घर के खर्च से बना डाली एक किलोमीटर सड़क

हमीरपुर —जीने के बारे में हर कोई सोचता है, लेकिन ऐसे बहुत कम लोग हैं, जिन्हें मरने की भी फिक्र होती है। फिक्र यह नहीं कि एक न एक दिन उन्हें संसार छोड़कर जाना है, बल्कि चिंता इस बात की कि जिस तरह युवा पीढ़ी गांव से पलायन कर रही है और गांव खाली हो रहे हैं, ऐसे में अंतिम समय में उनकी अर्थी को कंधा कौन देगा। श्मशानघाट तक उन्हें कौन और कैसे लेकर जाएंगे, लेकिन कहते हैं न कि जहां चाह होती है वहां राह खुद-ब-खुद मिल जाती है। ऐसी ही राह खोज निकाली टौणीदेवी के तहत पड़ते करसोह के ग्रामीणों ने। इस गांव के लोगों को मृतक का अंतिम संस्कार करने के लिए गांव से करीब एक किलोमीटर दूर एक नाले में जाकर बने श्मशानघाट में करना पड़ता था। यहां के लिए रास्ता भी काफी ढलानदार और जोखिम भरा है। ग्रामीणों की मानें, तो उन्होंने हर सरकार से श्मशानघाट के लिए रास्ता बनाने की मांग की, लेकिन सब आश्वासन देते रहे। आखिर में उन्हें यहां के समाजसेवी और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष के साथ मिलकर हल निकाला कि क्यों न सभी मिलकर थोड़े-थोड़े पैसे डालें और यहां के लिए एक लिंक मार्ग बना लिया जाए। आखिर ग्रामीणों के ये प्रयास सफल हुए और यहां गांव से श्मशानघाट के लिए एक किलोमीटर सड़क मार्ग बनकर तैयार हो गया। समाजसेवी रविंद्र सिंह डोगरा के अनुसार उन्होंने  ग्राम के युवक रवि कुमार को साथ लेकर ग्रामीण प्रीत्तम चंद, भूप सिंह, रणजीत सिंह, देशराज, कृपा राम, विचित्र सिंह और मानसिंह के घर जाकर सहमति बनाई और वार्ड पंच संसार चंद को भी साथ लिया, क्योंकि जमीन हमारी अपनी थी। सब ने फैसला लिया कि सभी अपनी इच्छा से थोड़ा-थोड़ा पैसा देंगे। मजेदार बात यह है कि गांव की महिलाओं मनसा देवी, कमला देवी, रुमला देवी, वीना देवी व राजो देवी ने अपने घर खर्च से पैसा निकालकर सड़क निर्माण के लिए दिया। लगातार बारह दिन जेसीबी की मदद से यह सड़क निकाली गई। बताते हैं कि इस कार्य में तकरीबन तीन लाख रुपए का खर्च अब तक हुआ है। इस बारे में रविंद्र सिंह डोगरा का कहना है कि ग्रामीणों के सहयोग से यह काम पूरा हो पाया। अगले कार्य के लिए लोक निर्माण विभाग को अवगत कराया जाएगा, ताकि एक किलोमीटर की यह सड़क पक्की हो सके।