अलग करने की चाह ने बना दिया मिसेज हिमाचल

By: Jul 29th, 2018 12:14 am

शिखर पर

‘दिव्य हिमाचल’ मीडिया ग्रुप के पॉपुलर इवेंट मिसेज हिमाचल का खिताब अपने नाम करने वाली झनियारी की चंचल कानूनगो अपनी इस कामयाबी को लेकर काफी खुश हैं। ‘दिव्य हिमाचल’ का शुक्रिया अदा करते हुए चंचल कहती हैं कि उन्हें यकीन था कि वह मिसेज हिमाचल का खिताब पाने में कामयाब होंगी। मिसेज हिमाचल बनने के बाद अब चंचल की मिसेज इंडिया के लिए डायरेक्ट एंट्री हुई है। ऐसे में अब चंचल की छोटी-छोटी आंखों में बड़े-बड़े सपने हैं। वह बालीवुड में जाना चाहती हैं। अब बस रुकने का मन नहीं आगे बढ़ते जाने की चाह है। चंचल की मानें तो चाहे वह जिस भी मुकाम में पहुंच जाए उसका एक ही सपना है कि वह महिलाओं और गरीब बच्चों के लिए काम करेंगी। एक साधारण परिवार में जन्मी चंचल शुरू से ही एक्टिव स्वभाव की रही हैं। शर्मिलापन तो बिलकुल नहीं था हां शरारती भी नहीं थीं। बस जो देख लिया उसे बहुत जल्दी सीख जाती हैं।

चंचल का बैकराउंड कुछ ऐसा नहीं रहा जिसका मिसेज हिमाचल से कोई नाता हो। हां डांसिंग और सिंगिंग उनके शौक रहे हैं। आठवीं तक की पढ़ाई चंचल ने सरकारी स्कूल से हासिल की। उसके बाद 12वीं तक की शिक्षा हमीरपुर के हिम अकेडमी पब्लिक स्कूल से ग्रहण की। बीएससी हमीरपुर डिग्री कालेज से की और बाद में शांति निकेतन कालेज से बीएड किया। चंचल की मानें तो उसने कभी ऐसा नहीं सोचा था कि इस फील्ड में जाने का अवसर मिलेगा। हां कुछ नया और अलग करने की चाह शुरू से ही थी। उन्होंने जब ‘दिव्य हिमाचल’ के मेगा इवेंट मिस हिमाचल के बारे में  सुना तो सोचा कि क्या शादीशुदा औरतोें के लिए भी कुछ ऐसा होता है। फिर पता चला कि ‘दिव्य हिमाचल’ मिसेज हिमाचल करवा रहा है। फिर क्या था पहुंच गई ऑडिशन देने और आज वह इस मुकाम पर हैं। बकौल चंचल जब आपका परिवार आपके साथ होता है, तो आपको आगे बढ़ने से कोई नहीं रोक सकता। चंचल कहती हैं कि उन्हें उनके पति के अलावा सास-ससुर और माता-पिता ने भी पूरा सपोर्ट किया।

