रिकांगपिओ में ग्रामीणों की महारैली

रिकांगपिओ —केंद्र सरकार द्वारा जनजातीय क्षेत्र के लोगों के लिए बनाया गया कानून को जनजातीय क्षेत्रों में लागू करने में हो रही देरी को लेकर आज जिला मुख्यालय रिकांगपिओ में जनजातीय क्षेत्रों के सैकड़ों ग्रामीणों ने किन्नौर प्रशासन सहित वन विभाग के विरुद्ध रोष रैली निकाल कर अपने अधिकारों को जल्द लागू करने की मांग की। जनजातीय लोगों के इस महा रैली का नेतृत्व हिम लोक जागृति मंच किन्नौर व जिला वन अधिकार संघर्ष समिति के संयुक्त तत्त्वावधान में किया गया। जनजातीय लोगांे के अधिकारों के समर्थन मंे हिम नीति अभियान के राष्ट्रीय संयोजक गुमान सिहं, हिम धरा पालमपूर के संयोजक मानसी अशैर, हिमाचल वन अधिकार मंच के सचिव अक्षय जस्रोटिया आदि कई प्रतिनिधियों ने भी मुख्य रूप से भाग लिया। सैकड़ों ग्रामीणों द्वारा रिकांगपिओ मंे रैली करने के बाद राम लीला मैदान में आयोजित सम्मेलन में हिम लोक जागृति मंच के संयोजक एंव पूर्व प्रशासनिक अधिकारी आरएस नेगी, जिया लाल नेगी, गुमान सिहं, मानसी अशैर, अक्षय जस्रोटिया, भगत सिहं, शांता नेगी, सीता राम आदि कई वक्ताओं ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा वर्ष 2006 में जनजातीय क्षेत्रों में रहने वाले लोगांे के लिए वन अधिकार कानून बनाया गया, लेकिन आज दिन तक प्रदेश मंे कई राजनीतिक पार्टियों के सता में आने के बाद भी जनजातीय क्षेत्रों में रहने वाले लोगांे को इस कानून का पूरा लाभ नहीं मिल पाया रहा है। वक्ताओं ने कहा कि इस अधिनियम के तहत जनजातीय क्षेत्रों के ग्रामीणों को ग्राम सभा से सहमति प्राप्त करने के बाद ब्लॉक व जिला स्तर की कमेटियों से अनुमोदित करने के बाद डीसी द्वारा ग्रामीणों को भूमि का मालिकाना हक दिया जाना है। वक्ताआंे ने कहा कि लाहुल-स्पीति व चंबा-भरमोर मंे इस कानून के तहत डेढ़ सौ के करीब ग्रामीणों को भूमि का मालिकाना हक दिया जा चुका है, लेकिन जिला किन्नौर में लाल फिताशाही के चलते अब तक एक भी व्यक्ति को इस कानून का लाभ नहीं मिल पाया है। वक्तओं ने कहा कि यदि प्रशासन, वन व राजस्व विभाग का रवैया जनजातीय लोगों के प्रति इसी तरह रहा तो आने वाले दिनांे मंे जिला मुयाल सहित शिमला विधानसभा व सचिवालय के बाहर जनजातीय लोगांे का धरना-प्रर्दशन शुरू किया जाएगा।

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