नहीं आया पानी

मैहली के साथ लगते गांव शकराला के ग्रामीणों को दो सप्ताह से पानी की सप्लाई नहीं हुई है, जिससे ग्रामीणों में प्रदेश सरकार के खिलाफ रोष है। ग्रामीणों ने सरकार से मांग उठाई है कि विभाग को निर्देश देकर उन्हें पेयजल उपलब्ध करवाया जाए। शकराला निवासी अनिल सरस्वती, लज्जा चंदेल, अनूप सिंह ठाकुर, मंगल सिंह कंवर, होशियार सिंह और सुरेंद्र गोयल, अमर सिंह ने कहा कि नगर निगम शिमला द्वारा संचालित पेयजल योजना के तहत उन्हें दो सप्ताह से पानी की आपूर्ति नहीं की गई है। नगर निगम द्वारा उन्हें भारी भरकम बिल तो थमाए जा रहे हैं, लेकिन पानी की सप्लाई नहीं दी जा रही है।

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