5 फुट 8 इंच हाइट वाली 24 वर्षीय चंचल हमीरपुर के झनियारी की रहने वाली हैं। चंचल के पति सुमित कानूनगो एक बिजनेसमैन हैं। चंचल नॉन मेडिकल में बीएससी- बीएड हैं। शुरू से ही लोगों को खूबसूरत बनाने और उन्हें सजाने संवारने का शौक रखने वाली चंचल ने अब इसे अपना पैशन बना लिया है। वह एक ब्यूटी पार्लर भी चलाती हैं। चंचल सुमित के साथ 8 नवंबर, 2016 को परिणय सूत्र में बंधी थीं। उनके परिवार में उनके सास-ससुर, ननद और देवर हैं। चंचल की मानें तो उन्हें योग और व्यायाम करना बहुत पसंद है। ससुराल में बिजी शेड्यूल के बावजूद वह सुबह एक घंटे इसके लिए वक्त निकाल लेती हैं, अगर सुबह किसी कारणवश समय न मिले तो शाम को तो पक्का। चंचल को घूमने का और एडवेंचर का बहुत शौक है। वह हिमाचल के कुल्लू-मनाली, चंबा, शिमला, खजियार, डलहौजी और मंडी के रमणीक  स्थलों में घूम चुकी हैं। इसके अलावा उन्होंने रिवर राफ्टिंग और ट्रैकिंग भी की है। उन्हें बाइक चलाने का भी शौक है। चंचल के अनुसार खाना बनाने के अलावा उन्हें नए-नए व्यंजन बनाना पसंद हैं। जैसे पनीर मिर्च, अंडे, रोल और मंचूरियन आदि। इंटरनेट पर वह नई-नई रैसिपी बनाने के बारे में सीखती रहती हैं। उनका मानना है कि  इनसान को हर उस चीज से प्यार करना चाहिए जो कि ईश्वर ने बनाई है, फिर चाहे वह इंसान हो या जानवर।

मुलाकात

पुरुष व महिलाओं के लिए अलग- अलग फील्ड की बात महज मानसिक सोच …

कोई एक वजह जिसने आपको मिसेज हिमाचल के मुकाम तक पहुंचाया?

मिसेज हिमाचल के मुकाम तक पहुंचने में मुझे  दोनों परिवारों से भरपूर प्यार मिला। दोनों परिवारों के समर्थन व विश्वास की वजह से मैं मिसेज हिमाचल का मुकाम हासिल कर पाई।

ऐसी प्रतियोगिता से जिदंगी में कितना बदलाव आया?

मैंने ‘दिव्य हिमाचल’ के मिसेज हिमाचल के पूरे इवेंट में बहुत कुछ सीखा। मेरा मनोबल दिन प्रतिदिन मजबूत होता गया तथा निरंतर व्यक्तित्व में सुधार होता गया। मैं आज स्वयं को अधिक आत्मविश्वास व दृढ़ता से देखती हूं।

कहते हैं शादी के बाद सब बदल जाता है, आप खुद को कहां तक स्थिर, स्थायी और आत्मनिर्भर रख पाईं?

शादी के बाद कुछ नहीं बदला, बल्कि दो परिवारों से पूरा स्नेह मिला। अब मैं अधिक परिपक्व व जिम्मेदार नागरिक हूं। परिवार के समर्थन ने मुझे अपने सपने को साकार करने में प्रेरित किया।

मिसेज हिमाचल बनने के आपके मायने क्या हैं?

मिसेज हिमाचल का खिताब जीतने के बाद मुझे एक अलग पहचान मिली है। किसी भी नारी के लिए यह सम्मान श्रेष्ठ होता है। आज खुद को गौरवांवित महसूस कर रही हूं। ‘दिव्य हिमाचल’ ने मुझे एक बेहतर मंच दिया। इससे मेरा आत्मविश्वास बढ़ा है। अब मैं किसी भी मंच से संबोधित कर सकती हूं।

पूरी प्रक्रिया कब तक सरल रही और कब लगा कि आसपास की प्रतिस्पर्धा के कठिन दौर से गुजर रही हैं?

पूरी प्रक्रिया बिलकुल भी सरल नहीं थी। सीखने व निरंतर आगे बढ़ते रहने की मेरी इच्छा ने मुझे प्रेरित किया। मेरे साथ कई प्रतियोगी थे। ऐसे में सबको पीछे छोड़कर आगे बढ़ना भी बड़ी चुनौती होती है। कभी-कभी लगा कि शायद दूसरे प्रतिभागी आगे बढ़ रहे हैं। हालांकि दृढ़ निश्चय की वजह से ही मुकाम हासिल करने में कामयाबी मिली है।

नारी की सबसे बड़ी दौलत और ताकत?

