— पवन प्रेमी, सरकाघाट
मुलाकात
कर्म ही हमारा भाग्य निर्धारित करता है…
आपकी जिंदगी में सैनिक परिवार में पैदा होने का असर कहां तक रहा?
मेरे दादा जिंदू राम भारतीय सेना में वलोच रेजिमेंट में थे और द्वितीय विश्व युद्व के वार विनर थे वह हमें बचपन से ही सेना की गतिविधियों की कहानियां सुनाया करते थे, वहीं से मेरे मन में भी सेना में जाने का शौक उत्पन्न हुआ। सैनिक परिवार में पैदा होने का जो असर हुआ तभी आज में इस मुकाम पर हूं।
सैन्य सेवा में आने के लिए खुद को कैसे तैयार किया?
मेरी प्राथमिक शिक्षा सरकारी स्कूल अपने गांव गौंटा में हुई और उसके बाद अपने पिता के साथ बरेली में चली गई और वहां से मैंने +2 मेडिकल में की। फिर मैंने आर्मी इंस्टीच्यूट से बीएससी नर्सिंग की और पढ़ाई के बाद गंगा राम अस्पताल में नौकरी की, फिर आर्मी में जाने की तैयारी की और मैं लेफ्टिनेट बन गई।
भारतीय परिप्रेक्ष्य में नायक या नायिका किसे मानती हैं। जिन्हें अपना आदर्श बनाया?
ऐसे तो में अपने दादा जिंदू राम को अपना आदर्श मानती हूं, लेकिन जहां में प्रशिक्षण ले रही थी उस इंस्टीच्यूट की प्रधानाचार्या लेफ्टिनेट कर्नल वी सुगिरथा से ज्यादा प्रभावित हुई हूं। उनको अपनी महिला नायक मानती हूं।
कर्म और भाग्य के बीच आपका अपना विश्वास किस तरह पुष्ट होता है?
मैं 99 प्रतिशत कर्म पर विश्वास करती हूं एक प्रतिशत भाग्य पर भरोसा करती हूं, क्योंकि कर्म ही हमारा भाग्य निर्धारित करता है।
सैन्य और सामान्य सेवाओं में आप क्या अंतर देख पाईं?
दोनों ही सेवाएं अपनी जगह सही हैं, सैन्य सेवा देशभक्ति व समर्पण की भावना जगाती है।
जब आपको गुस्सा आता है तो क्या करती हैं। किस बात पर गुस्सा आता है?
जब मुझे गुस्सा आता है तो मैं शांत रह कर जवाब देती हूं। कई बार कोई मुझे किसी बात पर चिढ़ाता है या चैलेज करता है तो मैं ज्यादा मेहनत करती हूं।
दोस्त और दुश्मन के बीच सलोचना किस तरह फर्क कर पाती हैं?
जो हमारी मदद मुश्वित में करता है वही हमारा मित्र है और मैं दुश्मन कभी किसी को नहीं मानती हूं।
कब लगा कि आप सामान्य लड़कियों से भिन्न हैं तथा सेना ही करियर है?
जब मैं अपने पिता के साथ बरेली गई, तो मुझे सेना में जाने का रास्ता नजर आने लगा और मैंने सेना में जाने के सपने लेना शुरू ही नहीं किया, बल्कि मेहनत करना ज्यादा तेज कर दिया। बस फिर मुझे लगा कि मेरी सोच अन्य लड़कियों से भिन्न है और अपना करियर भी सेना में बनाने का मन पका मना लिया।
देश या समाज की कौन सी बुराइयां विचलित करती हैं, जहां भारतीय होने पर फख्र होता है?
देश में युवाओं को नसे की लत लगी है मैं नसे के खिलाफ हूं । युवाओं को नसे से दूर रहने की अपील करती हूं और भारतीय होने का गर्व है।
भारतीयता के आपके मायने?
अपने देश के प्रति देशभक्ति की भावना व कड़ी मेहनत से अपने देश की प्रगति के लिए हमारा भी योगदान हो।
जीवन में कभी कोई ऐसी शख्सियत मिली जिससे जीतने का नजरिया बदल गया? जीत को कैसे परिभाषित करेंगी?
हां मेरे दादा के अलवा मेरे भाई मेजर व मेरे संस्थान की प्रधानाचार्या वी सुगिरथा जिन्होंने मेरे जीवन का नजरिया बदल दिया।
कभी तनाव होता है, तो क्या करती हैं। युवाओं से कौन सी प्रवृतियां दूर करना चाहती हैं?
तनाव मैं शांत रहती हूं और मैं अपने आप को तनाव मुक्त रखती हूं। युवाओं को नसे से दूर रहने की सलाह देती हूं। बजाय नसा करने के अपनी योग्यता ज्यादा से ज्यादा बढ़ाएं और देश के विकास में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करें।
आपके लिए आशा का ठोस आधार क्या रहा और कब लगा कि वर्दी इंतजार कर रही है। खुशी का इजहार कैसे करती हैं?
वर्दी का इंतजार पहले से ही था और आज मेरे पास वर्दी है मैं अपने आप को शौभाग्यशाली समझती हूं। अपनी खुशी में सबसे पहले अपने परिजनों से शेयर करती हूं। खुशी होते हैं तो मेरी खुशी दोगुना ज्यादा हो जाती है।
्रहिमाचली बेटियों के नाम आपकी राय तथा हाल की उपलब्धियों में जिसने आपको प्रभावित किया?
प्रदेश की बेटियां हमेशा न.1 पर रही हैं। मैं अपने देश की बेटियों को भी सेना में जाने की सलाह देती हूं।