देश में बिना पंजीकरण के चल रहे हैं 1339 बालगृह

नई दिल्ली – देश में किशोर न्याय संशोधित कानून को लागू हुए भले ही ढाई साल का समय बीत गया हो, लेकिन इसके तहत अनिवार्य होने के बावजूद अब तक 1300 से अधिक बालगृहों (चाइल्ड केयर इंस्टीट्यूशन) ने पंजीकरण नहीं करवाया है. इनमें से भी 1100 से अधिक बालगृह अकेले केरल में हैं जिनका पंजीकरण नहीं हुआ है. हाल ही में ‘मिशनरीज ऑफ चैरिटी’ की झारखंड स्थित एक संस्था से बच्चों को कथित तौर पर बेचे जाने का मामला सामने आने के बाद, नोबेल पुरस्कार से सम्मानित बाल अधिकार कार्यकर्ता कैलाश सत्याथी और कई अन्य कार्यकर्ताओं ने सभी बालगृहों का तत्काल पंजीकरण किए जाने की मांग की थी. किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल एवं संरक्षण) अधिनियम, 2015 के तहत बाल संरक्षण से जुड़ी हर संस्था का पंजीकरण कराना अनिवार्य है. यह संशोधित कानून जनवरी, 2016 में लागू हुआ था. राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) की ओर से उपलब्ध कराए गए ताजा आंकड़ों (11 जुलाई, 2018 तक) के मुताबिक, देश में 5850 बालगृह पंजीकृत हैं तो 1339 बालगृह बिना पंजीकरण के चल रहे हैं. एनसीपीसीआर का कहना है कि केरल में 26 बालगृह पंजीकृत हैं, जबकि 1165 बालगृह बिना पंजीकरण के चल रहे हैं. इसके अलावा महाराष्ट्र में 110, मणिपुर में 13, तमिलनाडु में नौ, गोवा में आठ, राजस्थान में चार और नगालैंड में दो बालगृह पंजीकृत नहीं हैं. एनसीपीसीआर के सदस्य यशवंत जैन ने बताया, ””हमने कई बार राज्यों से कहा है कि सभी बाल गृहों का पंजीकरण अनिवार्य कराया जाए. कई राज्यों ने बहुत सक्रियता दिखाई है लेकिन कुछ राज्यों में आशा के अनुरूप प्रगति नहीं दिखी है’. एनसीपीसीआर के अनुसार, देश के पंजीकरण/ बिना पंजीकरण वाले आठ हजार से अधिक बालगृहों में 2,32,937 बच्चे हैं.