एक महिला की सबसे बड़ी दौलत उसकी गरिमा है। नारी की सबसे बड़ी ताकत उसका परिवार होता है। परिवार से ही उसे आत्मविश्वास मिलता है। इसके बाद ही इच्छाशक्ति में बढ़ोतरी होती है।

मां के आंचल या सास के आंगन में अंतर क्या दिखाई देता है?

 मेरे लिए दोनों में कोई अंतर नहीं है। मां शब्द ही प्यार का प्रतीक है। शादी के बाद दो माताओं का प्यार मिला है। मेरी सास मेरी मां की तरह ही व्यव्हार करती हैं। मैं बहुत भाग्यशाली हूं कि मेरी देखभाल करने वाली दो माताएं हैं। मैं दोनों को ही बहुत प्यार करती हूं।

कोई ऐसी फील्ड जिसे आप केवल पुरुषों के लिए ही मानती हैं या जहां नारी की सही पहचान होती है?

ऐसा कोई क्षेत्र नहीं जो सिर्फ पुरुष या महिला के लिए ही बना हो। प्रतिभावान किसी भी मंजिल तक पहुंच सकता है। पुरुष व महिलाओं के लिए अलग- अलग फील्ड की बात महज मानसिक सोच ही है। असाधारण क्षेत्र में भी महिलाओं द्वारा कार्य करने के कई उदाहरण हैं।

बेटी या बहू होने में जहां अंतर आता है, वहां से अलग आपकी अवधारणा क्या रही?

मुझे लगता है कि बेटी और बहू में कोई अंतर नहीं है। मेरी सोच है कि हमें प्यार और स्नेह का मजबूत बंधन बनाना चाहिए, अगर हमारे पास ऐसी सोच होगी तो यह जीवन को अधिक सुंदर बना देगी।

मिसेज हिमाचल से जो संदेश मिला या इसके कारण आपके जीवन का जो लक्ष्य पुख्ता हुआ?

मेरा लक्ष्य हासिल करने का मेरा दृढ़ संकल्प अब और अधिक मजबूत है। समाज के लिए कुछ करने की मेरी इच्छाशक्ति अधिक मजबूत हो गई है।

स्त्री सामाजिक, पारिवारिक और व्यक्तिगत इच्छाओं के बीच कैसे संतुलन बैठा सकती है?

तीनों को संतुलित करना एक कठिन काम है, लेकिन असंभव नहीं। एक महिला प्रत्येक के लिए समय समर्पित करके ऐसा कर सकती है। उन्हें उन चीजों को संतुलित करने के लिए चीजों को प्राथमिकता देनी चाहिए। आपकी मजबूत इच्छाशक्ति और दृढ़ संकल्प एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

कोई ऐसा नारी चरित्र जिसे आप आदर्श मानती हैं। आपकी पसंद के फिल्मी कलाकार?

मेरे लिए मेरी मां ही आदर्श हैं। मैंने अपनी मां से प्यार, देखभाल करन सीखा है। उन्होंने ही मुझे एक महिला होने का सार सिखाया है। मैं आज जिस मुकाम पर हूं वह उन्हीं की बदौलत हूं। वह ऐसी महिला हैं जो विपत्ति में भी हार नहीं मानतीं। अमिताभ बच्चन मेरे पसंदीदा कलाकार हैं।

अपने पर कब-कब फख्र्र हुआ?

जब भी मैंने कुछ अच्छा किया, लोगों से प्रशंसा मिली तो खुद पर फख्र हुआ।

एक इच्छा जो अभी बाकी है?

इच्छाएं कभी समाप्त नहीं होतीं।  यदि सपने देखना बंद कर दें तो आपका विकास बंद हो जाता है। मेरा सपना अधिक मान्यता प्राप्त व्यक्तित्व और समाज की सेवा करना है।

-नीलकांत भारद्वाज, हमीरपुर


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