छाते के नीचे पढ़ाई

बीते तीन साल से सौ फीसदी रिजल्ट दे रहे एसएसएलसी गवर्नमेंट हाई स्कूल की अपनी ही कहानी है। यहां स्टूडेंट्स बारिश के बाद हाथ में छतरी लेकर पढ़ाई करने को मजबूर हैं। इस बात पर शायद ही किसी को यकीन हो, लेकिन कर्नाटक में हासन जिला के अराकलगुड में वाकई हालात इतने ही खराब हैं। यह स्कूल मल्लिपत्तना होब्ली में है और यहां आठ कमरे हैं, जिनमें से दो का उपयोग कार्यालय के रूप में होता है। बाकी छह कमरों में से तीन कमरों का बारिश के मौसम में ज्यादा लीकेज के चलते प्रयोग नहीं किया जा सकता। बाकी तीनों कमरों में बारिश के मौसम में क्लासेज चलती हैं, लेकिन बारिश होने पर बच्चों को खुद को बचाने के लिए किताबों और छतरियों की मदद लेनी पड़ती है।  यह स्कूल 50 साल पुराना है। इस हाई स्कूल में 168 छात्र पढ़ रहे हैं, जिसमें 87 लड़के और 81 लड़कियां हैं। पिछले तीन सालों से एसएसएलसी में इसे 100 प्रतिशत परिणाम मिला। इस बारे में हैडमास्टर शिवप्रकाश का कहना है, हमारे पास कक्षा के कमरों की कमी भी है। हम कमरे बनवाने और मौजूदा कमरों की मरम्मत के लिए अधिकारियों और प्रतिनिधियों से अनुरोध कर रहे हैं। पिछले साल जिला पंचायत सदस्य रेवन्ना ने दो लाख दिए थे, जिससे दो कमरों की छत की मरम्मत करवाई है। बच्चे डरते हैं, क्योंकि छत किसी भी समय गिर सकती है।