अगले महीने हिमाचल आएगी विश्व बैंक टीम

By: Jul 14th, 2018 12:15 am

700 करोड़ी प्रोजेक्ट को कसरत तेज

शिमला— विश्व बैंक की मदद से हिमाचल में 700 करोड़ के वनों की समृद्धि (एफपीपी-फोरेस्ट फॉर प्रॉसपेरिटी प्रोजेक्ट) परियोजना लागू करने की कवायद तेज हो गई है। इसे लेकर विश्व बैंक की टीम अगले माह हिमाचल आएगी। इसे लेकर दिल्ली में विश्व बैंक के अधिकारियों के साथ एक अहम बैठक हुई, जिसमें प्रोजेक्ट को लेकर मंथन किया गया। इस प्रोजेक्ट को हिमाचल में नदी बेसिन में भू-क्षरण रोकने के लिए लागू किया जाएगा। इससे वन कवर बढ़ाने के साथ लोगों की आजीविका की जरूरतें पूरी करने में भी मदद मिलेगी। वनों की समृद्धि प्रोजेक्ट लागू करने को लेकर अगस्त में विश्व बैंक की टीम हिमाचल के दौरे पर आएगी। यह टीम यहां प्रोजेक्ट की फिजिबिलटी रिपोर्ट जांचेगी। इसके बाद विश्व बैंक प्रोजेक्ट को मंजूरी देगा। विश्व बैंक इस प्रोजेक्ट को सैद्धांतिक सहमति पहले ही दे चुका है और अब इसकी अंतिम मंजूरी विश्व बैंक देगा। दिल्ली में वन अधिकारियों की विश्व बैंक के सदस्यों की बैठक में इस बारे में चर्चा की गई। विश्व बैंक ने इस प्रोजेक्ट के सतलुज कैचमेंट में लागू करने की इच्छा जताई है। इससे कि सतलुज नदी पर लगे विभिन्न पावर प्रोजेक्ट के कारण भू-क्षरण रोका जा सकेगा। विश्व बैंक यह प्रोजेक्ट हिमाचल में दो चरणों लागू करेगा। दोनों चरणों में 350-350 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। इस प्रोजेक्ट से संबंधित संस्थागत सुदृढ़ीकरण, पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं में सुधार, वृक्ष कवर के तहत क्षेत्र में वृद्धि के साथ-साथ लोगों की आजीविका की जरूरतें पूरा करने का कार्य किया जाएगा। प्रोजेक्ट के तहत गैर-टिंबर वन उत्पादन और संग्रह पर बल दिया जाएगा। वन विभाग का मानना है कि इससे राज्य में वनों के कवर में वृद्धि होगी, जिसके बेहतरीन दीर्घकालीन परिणाम मिलेंगे। हिमाचल की बात करें, तो यहां तीन तरह के वन हैं। इनमें 3224 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में अधिक घनत्त्व वाले वन, 6381 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में कम घनत्त्व और 5091 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में बहुत कम यानी खुले वन हैं।

वनों के घनत्त्व में होगी बढ़ोतरी

विश्व बैंक के इस प्रोजेक्ट से कम घनत्त्व वाले वनों और खुले वन ज्यादा घने वनों में बदले जाएंगे। विश्व बैंक इस प्रोजेक्ट को मिड हिमालयन प्रोजेक्ट के सामानांतर चलाने को तैयार हो गया है। पहले यह आशंका जताई जा रही थी कि मिड हिमालयन प्रोजेक्ट को इस नए प्रोजेक्ट में मर्ज किया जाएगा।


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