री-ओपन होंगे शिक्षा विभाग के क्राइम केस

शिमला— सालों से शिक्षा विभाग में बंद आपराधिक मामलों की फाइल एक बार फिर खुलेगी। पोक्सो एक्ट के तहत हो चाहे विभाग में अन्य गबन के मामले सभी पर अब नए तरीके से दोषियों के खिलाफ कार्रवाई अमल में लाई जाएगी। शिक्षा विभाग में सालों से आपराधिक मामलों के खिलाफ कार्रवाई न होता देख राज्य सरकार ने शिक्षा निदेशालय को कड़ी फटकार लगाई है। सरकार की ओर से निदेशालय से जवाब मांगा गया है कि विभाग में 225 अधिकारियों  पर प्राथमिक जांच किस नियमों के तहत चल रही है। राज्य सरकार की ओर से लताड़ लगाई गई है कि 15 सालों से  शिक्षा विभाग में कई गबन जैसे गंभीर मामलों पर भी कोई सुनवाई और कार्रवाई नहीं की गई है, जो कि बड़ा हैरत अंगेज है। गुरुवार को राज्य सरकार की ओर से शिक्षा सचिव अरुण शर्मा ने निदेशालय ओर विभाग के अन्य अधिकारियों को कहा कि वे शिक्षा विभाग द्वारा 225 आपराधिक मामलों को दी गई सफाई से संतुष्ट नहीं है।  राज्य सरकार अब उन सभी अधिकारियों के खिलाफ कारवाई के मूड़ में है, जिन अधिकारियों ने आज दिन तक शिक्षा विभाग में आपराधिक मामलों पर कोई कार्रवाई नहीं होने दी। सूत्रों के हवाले से मिली जानकारी के अनुसार राज्य सरकार शिक्षा विभाग में पोक्सो एक्ट के तहत दबाए गए मामले और विभाग के वित्तीय क्षेत्र में किए गए घपले में संलिप्त दोषियों को तो उनके पद से हटाने के साथ जुर्माना करेंगी ही, लेकिन अहम यह भी है कि जांच अधिकारियों पर भी कार्रवाई की तलवार लटक सकती है।  राज्य सरकार ने गाइडलाइन जारी कर शिक्षा विभाग व जिलों के ब्लॉक जांच अधिकारियों को पदं्रह सालों से लटके गबन और धन के दुरुपयोग करने के जितने भी मामले हैं ,उन पर क्या कार्यवाई हुई, इस पर रिपोर्ट दस दिन के भीतर सचिवालय भेजने के निर्देश दिए हैं। राज्य सरकार की ओर से विभाग में दबे आपराधिक मामलोंं पर साफ कहा गया है कि इन मामलों पर शायद विभाग ने इस वजह से कोई कार्रवाई नहीं की है क्योंकि इसमें निदेशालय के कई अधिकारी ओर कर्मचारी भी शामिल हैं। शिक्षा सचिव अरुण शर्मा ने शिक्षा विभाग को पत्र लिखकर कहा है कि वित्तीय अनियमताओं के तहत जितने भी अधिकारियों पर मामले चल रहे है, उन्हें उनके पद से तुरंत हटाए।  इसके अलावा जांच अधिकारी वित्तीय अनियमिताओं की रिपोर्ट 30 जून तक सरकार को भेजें। राज्य सरकार की ओर से कहा गया है कि शिक्षा विभाग में सालों से चल रहे घपले मामलों पर केवल  दिखावा किया गया है। सरकार की ओर से सख्त आदेश उच्च शिक्षा निदेशालय को दिए गए है कि चेतावनी के बाद भी अगर शिक्षा विभाग में लटके मामलों को तय समय पर निपटाया नहीं गया तो सरकार शिक्षा विभाग के उच्च अधिकारियों पर जांच बिठाने से गुरेज नहीं करेंगे। उल्लेखनीय है कि शिक्षा विभाग में अकेले 225 ऐसे आपराधिक मामले हैं, जिस पर कार्रवाई करने में शिक्षा विभाग पूरी तरह से फेल रहा है। इन मामलों में सरकारी स्कूल व अन्य शिक्षण संस्थानों में छात्राओं के साथ छेड़खानी और कई आपराधिक मामले शामिल हैं। हैरानी की बात है कि शिक्षा विभाग में आपराधिक मामलों पर कोई कार्रवाई न होना बड़ी बात है और इससे कई सवालियां निशान भी शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली पर उठ रहे हैं।

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