सीवरेज कनेक्शन….कांगड़ा की दिलचस्पी नहीं

 कांगड़ा —सीवरेज विभाग की हिदायतों के बावजूद लोगों ने कनेक्शन लेने में ज्यादा दिलचस्पी नहीं दिखाई है। हालांकि जोन एक और तीन का कार्य शत-प्रतिशत कंप्लीट हो गया है, लेकिन अभी तक करीब 70 फीसदी लोगों ने ही सीवरेज के कनेक्शन लिए हैं। एसडीओ विनोद बनियाल के मुताबिक जोन दो का कार्य प्रगति पर है और सब्जी मार्केट से बज्रेश्वरी मंदिर को जाने वाली गली तथा गुप्त गंगा मार्ग पर कार्य को कंप्लीट किया जा रहा है। सीवरेज के कार्य को मुकम्मल करने के लिए महकमे को करीब दो करोड़ रुपए की दरकार है, जिसका प्राक्कलन बनाकर सीवरेज विभाग ने सरकार को भेज दिया है। विभाग के अधिकारियों का मानना है कि धन का प्रावधान हो जाए, तो सितंबर माह से पहले-पहले इस कार्य को मुकम्मल किया जा सकता है। गुप्त गंगा मार्ग पर सड़क ऊंची होने की वजह से भी विभाग को दिक्कतें आई हैं, जहां इन्हें चैंबरों को ऊंचा करने के लिए मशक्कत करनी पड़ रही है। खैर विभाग के कर्मचारी पूरी तत्परता के साथ इस कार्य को पूरा करने के लिए जुटे हैं। बताया जाता है कि जोन दो का करीब 70 फीसदी कार्य पूरा कर लिया गया है और एक  सप्ताह के भीतर टेस्टिंग की जानी है। विभाग की सबसे बड़ी मुसीबत यह है कि लोग कनेक्शन लेने में दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं। कुछ स्थानों पर तो लोगों ने शौचालयों की गंदगी को सीधे नालों में डाल रखा है। इस वजह से नाले गंदे हुए हैं और आम जनमानस की मुश्किलें भी बढ़ी हैं।  विभाग के अधिकारियों का कहना है कि करोड़ों रुपए खर्च कर सरकार द्वारा बनाई गई इस स्कीम का लाभ लोगों को लेना चाहिए। सीवरेज विभाग के एसडीओ विनोद बनियाल कहते हैं कि नगर परिषद को इस कार्य के लिए सहयोग करना चाहिए। वैसे सीवरेज का कनेक्शन न लेने पर बिजली-पानी काट देने का भी प्रावधान है।  लिहाजा लोगों को स्वयं जिम्मेदारी निभाते हुए कनेक्शन लेने के लिए आगे आना चाहिए। नगर परिषद के कार्यकारी अधिकारी कंचन बाला का कहना है कि सीवरेज विभाग के अधिकारियों को चाहिए कि वह काउंसलर से मिलकर लोगों को कनेक्शन लेने के लिए प्रेरित करे, उनका कहना है कि सर्वे के लिए नगर परिषद के पास स्टाफ  का प्रावधान नहीं है। शहर के बुद्धिजीवी वर्ग का कहना है कि सीवरेज के कार्य को मुकम्मल करने के लिए सरकार दो करोड़ रुपए का प्रावधान करें और लोग अपनी जिम्मेदारी को समझते हुए सीवरेज के कनेक्शन लेना सुनिश्चित करें, तो करीब 20 करोड़ रुपए की लागत से बनी इस योजना के लाभ की बात की जा सकती है।