कांग्रेस आपसी झगड़े में मशगूल

लोकसभा चुनावों से पहले नहीं थम रहा नेताओं का टकराव

शिमला— प्रदेश में कांग्रेस लोकसभा चुनाव की तैयारियों से अलग आपसी लड़ाई में ही मशगूल है। एक तरफ जहां भाजपा फील्ड में सक्रिय हो चुकी है, वहीं कांग्रेस के बड़े नेता एक-दूसरे से टकराव में ही व्यस्त हैं। मनमुटाव के चलते कांग्रेस कार्यकर्ता भी असमंजस में हैं और हाइकमान भी चुप्पी साधे है। कांग्रेस प्रभारी रजनी पाटिल का पहला दौरा नौ जुलाई से शुरू होने जा रहा है और वह हाइकमान को रिपोर्ट भी सौंप चुकी हैं, मगर वहां से किसी भी तरह का इशारा नहीं मिल रहा। रजनी पाटिल के यहां कामकाज संभालने के बाद वह दिल्ली गईं, जिस बीच यहां इंटक को लेकर विवाद खड़ा हो गया। यह विवाद यहां थमने का नाम नहीं ले रहा और हाइकमान से अभी तक कोई संदेश नहीं दिया गया है। जहां कांग्रेस का विपक्षी दल फील्ड में उतरकर काम शुरू कर चुका है, वहीं कांगे्रस अभी यह देख रही है कि आखिर आगे क्या होगा। प्रदेशाध्यक्ष सुखविंदर सुक्खू और वीरभद्र सिंह का टकराव खत्म होने का नाम नहीं ले रहा। प्रभारी के दौरे से पहले वीरभद्र सिंह भी फील्ड में उतर चुके हैं और वह भी अपने समानांतर दौरे करने की तैयारी में हैं। ऐसे में कार्यकर्ताओं में फैला असमंजस पार्टी को कहां तक जीत दिला सकेगा, यह आसानी से समझा जा सकता है। बताया जाता है कि रजनी पाटिल अपने दौरे के दौरान कुछ वक्त नेताओं के साथ बातचीत करने के लिए भी निकालेंगे, परंतु जब तक हाइकमान की ओर से कोई निर्देश नहीं दिए जाते हैं, तब तक यहां कांग्रेस का कुछ नहीं होगा, यह भी तय है। वीरभद्र सिंह का एकमात्र मुद्दा सुक्खू को हटाने का है, जिस पर हाइकमान कोई फैसला नहीं ले रही। उधर, सुक्खू भी यह बताने में जुटे हैं कि उन्होंने संगठन को खड़ा रखा है और धरातल पर कार्यकर्ता उनके नेतृत्व में सक्रिय हैं। वीरभद्र सिंह का मानना है कि सुक्खू ने संगठन को कमजोर कर दिया है, लेकिन सुक्खू ऐसा नहीं मानते। इन्हीं मुद्दों पर रजनी पाटिल को हल निकालना होगा जो उनके लिए भी मुश्किल लग रहा है।