प्रदेश में जल संकट से ज्यादा सियासत

By: Jun 8th, 2018 12:15 am

शिमला— मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा है कि शिमला शहर के जल संकट का पूरी तरह से राजनीतिकरण हुआ है। मुख्यमंत्री ने इसे दुर्भाग्यपूर्ण करार देते हुए कहा कि ऐसी परिस्थितियों में सभी को सहयोग करना चाहिए। बावजूद इसके इस मुद्दे को जबरन हवा देने की कोशिश की गई। मुख्यमंत्री ने यह खुलासा करते हुए एक तीर से कइयों पर निशाने साधे हैं। उन्होंने इस सियासत पर कांग्रेस को आड़े हाथ लेते हुए शिमला में फैले पीलिया के दिन याद दिलाए। मुख्यमंत्री ने कहा कि हिमाचल सरकार शिमला शहर की जल समस्या का स्थायी समाधान करने का प्लान तैयार कर चुकी है। सीएम आफिस में पत्रकारों से अनौपचारिक बातचीत में मुख्यमंत्री ने कहा कि ऐसी दीर्घकालीन योजनाओं पर कार्य किया जा रहा है, जो अगले 50 से 60 वर्र्षों तक शिमला शहर में पेयजल सुविधा प्रदान करेगी। उन्होंने कहा कि इस विषय को लेकर गत दिनों नई दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिले थे तथा उन्हें शिमला के लिए पेयजल योजना के बारे में एक प्रस्ताव सौंपा था। उनके अनुरोध पर ही प्रधानमंत्री ने केंद्रीय जल आयोग के एक दल को शिमला भेजा। इसके अतिरिक्त उन्होंने केंद्रीय शहरी एवं नगर नियोजन विभाग के मंत्री हरदीप सिंह पुरी से मिलकर शिमला शहर में पेयजल आपूर्ति के लिए 200 करोड़ रुपए स्वीकृत करने की मांग भी की है। मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार शिमला शहर के लिए चाबा से एक वर्ष के भीतर 10 एमएलडी जलापूर्ति का लक्ष्य रखा है, जिस पर 80 करोड़ रुपए व्यय होंगे।  उन्होंने कहा कि शिमला शहर के लिए 4700 करोड़ रुपए की जल संग्रहण योजना केंद्र सरकार को स्वीकृति के लिए भेजा गई है, जिसके अंतर्गत भू-जल के स्तर को बढ़ाने तथा जल स्रोतों के रखरखाव का कार्य किया जाएगा।  प्रदेश सरकार अपनी निधि से भी कुछ जल स्रोतों पर कार्य करेगी। प्रदेश सरकार कोल डैम से शिमला शहर के लिए जल लाने के कार्य को जल्द से जल्द से करने की संभावनाओं पर भी कार्य कर रही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि कुछ लोगों ने इस जल संकट का राजनीतिकरण करने की कोशिश की, जो दुर्भाग्यपूर्ण है और उन्हें याद रखना चाहिए कि कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में 34 एमएलडी जल उपलब्ध था, उस समय भी शिमला शहर को जल संकट से जूझना पड़ा था। इस वर्ष जल संकट इसलिए पैदा हुआ कि 22 एमएलडी से भी कम जल उपलब्ध था, परंतु ऐसा पहली बार हुआ, जब इतने गंभीर प्रयास किए गए और बहुत कम समय में जलापूर्ति को सामान्य बनाया गया। एक सवाल के जवाब  में मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार ने राज्य के विभाग आबकारी राजस्व को 160 करोड़ रुपए की हानि के दृष्टिगत जांच करने का निर्णय लिया है।

पूर्व सरकार ने कुछ नहीं किया

जयराम ठाकुर ने कहा कि शिमला शहर के निवासियों को कई दिन जल की कमी से जूझना पड़ा, जिसका मुख्य कारण सर्दियों में वर्षा एवं बर्फबारी का कम होना है। इस स्थिति में भी प्रदेश सरकार ने जलापूर्ति को सामान्य बनाने के लिए विशेष प्रबंध किए तथा स्थिति को जल्द से जल्द सामान्य बनाया गया। शिमला शहर मई और जून के महीनों में इस स्थिति से पिछले कई वर्षों से जूझ रहा है, परंतु पिछली सरकार ने इस समस्या के समाधान को कोई प्रयास नहीं किया।

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