दिल्ली दरबार में सियासी जुगाड़ भिड़ा रहे नेता

धर्मशाला—स्टेट की सत्ता के सुख से वंचित नेता अब सेंटर के सुख के लिए सियासी जुगाड़ भिड़ा रहे हैं। इसके लिए अभी से दिल्ली दरबार की चौखट पर माथा टेकने के साथ साथ राज्य के वरिष्ठ नेताओं के पास हाजिरी भरने का क्रम शुरू हो चुका है। ऐसा नहीं कि यह महज एक ही दल के नेता कर रहे हैं, यह सियासी खेल दोनों ओर चल रहा है। अपना सियासी वजूद बनाए रखने के लिए पूर्व मंत्री व पूर्व विधायक इस रेस में आगे निकलने को खूब पसीना बहा रहे हैं। सूबे की सियासत में अहम रोल अदा करने वाले कांगड़ा जिला का सियासी पारा धीरे-धीरे चढ़ने लगा है। पूर्व मुख्यमंत्री एवं कांगड़ा-चंबा संसदीय क्षेत्र के मौजूदा सांसद शांता कुमार के चुनाव न लड़ने के ऐलान के बाद इस सीट को सभी सेफ मानकर चुनावी दंगल में कूदने को तैयार हैं। कांग्रेस के तीन पूर्व मंत्री इस सीट पर चुनाव लड़ने को तैयार हैं, तो भाजपा में भी कई दावेदार हैं। हर कोई अपने अपने तरीके से दिल्ली व शिमला और विधानसभा स्तर के नेताओं को अपने पक्ष में कर रहा है। फ्रंटल संगठनों से भी बाकायदा समर्थन को प्रस्ताव तैयार करवाए जा रहे हैं। इस मुहिम में विरोधियों को साथ लेने के लिए पहली बार बड़े स्तर पर अभियान चल रहे हैं। हारे जीते, छोटे बड़े सभी नेताओं के साथ अलग-अलग बैठकों का दौर चल रहा है। अपने ही विधानसभा क्षेत्रों के विधानसभा टिकट के विरोधी चाह्वानोंें को भी यह नेता आने वाले समय में मैदान खुला होने का लोभ देकर काम में लगा रहे हैं। जिससे सियासी तपिस दिन व दिन बढ़ने लगी है।  उधर, भाजपा में भी करीब आधा दर्जन से अधिक नेता जोड़-तोड़ भिड़ा रहे हैं। भाजपा में भले ही सांसद शांता कुमार ने चुनाव न लड़ने का ऐलान किया हो, लेकिन उन्होंने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि लोकसभा की कांगड़ा सीट पर चुनाव वही लड़वाएंगे। यानि सांसद शांता कुमार इस सीट पर अपनी पसंद के व्यक्ति को ही अपना उतराधिकारी बनाना चाहते हैं। लोस टिकटों का फाइनल भले ही मोदी व शाह के दरबार से ही होगा, लेकिन प्रत्याशी को शांता का आशीर्वाद मिले, यह उन पर भी निर्भर करता है। लोकसभा चुनावों के  लिए भले ही अभी समय है, लेकिन कांगड़ा का राजनीतिक पारा गर्मा गया है। राज्य में गुटों में बंटी कांग्रेस कांगड़ा संसदीय क्षेत्र में करीब आधा दर्जन बड़े कार्यक्रम कर सबको एक मंच पर लाकर एकता का संदेश देने का प्रयास कर रही है, जिससे नए समीकरण उभर रहे हैं। लोकसभा चुनाव लड़ने की तैयारी में जुटे नेताओं ने सोशल मीडिया मैनेजमेंट को भी अपने सैल एक्टिव कर दिए हैं। फेसबुक व व्हाट्सऐप से लेकर अन्य माध्यम से अपनी उपस्थित व उपलिब्यों का खूब बखान करवाया जा रहा है।