बागी दिखे शांत
लगातार पिछले कई दिनों से बगावत में उतरे भाजपा के पार्षद मासिक बैठक में शांत दिखे। हालांकि सदन के भीतर भी भाजपा के कुछ पार्षदों में गुटबाजी देखने को मिली। मगर संगठन और पार्टी के आला नेताओं की लताड़ के पश्चात हाउस में भाजपा पार्षद शांत दिखे। इनमें से कुछ पार्षद बीते दिनों तक महापौर व उपमहापौर को हटाने की बात कर रहे थे।
स्थगित हाउस के मुद्दों पर चर्चा
नगर निगम की मासिक बैठक में मई माह में स्थगित हुए हाउस के मुद्दों पर चर्चा हुई। इसमें कुछ मामलों को स्वीकृति प्रदान की गई तो कुछ मुद्दों को फिर से एफसीपीसी की बैठक में लाने का निर्णय लिया गया।
एफसीपीसी में आएगा हर एजेंडा
महापौर कुसुम सदरेट ने कहा कि बैठक में आने वाले सभी एजेंडों को पहले एफसीपीसी में अवश्य लाएं। एफसीपीसी में एजेंडा लाए बगैर उसे हाउस में नहीं लाया जाएगा।
मेयर-डिप्टी की नाकामी का दोष अफसर पर
पार्षद अर्चना धवन ने आरोप लगाते हुए कहा कि निगम महापौर व उपमहापौर की नाकामियों का ठिकरा आयुक्त पर फोड़ा गया है। आपसी बगावत को दबाने के लिए अधिकारी पर गाज गिरी है जो तर्कसंगत नहीं है।
भाजपा पार्षद बोले, हम एक हैं
भाजपा पार्षद संजीव ठाकुर ने कहा कि भाजपा पार्षद एकजुट हैं। कांग्रेस पार्षदों द्वारा कही गई बात ‘12 पार्षद विरोध में’ उन्होंने कांग्रेसी पार्षदों से हस्ताक्षर दिखाने के लिए कहा। इस दौरान कांग्रेस व भाजपा के पार्षदों के बीच काफी समय तक तीखी नोक-झोंक हुई।
जमकर की नारेबाजी
सदन में कांग्रेस समर्थित पार्षदों ने महापौर व उपमहापौर के इस्तीफे की मांग को लेकर खूब हल्ला बोला, नारेबाजी की और सदन में टेबल ठोक कर अपना आक्रोश जताया।
अपने पार्षदों की झेलनी पड़ी नाराजगी
सदन में महापौर के कांग्रेस के पार्षदों सहित अपने पार्षदों की नाराजगी भी झेलनी पड़ी। पार्षद शैलेंद्र चौहान ने बैठक में लाए कुछ मुद्दों पर आपत्ति जताई। उन्होंने कहा कि एफसीपीसी में एजेंडा न लाकर उन्हें सीधे सदन में लाया जा रहा है। ऐसे में कमेटियां बनने का क्या औचित्य है।